दिनकर
दिनकर
दिनकर, तुम्हें प्रणाम!
किया व्योम साहित्य का,
तुमने ललित ललाम।
दिनकर, तुम्हें प्रणाम!!
प्रखर लेखनी-ताप देखकर,
गोरे गिरे धड़ाम।
दिनकर,तुम्हें प्रणाम!!
काव्य 'उर्वशी' ज्ञान-कोष को,
पढ़ मन हो अभिराम।
दिनकर,तुम्हें प्रणाम!!
'रसवंती'-'हुंकार'-'रेणुका',
'कुरुक्षेत्र' शुभ नाम।
दिनकर,तुम्हें प्रणाम!!
'द्वंद्व-गीत' मानव-जीवन में,
करता उत्तम काम।
दिनकर,तुम्हें प्रणाम!!
हिंदी-गरिमा वृद्धि कर,
किया इसे शुचि धाम।
दिनकर,तुम्हें प्रणाम!!
भारत-गौरव दिनकर के,
प्रेरक सभी कलाम।
दिनकर,तुम्हें प्रणाम!!
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372