Vishal Ramawat

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फ़र्ज(भाग:-8)

पार्ट 8
       
              अभिमन्यु को लगी गोली


अब तक आपने पढ़ा मेजर साहब बताते हैं की 26 जनवरी को आतंकवादि हमला करने की तैयारी कर रहे हैं ये बात उन्हे सलीम ने बताई है तो अभिमन्यु सलीम से पूछता है की क्या देखा उन्होंने... 

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अब आगे


सलीम ने बोलना शुरू किया वो याद करते हुए कहता है "आज सुबह मैं गुलाब के फूल लेने खेत पर गया था, वापस आते वक्त रास्ते मे एक चाय की दुकान पर चाय पीने बैठा था क्योंकि सुबह ठण्ड ज्यादा थी, जब मैं चाय पी रहा था तभी वहां 5 लोग आय उन्होंने चाय का ऑर्डर दिया और फिर आपस मे बाते करने लगे, वो लोग बाजार में किसी से मिलने जाने की बात कर रहे थे और बोल रहे थे कि वो समय पर सामान उपलब्ध करवा लेगा और हमे भी जगह पर पहुँचा देगा, 
वो लोग मुझे शुरू से ही अजीब लग रहे थे क्योंकि वो बार बार इधर उधर देख रहे थे, जैसे किसी से डर रहे हो, मेरी चाय खत्म होने के बाद भी मैं वही बेठा रहा! उन्होंने चाय पी ओर उन मेसे एक ने  कुछ खाने का सामान लिया उसके हाथ से कुछ सामान गिर गया जिसे उठाने वो जैसे ही निचे झुका उसके कमर के पास छुपाई हुई बंदूक मुझे दिख गईं , मैं उसे देख के डर गया ओर सतर्क हो गया और एक ने पैसे देने के लिए अपना पर्स निकाला जिससे उसके कंधे पर डाली हुई चदर सरक गयी, 
उसने एक बडी सी बंदूक को अपनी चदर से ढक कर रखा था जिसे मेंने देख लिया था । मुझे कुछ गलत लगा इसलिए मेने सावधानी के साथ उनके फ़ोटो ले लिए। उनमे से 2 लोग बाजार की तरफ गए और बाकी के लोग  जल्दी से वापस जंगल की तरफ चले गए , मैं वहा से सीधा घर गया और अपनी बेगम को सब बताया तो उसने कहा कि हमे यह बात पुलिस को बतानी चाहिए नही तो बहुत कुछ गलत हो जाएगा, इसलिए  मैं वहाँ से पुलिस के पास गया पर उन्होंने मेरी बात ही नही सुनी। मैं बाजार से घर की ओर आ रहा था कि मुझे कुछ आर्मी के जवान दिखे । मैं उनके पास गया और बोला कि मुझे कुछ बताना है मैंने उह सब बता दिया तो वो मुझे आपके पास लेकर आये"

मेजर साहब सारी बात सुनने के बाद बोले "ठीक है अब क्या करना है कैप्टन्स, आप लोगो के पास कोई प्लान है "

अभिमन्यु बोला "सर हम लोगो को 2 टीम बनानी चाहिए एक मैं लीड करुगा ओर एक कैप्टन जय, हम अपनी अपनी टीम के साथ जंगल को दोनो तरफ से घेरेंगे, और उन्हें पकड़ने की कोशिश करते हैं"

मेजर ने अभिमन्यु की बात पर सहमति जताई ओर ब्रिगेडियर सर से बात करने चले गए! 
कुछ देर बाद वापस आकर बोले "कैप्टन्स अपनी अपनी टीम को तैयार करो"
 दोनो ने मेजर को सैलूट किया और जाने लगे। मेजर बोले "कैप्टन"

 तो अभिमन्यु मेजर साहब को आश्वासन देते हुए कहता है " सर मै किसी को कुछ नही होने दूँगा ,बिना आपनी जान की परवाह किये सभी को सेफ रखुगा"

मेजर बोले "मुझे आप भी जिंदा चाहिए कैप्टन ,समझे आप" अभिमन्यु मुस्कुराया ओर सेल्यूट करके बाहर निकल गए। दोनो ने अपनी अपनी टीम को तैयार किया और उन्हें लेकर निकल पड़े अपनी मंजिल की ओर । 

जंगल के पास पहुँचने के बाद, दोनो ने दोनो तरफ से जंगल को घेर लिया था

“धायं-धायं" हर तरफ से आती गोलियों की आवाज से यह जंगल अब किसी ख़ौफ़नाक मंजर से कम नही लग रहा था।  हर तरफ धुआं ही धुआं कहीं गोलियों की आवाज तो कहीं ग्रेनेड के फटने के धमाके! हर तरफ अफ़रा-तफ़री का माहौल था! पास के गाँव के लोग घबरा कर इधर-उधर भाग रहे थे! इस खौफजदा माहोल से हर किसी की सांसें अटक गई थी!

जहां आर्मी को  सिर्फ 6-7आतंकवादियों के  एक गांव में छुपने की खबर मिली थी! तो आर्मी बेस से  ब्रिगेडियर साहब की अनुमति से मेजर सर ने कैप्टन अभिमन्यु के नेतृत्व में 8 सैनिकों की टीम भेजी थी! जिसमें एक कैप्टन सहीत 7 और जवान शामिल थे। ओर एक टीम को मेजर ने बाजार की ओर भेजा जिस तरफ वो दो आतंकवादी गए थे। कुछ जवान गांव खाली करवा रहे थे ।


लेकिन जब टारगेट वाली जगह पर अभिमन्यु की टीम पहुंची तो वहां का नजारा देखकर हर किसी के चेहरे पर टेंशन अपने आप आ गई! अभिमन्यु ने हमला करने से पहले मेजर सर को यहां के माहोल की सूचना दे दी और साथ ही कुछ और जवानों की टुकड़ी जल्दी से भेजने की बात बोल दी! अभिमन्यु अपनी टीम को बिना खौफ खाए आगे बढ़ने को तैयार कर रहे थे!


आतंकवादियों ने आर्मी की गोलियों से बचने के लिये धुंए के गोले फेके  जिससे चारो तरफ धुआ ही धुआ था।



लेकिन यहां कैप्टन अभिमन्यु जो सामने के हालातों से घबराएं बगैर आगे बढ़ चुके थे ! वह देखते ही देखते आतंकवादियों पर काल बनकर बरस पड़े! हर तरफ से आती गोली-बारूद की आवाज से और उठते धुंए से आसमां तक काला नजर आने लगा!

आतंकवादियों की संख्या कोई 30-35 के आसपास थी और कुछ और के छुपे होने की आंशका भी थी! सारे आतंकवादी हथियारों से लबरेज थे, और कोई बहुत बड़े हमलें के फिराक में थे! दोनों तरफ से गोलियों की आवाज से हर तरफ खोफ था! देखते ही देखते बहुत से आतंकवादी ढेर हो चुके थे ! 
और आर्मी के दो जवान बुरी तरह से घायल थे लेकिन कैप्टन साहब जिस तरीके से आतंकवादियों को मौत के घाट उतार रहे थे उनके जज्बे को देख घायल जवानों में भी जोश आ गया था! कैप्टन साहब के कंधे और हाथ में एक-एक गोली लग चुकी थी लेकिन उन्हें देख लग रहा था जैसे इस टाइम मौत भी आ जाएं तो उसे भी वह साइड कर दें! 

अभिमन्यु एक पेड़ के पीछे से एक आतंकवादी को निशाना बना रहा था तभी उसकी नजर सुनील  की तरफ गयी जो घायल तो था पर फिर भी लड़ रहा था उसके दाईं तरफ से एक आतंकवादी ने सुनील को निशाना बना रखा था यह देख अभिमन्यु जोर से चिल्लया पर गोलियों की आवाज से अभिमन्यु की आवाज सुनाई नही दी। तो वह सुनील की ओर दौड़ा तब तक आतंकवादी ने गोली चला दी थी।

 लेकिन अभिमन्यु ने जम्प किया और  सुनील को निचे गिरा दिया जिससे गोली अभिमन्यु की बाजू में लगी। और वो  निचे गिर पड़ा। ओर वो बेहोश हो गया जवानों ने उनको सम्भाला तब तक आर्मी वालो की बाकी टीम भी पहुंच चुकी थी जय ने उन दोनों आतंकवादी को ढेर कर दिया!


जब सब आतंकवादी मारे जा चुके थे तो उस जगह की तलाशी ली जा रही थी और घायल जवानों को उनको सेना की गाड़ी से वापस कैप के हॉस्पिटल ले जा रहे थे! सब कुछ चेक करने के बाद जब सब वापस जाने लगे। उनको वहाँ बहुत सी एक47 गन मिली कुछ जिंदा बारुद ओर दो टाइम बॉम्ब भी मिले।


जय, अभिमन्यु ओर बाकी घायल जवानों को हॉस्पिटल में एडमिट करवा कर मेजर सर को आज के ऑपरेशन की रिपोर्ट देने चला गया। कुछ देर में जय के साथ मेजर सर ओर बिग्रेडियर सर भी हॉस्पिटल पहुंचे। 3 घन्टे से ज्यादा देर तक अभिमन्यु का ऑपरेशन चला। ऑपरेशन खत्म होने के 1 घण्टे बाद उनको होश आया। जय के साथ जब मेजर सर ओर बिग्रेडियर सर उससे मिलने कमरे में गये तो वो उठने की कोशिश करने लगा। बिग्रेडियर सर ने उसे लेटे रहने का इशारा किया तो वो बोला "सर सभी जवान सुरक्षित है ना"। मेजर मुस्कुराते हुए बोले "जब आप ओर जयदेव जैसे कैप्टन्स मिले हो तो कैसे किसी को कुछ भी हो जाय" 


2 दिन बाद कैप्टन अभिमन्यु को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी और वो सीधा मेजर सर से मिलने गया । उसे वहाँ इस हालत में भी देख मेजर को कोई आश्रय नही हुआ। क्योंकि वो जानते थे कि अभिमन्यु ने हमेशां अपनी ड्यूटी को खुद से ज्यादा अहमियत दी है। 

 मेजर ने कैप्टन जय को बुलाने के लिए एक जवान को भेजा। जब जय आया तो अभिमन्यु ने ऑपरेशन के बारे में पूछा। जय ने बताया कि "जब वो अपनी टीम के साथ बताई गई जगह पहुंचे तो उन्होंने देखा कि एक आदमी घर के बाहर फोन पर बात कर रहा था ,कुछ देर बाद वो अंदर चला गया। सभी जवानो ने घर को चारों तरफ से घेर लिया। जवानो ने अचानक हमला कर दिया जिससे आतंकवादीयो को संभलने का मौका नही मिला। अंदर 5 लोग थे। एक भागने की फिराक में था इसलिए उसे गोली मार दी वो तो वही ढ़ेर हो गया। हमने 4 को पकड़ लिया और सारे हथियारो को जब्त कर लिया। 
जब हमने कड़ाई से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि वो 26 जनवरी को बड़ा धमाका करने वाले थे"। 

अभिमन्यु बोला "उनका मददगार कौन था"। 

मेजर बोले "पास वाले शहर का एक व्यापारी था हमने उसे भी हिरासत में ले लिया है। ओर उससे भी पूछताछ की जा रही है"। अभिमन्यु बोला, "लोग कैसे हो गए है कुछ पैसो के लिए अपने देश को ही बेच देते हैं" मेजर ने अभिमन्यु को आराम करने भेज दिया।



शाम के समय अभिमन्यु चाय का कप लेके बाहर पत्थर पर बैठ कर डूबते हुए सूरज को देख रहा था। तभी उसका फ़ोन बजा । उसने फ़ोन में नाम देखा जिसे देख कर उनके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गयी। उसने उठाया और बोला प्रणाम माँ....

कौन है अभिमन्यु की माँ? और अगर अभिमन्यु की माँ जिंदा है तो अभिमन्यु के सपने मे आने वाले लोग कौन हैं? 

जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी फर्ज़.... 

कमशः

।। जयसियाराम ।।

vishalramawat"सुकून"(जाना)
#वन

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4 Comments

अदिति झा

23-Feb-2023 06:45 PM

Superb

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Sushi saxena

22-Feb-2023 10:29 PM

👌👌

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Abhinav ji

22-Feb-2023 08:11 AM

Suspense hai . Very nice 👌

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