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लेखनी प्रतियोगिता -17-Feb-2023 अपना घर कौनसा है?



                                 अपना घर कौनसा  है?
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               "बहु पकौड़े थोड़े वेसन के भी तल लेना मोहिनी को बहुत पसंद है "सुमन की सास ने बाहर वाले रूम से ही ज़ोर से कहा |

         " हल्की बारिश की वजह से थोड़ी ठण्ड हो गयी है। | भाभी चाय में अदरक डालना ना भूलना " मोहिनी ने भी वहीँ से आवाज़ लगाई |  

                   सुमन के हाथ  मजबूरी बस जल्दी जल्दी भाजी काटने लगे |

            सुमन का   आज सुबह से ही सर ज़रा भारी - भारी सा था | अंदर से कुछ ठीक नहीं लग रहा था पर कहे भी तो किससे ? रोहन उसका पति ,ससुर जी के साथ बिज़नेस के सिलसिले में बाहर गये हुए थे और कल ही लौट कर आने वाले थे |

    
            पकोडे़ बनाते हुए    सुमन को अपनी बहिन  की याद आगयी | कैसे दोनों मिलकर साथ में गप्पे मारते हुए पकौड़े  खाते थे। आज वही पकौडे सामने तो थे परन्तु खाने की  किसको  पड़ी  थी |

         "जल्दी जल्दी तू भी  चाय पी ले ,फिर रात के खाने की तैयारी में लग जा | कल की तरह सब्जी में पानी मत डाल देना | पता नहीं बेटियों को लोग सीखा कर क्यों नहीं भेजते "सास की बड -बड न रूकती थी न रुकी |

          किसी शादी में रोहन ने उसे देखा और पसंद कर लिया था | बेटे के दबाब में आकर सास ने उसकी माँ को बोल दिया था कि उसकी भी बेटी है और वो  सुमन  को वैसे ही रखेगी |


            पर ऐसा कहाँ हो पाया ? रोहन घर में किसी किच की
किच से दूर ही रहता था | ऐसे भी  सुमन  से शादी कर पाना किसी तूफ़ान से कम नहीं था | धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा के सिद्धांत पर ,वो चुप ही रहता |


           सुमन को एक बार मायके जाने की बात याद आगयी | सास ने तब बोला था "देख अब बार बार  मायके जाने की रट न लगाना ,यही तेरा घर है अबसे | जितनी जल्दी समझ आये उतना ठीक "|
अपना घर ??? कहाँ है उसका घर ? अपना घर है तो बेगाना सा क्यों है ?न बहन की तरह, ननद  बढ़कर हाथ बटाँती है न उसे अपने पास आने देती है | हाल में लगा टीवी उसको बार बार अहसास दिलाता है कि जैसे उसपर उसका कोई हक़ नहीं | उसके घर में भी एक ही टीवी था ,सब थोड़ा थोड़ा करके उसे बाँट लेते | अगर कोई प्रोग्राम देखना होता तो कुछ दिन पहले बोलते और सब की रज़ामंदी से वही प्रोग्राम भी चलता |

      उसे आज भी  याद है ,कैसे ग्रेजुएशन के एग्जाम के समय उससे एक मूवी छूट गयी थी | उसके टीवी पर एक साल बाद आने की खबर ने जैसे ,उसमे पुरानी  सुमन  को फिर से जिन्दा कर दिया | उसने माँ की तरह सास को भी बताया कि तीन दिन बाद ,वो 4 बजे आने वाली इस मूवी को देखना चाहती है |


         "अगर किसी रूटीन में कोई दिक्कत न आये ज़रूर देख सकती है ,कहते हुए ,सास ने हामी भर दी |"

            सुमन मूवी वाले दिन ख़ुशी ख़ुशी सारे काम जल्दी जल्दी निपटा कर उसने मूवी देखना शुरू ही किया था कि सास का फरमान आया कि वॉल्यूम कम करो | मुश्किल से आधा घंटा उसने मूवी देखा होगा कि सास की बड़ बड़ शुरू हो गयी | काम से ज़ी चुराना कोई इनसे सीखे | न लाज न हया पता नहीं कि घर में कैसे सबका ख्याल रखतें है ?बहु को कैसे मर्यादा निभाना चाहिए , जैसे इसकी पड़ी ही नहीं | मन खट्टा सा हो गया ,स्विच ऑफ कर वो अपने कमरे में जाकर अपनी रुलाई रोक नहीं पाई |

               जब रोहध  ने भी यह सब देखा और अपने कमरे में टीवी लगाने की बात क्या की कि सास ने तो जैसे  सारा घर सर पर उठा लिया |


         सास बोली,   "हां कर लो घर के टुकड़े ,अभी टीवी की बात कर रहे हो, कल रसोई अलग कर लेना " ?

            माँ की  इस तरह की बातों से सुनील ने टीवी लेने की बात पर मिटटी ही डाल दी |

      सास की यह बात कि इसे अपना घर मानो | कैसे माने इसे अपना घर ? अगर यह अपना घर है तो इसमें इतना बेगानापन क्यों है ? क्यों इस घर का कोई कोना उसे अपना नहीं मानता ?


            आखिर में सुनील ने उसके बहते हुए आसुंओं को पोछा और गले से लगाकर उसे दिलासा दिया कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा | वो भी इस बेगाने से घर को अपना बनाना चाहती है | उसे भी लगता है कि अपने व्यवहार और प्यार से एक दिन इस घर को अपना ज़रूर बना लेगी |

                  यह बात  हर घर -घर की  सुमन की है | बहु नाम का पौधा जब आप उसके माँ -बाप के आँगन से 20 साल के बाद ससुराल के आँगन में लगाने की कोशिश की जाती है तो उसे औरों से ज्यादा प्यार की खाद की ज़रूरत होती है, नहीं तो उसे मुरझाने में देर नहीं लगती | आप उसे बेटी नहीं मान सकती ,न माने , पर इंसान का तो दर्ज़ा दे| हाथ थामकर घर ले आने वाला पति उसे बार बार उसके कर्तव्य की तो ध्यान दिलाते नहीं चुकता, अगर वो उसकी ज़रूरतों को भी प्यार से समझे तो रिश्तों को मुस्कुराने में देर नहीं लगेगी |

             यह सिर्फ कहानी नहीं है वास्तव में हर घर की यही सच्चाई है  । ऐसी खुशनसीब  कम ही हैं वो जिन्हें अपनी पति का प्यार और सास का दुलार भरपूर मिलता है पर अगर आपको कोई सुमन  मिले तो उसे अपने प्यार का स्पर्श ज़रूर दें | उसके बेचैन मन को आराम ज़रूर पहुंचाए |

           अगर आपको मैं अपनी बात पहुँचाने में सफल रहा तो अपने विचार ज़रूर शेयर करे ,पोस्ट शेयर करें शायद किसी सुमन को पता चले कि हमें उसकी चिंता है और वो हम सबके प्यार की हक़दार है |

आज की दैनिक  प्रतियोगिता हेतु रचना

नरेश शर्मा " पचोरी "


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4 Comments

Abhinav ji

18-Feb-2023 08:35 AM

Very nice 👍

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Mohammed urooj khan

18-Feb-2023 01:20 AM

👌👌👌👌

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Varsha_Upadhyay

17-Feb-2023 09:33 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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