रिश्ते......
...................रिश्ते...............
हर रिश्ता-नाता होता एक मौन प्यार का अनुबंधन,
सब रिश्ते-नाते दिल के होते यहां नहीं कोई बंधन।
परिवार मे सब के अनेक ही रिश्ते बन तो जाते हैं,
दिल से निबाहना रिश्तों को कुछ व्यक्ति कर पाते हैं।
रिश्तों को अनुबंध न समझो बहुत अनमोल इन्हे समझो,
आदर से निबाहना रिश्तों को ये पावन कर्तव्य समझो।
रिश्तों का निर्वहन करने से आदर भी बहुत मिलता,
साख बढ़ती है समाज मे सभी से है सम्मान मिलता।
मित्र हो या परिवारी जन जग मे सब सम्माननीय होते,
मित्र ही अपना दिल हल्का कर लेने में सहायक होते ।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Zakirhusain Abbas Chougule
16-Feb-2023 08:46 PM
Nice
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सीताराम साहू 'निर्मल'
16-Feb-2023 07:01 PM
Nice
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Swati chourasia
16-Feb-2023 03:15 PM
बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌
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