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भीगी पलकें..

रविवारीय प्रतियोगिता
विषय-भीगी पलकें

......................भीगी पलकें......................

भीगी पलक पुकार रही हैं,सजन तुम अब तो आ जाओ,
पल पल ये मनुहार कर रहीं सजन तुम  घर आ जाओ

कितने सावन बीते तुम बिन ,रो रो वक्त गुज़ारा है,
अपने हर सुख-दुख मे मैने साजन  तुम्हे  पुकारा है।

देह हुयी है शिथिल हमारी  आंखें भी पथराई हैं,
शेष नहीं अब नहिं कोई तमन्ना मौत  भी निकट आई है।

याद सदा आते हैं वो दिन जब साथ मेरे तुम रहते थे,
कभी न मुझको रोने देते ख़्याल मेरा तुम रखते थे।

शामें  सदा गुनगुनाया करतीं रात चांदनी जगती थीं,
कभी अन्ताक्षरी कभी गीत भरी भी शाम सुहानी होती थी

तुम जब से परदेश गये हो ये पलकें भीगी रहती हैं,
दिन तेरी यादों में कटता रातें जगती रहती हैं।

अन्तिम ये लालसा मेरी एक बार तो दरश दिखा जाओ,
ख़ताएं मेरी क्षमा करो और भीगी पलकों को गले लगा जाओ।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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2 Comments

Gunjan Kamal

18-Feb-2023 11:24 PM

बेहतरीन

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Abhinav ji

17-Feb-2023 09:13 AM

Very nice 👌

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