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आदमी

आदमी
कर भरोसा यहाँ आदमी का नहीं,
आदमी है यहाँ आदमी का नहीं।।
       रोज मिलते हैं वो मुस्कुराते हए,
       पर तबस्सुम का फ़न आदमी का नहीं।।
                              कर भरोसा यहाँ....
दिल यक़ीनन उन्होंने हमें दे दिया,
दिल तो है वो मगर आदमी का नहीं।।
                       कर भरोसा यहाँ...
      वो तो लगते हमें हैं कि हैं आदमी,
      सिर्फ़ ईमाँ-धरम आदमी का नहीं।।
                        कर भरोसा यहाँ....
सबसे अच्छा ख़ुदा का हुनर आदमी,
ऊफ, बेहतर हुनर आदमी  का  नहीं।।
                     कर भरोसा यहाँ आदमी का नहीं।।
                ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                    9919446372

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5 Comments

अदिति झा

22-Feb-2023 04:55 PM

Nice

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Gunjan Kamal

20-Feb-2023 11:48 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Renu

19-Feb-2023 06:24 PM

👍👍🌺

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