Archana Tiwary

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रिश्ते

तोडा मैंने कुछ ऐसे रिश्ते,

जो थे बिन मतलब के....

मुर्दा जिस्म को ज़िंदा 
दिखाने का ढोंग किये....

मन में न कोई उदासी
न टूट जाने का संताप....


हैरान हूं ये सोच कर
क्यों खामोश थी बरसों से....

संभाले जर्जर हुए उन नातों को
शायद हिम्मत न थी तब....

पर खुश हूं अब ये सोच सोच
टूटा नाता उन्मुक्त हुए...

जरुरत न हो  तो संजोना नही
मन के बोझ को बढ़ाना नही...

अपनों में गैरों को ढूढो
गैरों मेंभी अपने होते हैं
परखों उनको और पहल करो....
अर्चना तिवारी
बरोडा,गुजरात







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