Vishal Ramawat

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फ़र्ज(भाग:-7)

फर्ज़ चेप्टर 7

                       मुलाकात मीरा और मोहित से

अब तक आपने पढ़ा सब ट्रुथ और डेयर खेल रहे थे अगले दिन जब सभी ग्राउंड मे आते हैं तो सामने का नज़ारा देख चौँक जाते हैं

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"अब आगे"


जय के साथ साथ सभी जवान आश्चर्यचकित थे  क्योंकि   उनके सामने गुलाब के फूलो से बहुत ही खूबसूरत हिन्दुस्तान का चित्र बना हुआ था। 

अपना देश वैसे भी बहुत खूबसूरत है इनकी किसी अन्य देश से तुलना करना गलत होगा क्योंकि यह अपने आप मे ही एक बड़ी सख्सियत है।जिसका कोई मूल्यांकन नही हो सकता।  यह  सब अभिमन्यु ने किया था । सभी लोग यह देख ही रहे थे कि उन्हें सामने से अभिमन्यु ,मेजर साहब के साथ आता हुआ दिखा। सभी उनकी ओर बढ़ने लगे । सभी जाकर कैप्टन की तारीफ करने लगे। 

मेजर साहब यह सब देख कर बोले "क्या हुआ भाई, ऐसा क्या कर दिया है कैप्टन ने जो आप लोग इनकी तारीफ़ों के पुल बांध रहे हो।" जय बोला "सर एक बार आप भी देखोगे तो आप भी कैप्टन की तारीफ करेंगे"

 मेजर साहब बोले "चलो फिर हम भी तो देखे ऐसा क्या किया है"।जैसे ही मेजर ने वो सब देखा वो भी देखते ही रह फिर मुस्कुराते हुए  बोले "क्या बात है कैप्टन आपने बहुत ही अच्छा काम किया।, शानदार नजारा है"
 अभिमन्यु ने सभी को शुक्रिया बोला ओर ध्वजारोहण के लिये इकट्ठा हो गए।

मेजर ने तिरंगा फहराया ओर सभी ने मिलकर राष्ट्रगान गया।  फहराते हुए तिरंगे को देख कर जवानों ने जय हिंद बोल कर सैलूट किया। हिन्दुस्तान का तिरंगा आज आसमान को छू रहा था।

मेजर सर ने माइक लिया और तेज आवाज में जय हिंद बोले। जवानो ने भी जय हिंद बोला। मेजर बोले "आप सभी को नए साल की  शुभकामनाएं, यह साल आपके ओर आपके परिवार के लिये नई खुशियां लेकर आये"
वो आगे बोले "पिछले महीने हमने जो अपने जांबाज शेरों को खोया है उनको कोई नही भुला सकता। देश उनकी शहादत को हमेशा याद रखेगा"

मेजर ने अपना बोलना जारी रखा

```"फौजी बनना कोई मजाक नहीं है ।
गाँव का कोई लड़का जब सेना का जवान बनने का सपना देखता है, तो उसकी सुबह रोज़ 4 बजे होती है ।
उठते ही वह गांव की पगडंडियों पर दौड़
लगाता है, उम्र यही कोई 16-17 साल
की होती है ।
चेहरे पर मासूमियत होती है, और कंधे पर होती है घर की ज़िम्मेदारी
मध्यम वर्ग का वह लड़का, जो सेना में जाने की तैयारी में दिन-रात एक कर देता है, उसके इस एक सपने से घर में बैठी जवान बहन, बूढ़ी मां और समय के साथ कमज़ोर होते पिता की ढ़ेरों
उम्मीदें ही नहीं जुड़ी होती हैं, बल्कि
जुड़ा होता है एक सच्चे हिन्दुस्तानी
होने का फ़र्ज़"

मेजर साहब गर्व से कहते हैं.. 
"फ़ौजी बनना कोई मज़ाक नहीं है ।
फौज़ी इस देश की शान है, मान है, और
देशवासियों का अभिमान है । देश सेवा के लिए
फौजी हमेशा तत्पर रहते हैं ।
हमें न प्रांत से मतलब है और न ही धर्म से, हमें हें तो मतलब है, बस अपने देश से"

फिर अपना हाथ आगे करते हुए कहते हैं.. 
"आओ आज एक बार फिर से वो शपत ले कि हम फौजी
अपना सर कटा सकते हैं मगर माँ भारती के दामन पर कोई दाग नहीं लगने देंगे । हम कभी भी अपने फर्ज  से पीछे नही हटेगें चाहे कोई भी परिस्थिति क्यू ना हो"

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दिल्ली

दिल्ली यूनिवर्सिटी के बाहर एक लड़का और लड़की बैठे हुए थे इनके चेहरे पर परेशानी ओर चिंता के मिले जुले भाव थे, बार बार दोनो की नजर कॉलेज की तरफ आने वाले रास्ते पर जा रही थी।लड़का बोला "पता नही अभी तक कहा रह गयी है ,अब तक तो आ जाना चाहिए था उसे"

 लड़की चिंता करते हुए केहती है "जब घर से निकली थी तब बात हुई थी, उसके बाद बात नही हुई, मैं कब से कॉल कर रही हु वो मेरा कॉल ही नही उठा रही है, एक काम करो मोहित तूम कॉल करके देखो एक बार" 

 मोहित बोला "हा कोशिश करता हूँ"


वही दूसरी तरफ दिल्ली की भीड़ भाड़ वाली सड़क पर एक लडक़ी  बाइक तेज रफ्तार से चला रही थी"  उसके कानों में इयरफोन लगे हुए थे जो मोबाइल से कनेक्ट थे जिसमें HR के गाने बज रहे थे। 

सिर पर हेलमेट पहना हुआ था ।तभी उसका फोन बजा पर उसने नही उठाया। वापस उसका फोन बजा इस बार उसने फोन उठाया और बोली " कौन है बे "

सामने से आवाज आई "मोहित बोल रहा हु मैडम, कहा हो वैसे"
 वो बोली "रास्ते मे हु आ रही हु" 

मोहित परेशान होते हुए कहता है "अब आ भी जाओ हम काफी लेट ..... "
आगे की बात बिना सुने उसने फोन काट दिया और बाइक की रफ़्तार बड़ा दी । मोहित , पलक की तरफ देख कर बोला "यह लड़की कभी मेरी बात पूरी नही सुनती है"

 पलक अपनी नजर किताब में डालते हुए बोली "कुछ बताया उसने कहा है अभी तक"
मोहित कहता है " हा वो रास्ते मे है कुछ देर में पहुंच जाएगी"


कुछ देर बाद एक तेज रफ्तार बाइक आके उनके पास रुकी दोनो ने राहत की सास ली। बाइक सवार ने अपना हेलमेट निकाला जिससे उसके कमर तक लम्बे बाल थे जो हेलमेटब खोलते ही आजद हो गए थे जो अब हवा में उड़ रहे थे। यह है मीरा सक्सेना । 

जिसके बाय हाथ पर घडी पहनी हुई है, और दांए हाथ मे हाथ मे एक चाँदी का कड़ा था जिस पर ॐ बना हुआ था। उसने ऊची हिल वाले सेंडिल पहने हुए थे,हल्का सावलारंग, खूबसूरत सी पतली आँखे, काली जीन्स के साथ उसने काले रंग का टॉप पहना हुआ थ जिसके ऊपर उसने काले रंग का जैकेट डाला हुआ था।

मीरा चल कर उन दोनों के पास आई और बोली "क्या टाइम हुआ है"

 मोहित थोड़ा गुस्से से बोला "आज फिर लेट हो गए तेरी वजह से, तेरा यह रोज का है, पहले लेट करो फिर कोई बहाना बना लो"

 पलक ने उसे शांत कराया और मीरा से बोली "देर कैसे हो गयी"

मीरा बोली "मैं घर से तो टाइम पर ही निकली थी पर आधे रास्ते मे मुझे याद आया कि में अपना एड्मिट कार्ड घर पर ही भूल गई । मुझे वापस घर जा कर लेकर आने ने टाइम लग गया इसलिए देर हो गयी"

मीरा अपने दोनो कान पकड़ कर बोली "सॉरी गाइस आगे से देरी नही करुँगी, आज के लिए माफ करदो"

पलक बोली "कोई बात नही अब चलो जल्दी नही तो टीचर एग्जाम में बैठने नही देगा"
 मीरा ने मोहित की ओर देखा तो वो कॉलेज के अंदर चला गया। मीरा ने शांत रहना ही बेहतर समझा। क्योंकि जब कोई गुस्से में  होता है तो वो आपकी बात नही सुनता या सुनना ही नही चाहता।अगर आप भी  उसे गुस्से में समझाने की कोशिश करेंगे तो बात और बढ़ जायेगी इसलिए पहले उसे शांत होने दो फिर उसे आराम से अपनी बात समझाओ ।
 
सामने वाला आपकी बात सुनेगा भी ओर समझेगा भी। पलक ओर मीरा भी अंदर चली गयी। पलक ओर मोहित एक ही डिपार्टमेंट से थे दोनो कॉमर्स से ग्रेजुेएशं कर रहे थे और मीरा आर्ट्स से ग्रेजुएशन कर रही है। 

तीनो काफी अच्छे दोस्त है। मोहित व्यास दिल्ली से ही था ओर पलक मिश्रा राजस्थान के ब्राह्मण परिवार से थी। पलक शांत स्वभाव की लड़की थी। उसे पढ़ाई के अलाव बाकी किसी मे ज्यादा रूचि नही थी। वही मोहित पढ़ाई में तो ठीक ही था पर वो खाने का बड़ा ही शौकीन है।

2 घण्टे बाद मीरा एग्जाम हॉल से निकल कर कैंटीन की तरफ जाने लगी रास्ते मे मोहित ओर पलक भी मिल गए। तीनों कैटीन में आकर एक खाली टेबल पर बैठ गया। मीरा बोली "अब बताओ क्या खाओगे"

 पलक बोली कॉफ़ी बस मीरा ने मोहित की तरफ देखा तो वो मुँह फुलाकर बेठा था वो बोली "अब गुस्सा थूकने का क्या लेगा, और हाँ यह मैं आखरी बार पुछ रही हु ,कुछ लेना हो तो लेले बिल मैं दे दूँगी"

 मोहित हँसते हुए बोला "ठीक है तू इतना बोल रही है तो थूक देता हूं गुस्सा, पर मैं दो सेनविच खाऊँगा"  मीरा बोली ठीक है और उसने अपने ओर पलक के लिए एक एक ओर मोहित के किये 2 सेनविच ओर तीनो के लिए 3 कॉफी आर्डर कर दिए। ओर तीनो आपस मे आज के पेपर के बारे में बात करने लगे। ऑर्डर आया नास्ता कर तीनों अपने घर की ओर निकल गए। मोहित अपनी बाइक से, मीरा ओर पलक, मीरा की बाइक से अपने फ्लैट की ओर चल पड़े। मीरा ओर पलक दोनो साथ ही रहती है। आज मीरा देर से उठी थी इसलिए उसे तैयार होने में समय लग गया इसीलिए उसने मोहित को कॉल करके बुलाया और पलक को उसके साथ भेज दिया।

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आर्मी केम्प

कुछ दिन निकल गए एक दिन सुबह जय ओर अभिमन्यु दोनो जवानो को ट्रेनिंग करवा रहे थे तभी एक जवान दौड़ते हुए आया और बोला "कैप्टन आपको ओर कैप्टन जय को मेजर सर ने अभी अपने केबिन में बुलाया है"

 अभिमन्यु ओर जय दोनो जल्दी से मेजर के केबिन में पहुंचे। मेजर बोले "कैप्टन्स हमे इंफॉर्मेशन मिली है कि आने वाले 26 जनवरी  को कुछ आतंकी किसी हमले की फिराक में है"। 
अभिमन्यु सवाल करते हुए कहता है "सर आपको यह इन्फॉर्मेशन कैसी मिली? "

 मेजर एक आदमी की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं "इनका नाम है सलीम इन्होंने ही हमे उन आतंकवादियों की सूचना दी है इनके पास कुछ फोटो ग्राफ भी है उनके "
अभिमन्यु ने जब सलीम को देखा तो वो बोला "आप यहाँ कैसे" । मेजर साहब कॉन्फूज़ होते हुए कहते हैं "तुम जानते हो इन्हें"

 अभिनम्यु बोला  "सर यह सोफिया के अब्बा है" 
सलीम  अभिमन्यु को यहाँ देख कर खुश हो गया। वो बोला "सर मुझे पता नही था कि आप लोग  मेरी बात मानेगे या नही पर मैं अपनी बेगम के कहने पर यहाँ आया। मेरी बेगम ने कहा था कि हिंदुस्तान का एक एक सैनिक बहुत क़ीमती है । अगर वो लोग अपनी जान पर खेल कर हमारी रक्षा करते है तो हम भी उनकी छोटी सी मदद तो कर ही सकते है"


मेजर साहब सलीम को देखते हुए कहते हैं "तुमने हमे बताने से पहले किसे बताई थी यह बात"
 सलीम कहता है "सर मेने पहले घर जाकर अपनी बेगम को यह बात बताई, फिर में पुलिस के पास गया पर उन्होंने यह कह कर निकाल दिया कि तुम भी मुस्लिम हो ओर उनके जैसा ही हो! सर उन्होंने मेरी पूरी बात तक नही सुनी"

अभिमन्यु बोला "कोई बात नही हम उस पुलिस वाले को देख लेंगे। तुम हमे पूरी बात विस्तार से बताओ कि आखिर तुमने क्या देखा"


क्या सलीम सही केह रहा है, या है कोई साज़िश? क्या अभिमन्यु उन आतंकवादियों को रोकने मे कामयाब होगा? क्या होने वाला है 26 जनवरी को? 

जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी फर्ज़..... 


"तु दिखता भी मेरे जैसा है
तुझमे खून भी लाल है
फिर क्यों मै हिंदु
और तु केहलाता मुसलमान है "

।।जयसियाराम।।

vishalramawat

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3 Comments

अदिति झा

23-Feb-2023 06:45 PM

Nice part 👌

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बहुत खूब

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