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जीवन-उद्देश्य

जीवन-उद्देश्य
उद्देश्य 
हार से जीत से कुछ न लेना हमें,
बस लगन चाहिए ज़िंदगी के लिए।
देख,काशी में काबा में रखा है क्या-
बस किशन चाहिए वंदगी के लिए।।
           है ये दुनिया का कितना बड़ा दायरा!
           इक से इक बढ़ के दौलत नशीं हैं यहाँ।
           पर हमारा न दौलत से नाता कोई -
           बस किरन चाहिए रौशनी के लिए।।
कुछ को शोहरत की रहती यहाँ लालसा,
कुछ को रहता नशा यार-दिलदार का।
हमको चहिए न दुनिया की कोई खुशी-
बस नमन चाहिए हर खुशी के लिए।।
          लोग दुनिया के अपनों में मशगूल हैं,
          चैन-अम्नो-ख़ुशी से ये महरूम हैं।
          मर मिटे दूसरों पर ये सीखा नहीं-
          बस, 'करन' चाहिए बानगी के लिए।।
लाख कोशिश किया हमने सुलझाने की,
ज़िंदगी उलझनों में उलझती गयी।
उलझनों से न कोई बचा है यहाँ-
बस,मनन,चाहिए रुख़्सती के लिए।।
         चैन चित में नहीं,चैन दिल में नहीं,
         लगते बाहर से केवल वो जानो सुखी।
          वाह्य आडम्बरों से जो नफ़रत करे-
          बस वो मन चाहिए सादगी के लिए।।
सबके महले-दोमहले बहुत हैं यहाँ,
पर जो देखा तो कोई नहीं है सुखी।
लोग रहते हर इक पल परेशाँ यहाँ-
बस,लगन, चाहिए ज़िंदगी के लिए।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
   ओ919446372

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1 Comments

Abhinav ji

23-Feb-2023 09:11 AM

Very nice 👌

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