*# जी खट्टा होना*
रिश्तेदारी वाली बात ना होती तो राधा कभी भी सुनंदा ताई जी के बुलाने पर उनके पास नही जाती। राधा को उनके पास जाना ही पड़ा और कुछ देर बाद वह उनके सामने खड़ी थी।
राधा की तरफ देखते हुए सुनंदा ताई जी ने बोलना शुरू किया "तू तो कितनी अच्छी है कभी भी अपने सास की एक भी बात हम लोगों से कभी बताई नहीं और एक तेरी सास है जो भी उसके पास जाता है तेरी ही बुराई शुरू कर देती है। कहती है मेरे बेटे को तो मेरी बहू ने अपने ही वश में कर रखा है तभी तो मेरा बेटा मुझे पूछता ही नहीं है। वह यह कभी भी नहीं सोचती कि तेरा व्यवहार तो सबके साथ अच्छा है तो तेरी सास के साथ क्यों नहीं बना ? यह भी तो तेरी सास को सोचना तो चाहिए ही ना? बोलो मैं सही कह रही हूॅं कि नहीं?"
"ताई जी! जिसको जो सोचना है सोचने दीजिए। उनकी अपनी सोच है इसमें मैं भला क्या कर सकती हूॅं? वैसे ताई जी चिंटू को मैंने घर में अकेला छोड़ा हुआ है उसके पापा भी सो रहे हैं। वह जब जगेगा तो माॅं ... माॅं... चिल्लाने लगेगा इसीलिए अब मैं चलती हूॅं। कभी फुर्सत से इस विषय में आपसे बातें होगी।" कहते हुए राधा वहां से अपने घर की तरफ मुड़ गई।
"मन में तो सास के प्रति गुस्सा भर गया होगा यें सब बातें सुनकर लेकिन बहुत चालाक है यह औरत। दस सालों से देख रही हूॅं। रोज ही सास की बातें इसके सामने बुराई के रूप में रखती हूॅं लेकिन फिर भी हमारे सामने कुछ नहीं बोलती लेकिन दिल ही दिल में तो जलती है अपनी सास से। अगर इतनी ही अच्छी होती तो इसकी सास को अलग क्यों रहना पड़ता? क्या कभी कोई बेटा अपनी माॅं को अलग रख सकता है? इसी ने अपने पति को अपनी खूबसूरती के जाल में फंसा कर वश में कर रखा है और मर्द तो होते ही हैं खूबसूरती के जाल में वशीभूत होने वाले। इसकी खूबसूरती ही इसका वशीकरण मंत्र है और ना जाने आजकल औरतें क्या-क्या टोटका भी करके तो अपने पति को अपने पास ही रखना चाहती हैं। किया होगा इसने भी कुछ ऐसा ही अपने पति के शरीर पर वशीकरण मंत्र पढ़कर। यह सब टोटका तो करती ही रहती है औरतें लेकिन मुझे क्या? यह दोनों सास - बहू की बातें हैं। मैंने तो अपना फर्ज समझ कर इसको बता दिया था लेकिन ना मानती है तो मुझे क्या? इसकी बातें सुनकर जी खट्टा हो जाता है मेरा।" धीरे - धीरे स्वयं से ही बुदबुदाते हुए सुनंदा ताई जी ने मुंह बिचकाया और अपने घर के अंदर चली गई।
राधा, सुनंदा ताई जी से बहाने बनाकर अपने घर में तो चली आई लेकिन उसका जी भी सुनंदा ताई जी की बातें सुनकर खट्टा हो चुका था। वह जानती थी कि दुनिया उसी को गलत समझ रही है। उसने अपने पति को समझाने की कितनी ही कोशिश की थी लेकिन उसका पति समझे तब ना। जैसे ही राधा उसकी माॅं के बारे में कोई भी बात उससे कहना चाहती वह उसे झिड़क देता और कहता "तुमसे शादी करने से पहले से मैं अपनी माॅं को जानता हूॅं। जन्म दे दिया उसने लेकिन मेरे लिए कुछ भी नहीं किया। उसके लिए तो उसकी दोनों बेटियां ही सब कुछ थी। मुझे तो वह नालायक ही समझती थी। कभी किसी लायक समझा ही नही उसने मुझे। बचपन में भी दोनों दीदियों से ज्यादा मार मैंने हीं खाई है उसके हाथों से। मेरे सामने उस औरत की बातें कभी भी मत करना। मेरे पिता जब तक जिंदा थे उस औरत से मेरा मजबूरी में नाता था लेकिन अब मेरा उस औरत से कोई भी नाता नहीं है। ना तो अब वह मेरी मां है और ना तेरी सास और ना ही चिंटू की दादी।"
राधा हमेशा यही सोचती कि "जिस मां ने नौ महीने अपने बच्चे को पेट में पाला क्या उसके भलाई के लिए वह उसे डांट और मार भी नहीं सकती? मैं यह नहीं जानती कि इनकी अपनी मां के साथ ऐसी क्या बात हुई थी जो वह इन्हें नालायक समझती थी लेकिन फिर भी मां तो मां होती है। मां और बेटे का रिश्ता ऐसा ही होता है। कुछ भी हो जाए इनके बीच का तेरा और मेरा वाला रिश्ता खत्म नहीं होता। ऐसा मां और बच्चा दोनों को ही सोचना चाहिए लेकिन कुछ बच्चे होते हैं जो इन बातों को नहीं सोचते लेकिन मां तो हमेशा ही इन बातों को सोचती है और जब उनका बच्चा यह नहीं सोचता और उससे गुस्सा हो जाता है और सारे रिश्ते - नाते तोड़ लेता है तो गुस्से में वह हर किसी से बात कहती है। शायद! वह मुझे गाली इसीलिए देती है क्योंकि अभी तक उन्हें अपने बेटे से यह उम्मीद है कि वह बदल तो गया है लेकिन उसके पीछे की वजह मैं हूॅं। मेरे आने के बाद मेरे प्यार में पड़कर,मेरे द्वारा कही गई बातों के वशीकरण के चलते वह मुझसे नाता तोड़ गया है इसीलिए वह यह सब बातें हर आने वाले लोगों को बताती है ताकि कभी यह बात उनके बेटे तक पहुंचे और कोई दिन ऐसा हो कि उनका बेटा अपनी मां की बातें सुनकर उनके पास वापस फिर से लौट जाए। मैंने बहुत कोशिश की मां - बेटे को मिलवाने की लेकिन शायद इस जन्म में मैं उन्हें मिलवा नहीं सकती। कोई चमत्कार ही होगा जो उन दोनों को एक कर सके लेकिन फिर भी मैं अपनी तरफ से यह कोशिश तो पहले दिन से ही कर रही हूॅं कि मेरी सास को हम से अलग रहने के बाद भी कोई तकलीफ ना हो। मेरी सास इस बात को नहीं जानती यहाॅं तक कि मेरे पति भी इस बात को नहीं जानते। मेरी सास को कोई तकलीफ ना हो इसलिए मैंने अपने भाई की मदद से यह सब चुपचाप किया था। मेरी सास को हर महीने अनाज, साग - सब्जी खुद ब खुद पहुंच जाती है जिसे देने एक ऐसा आदमी जाता है जिसे मेरी सास नहीं जानती है जैसा कि उस आदमी ने मेरी सास को बताया हुआ है कि उन्हें यह सारी चीजें सरकार की तरफ से मिलती है। सरकार ही वृद्धा पेंशन के नाम पर उन्हें पैसे, अनाज और खाने-पीने की सारी व्यवस्था उन तक पहुंचाती है। मुझे भी एक बेटा है और चिंटू मेरे साथ ऐसा करेगा तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा। मैं भी उससे डांटती हूॅं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं उससे प्यार नहीं करती। मेरी सास को भी अपने बेटे से प्यार है और हमेशा रहेगा। हे ईश्वर! काश ऐसा दिन भी आए जब मां बेटे का मिलन हो जाए और वशीकरण का जो मुझ पर इल्जाम लगा है वह भी दूर हो जाए। मैं तो ईश्वर से सिर्फ प्रार्थना ही कर सकती हूॅं। यह होगा या नहीं होगा यह तो सिर्फ ईश्वर के ही हाथों में है लेकिन उम्मीद पर तो दुनिया कायम है और यह उम्मीद मुझे तब तक रहेगी जब तक कि मेरे प्रति अपना जी खट्टा कर चुकी मेरी सास इस दुनिया में रहेंगी।"
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धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💗💞💓
# मुहावरों की दुनिया
Mahendra Bhatt
19-Feb-2023 09:05 PM
बहुत खूब
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डॉ. रामबली मिश्र
18-Feb-2023 09:26 PM
शानदार
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अदिति झा
17-Feb-2023 10:39 AM
Nice 👍🏼
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