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बेबी...लेट मी किल यू ! ( चैप्टर - 4)

चैप्टर - 4


अब तक आपने पढ़ा 

वो अनजान दुल्हन जिसका नाम है तो दक्षता मगर वो धरा गोस्वामी बन कर न्यूयॉर्क से भारत आई अपना कोई पुराना बदला लेने जिसमे उसका साथ कोई अनजान शख्स दे रहा वही रुद्राक्ष अपने दोस्त अवदान को सारी बात बता कर घर आने को कहता हैं और कमरे में जाते ही दक्षता को देख गुस्से में उसे जाने को कहना मगर दक्षता का उसे और गुस्सा दिलाना रूद्राक्ष को पागल कर देता है वो कमरे से जैसे ही जाता है दक्षता का व्यवहार बदल जाता है और वो सिसकियां भरने लगती है। 

अब आगे...... 

दक्षता या कहे की धरा कि राते सिसकियों से बीत जाती हैं वहीं रुद्राक्ष अपनी रात गेस्ट रूम में सो कर बीता देता है और जगत नारायण जी की तो नींद ही गायब थी अपने बच्चे की फ़िक्र में।

नैनीताल की एक खूबसूरत सुबह , सूर्य की किरणें नैनी झील से होकर पूरे नैनीताल में सबको मीठी नींद से उठाने एक एक कर सबके घरों से झरोखों से उसके आंखो तक सुप्रभात कहने पहुंच चुकी थी।और साथ साथ दक्षता के आंखो को भी वो किरणे चूम कर जगा रही थी सूर्य की किरणे के आंखो पर पड़ने से दक्षता कसमसा जाती हैं और दूसरे ओर मुड जाती हैं और नींद में एक तकिया फेंक कर चिल्लाती हैं -" भाई!..... खिड़की बंद करो....।" मगर फिर वो झटके से उठती है जब उसे याद आता हैं अब वो अपने घर नहीं बल्कि माहेश्वरी पैलेस में आ चुकी हैं कल हुई हर बात को सोचते हुए वो बाथरूम में जाती हैं और नहा धोकर किसी नई नवेली दुल्हन की तरह लाल साड़ी पहन तैयार हो जाती हैं। 

हॉल में सुबह नहाकर न्यूज पेपर पढ़ रहे जगत नारायण जी रूद्राक्ष को आते देखते है और न्यूज पेपर पढ़ते हुए कहते है - " रुद्राक्ष माहेश्वरी द प्ले बॉय !" 

रुद्राक्ष सोफे पर बैठते हुए खीझ कर कहता है - " चाचा जी सब पैसे का बोलबाला है मुंह पर मारूंगा न्यूज बंद !" 

" पर इसका मतलब आप समझ रहे है कि आप अगर इस लड़की को छोड़े तो बहुत उंगलियां उठने वाली है आप पर। रुद्र बेटा , भाई जी के जाने के बाद हम बहुत टूट गए थे। वो घटना याद कर आज भी रूह कांप जाती है , आप कोई ऐसा काम मत करिएगा कि हमारे संस्कारो पर उंगली उठे। नाश्ते के पहले बात होगी, घर के सभी लोगो को बुलाइए और अपनी पत्नी को भी बुला लाइए!" 

" वो पत्नी नही है मेरी!" रुद्राक्ष ये बात कहते हुए चला जाता है।और बाकी सभी हॉल में बैठे एक दूसरे का मुंह देखने लगते है आख़िर उन्हे भी समझ नहीं आ रहा था कि वो लड़की आई क्यों ?कुछ देर में रुद्राक्ष अकेला ही नीचे आता हैं और उसके चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान होती हैं सभी उसके आगे पीछे देखने लगते हैं मगर वो अनजान दुल्हन उन्हे कहीं नहीं दिखती। 

" रुद्राक्ष हमने कहा था अपनी पत्नी को लेकर आइए..." जगत नारायण जी अपनी जगह से उठते हुए कहते हैं जिनके बात के जवाब में रुद्राक्ष व्यंगता से हंसते हुए कहता हैं - " नहीं हैं वो मेरी पत्नी!!....और ये बात शायद उस लड़की को भी पता चल चुका इस लिए सुबह होते ही यहां से भाग गई।" रुद्राक्ष जगत नारायण जी को खुशी से गले लगा लेता हैं संयुक्ता दादी के चेहरे पर भी एक संतुष्टि की खुशी दौड़ जाती हैं -" ये तो बेहद खुशी की बात हैं, जगदीश!.....मिठाई लाओ सबके लिए , आज ये खुशी का पल सबका मुंह मीठा करके सेलिब्रेट करेंगे......" दादी खुशी से जगदीश नौकर जो को इस घर का सबसे पुराना नौकर हैं उससे कहती ही हैं कि तब तक दक्षता हाथों में हलवे का कटोरे से भरे ट्रे लिए मुस्कुराते हुए सबके पास हॉल में आती हैं -" वहीं तो....दादी जी!..इस लिए मैं आप सबसे लिए हलवा लेकर आई हु।" दक्षता को वहा देख सबके होश उड़ जाते हैं आखिर सबको लगा जो था कि वो वहां से चली गई और उनकी बला टली । 

" हमे तो लगा बला टली..!" दादी उसे हैरानी और परेशानी से देखते हुए सोचती है।और दक्षता उनके पास मुस्कुराते हुई हाथों में हलवे की एक कटोरी लिए आती हैं और दादी के ओर बढ़ाते हुए कहती हैं -" उसे बला नहीं बहु कहते हैं ददिया सास जी...!" 

" ये क्या हैं?" रुद्राक्ष गुस्से में उसे देखते हुए बोला। 

दक्षता प्यार से मुस्कुरा कर रुद्राक्ष के पास आ जाती हैं और हलवे का ट्रे दिखाते हुए कहती हैं - " ध्यान से देखिए  सईया जी......( सईया जी को खींच कर रुद्राक्ष के मुंह के सामने हलवा करती है ) हलवा कहते हैं इसे , ( हलावे का ट्रे वही सोफे के सामने रख देती हैं और अपने सिर पर हाथ मार लेती है ) आप तो कुछ नहीं मालूम...सब मुझे ही बताना होगा।" 
उसकी बात सुन रुद्राक्ष का गुस्सा और बढ़ जाता है और वो गुस्से में वो हलवा झटक कर दक्षता के हाथो से गिरा देता हैं जिससे अगले ही पल वो हलवे की कटोरी ज़मीन पर नाच रही थी और हलवा हर तरफ बिखरा हुआ था और आधा हलवा दक्षता के हाथ पर गिर जाता हैं हलवा इतना गर्म था जिसका दर्द तुरंत दक्षता के हाथों पर महसूस कर पा रही थी वो।मगर इस वक्त रुद्राक्ष उसके हाथो पर नहीं बल्कि उसके बातों पर ध्यान दे रहा था। 

" हिम्मत कैसे हुई , कल जो हुआ उसके बाद भी तुम यहां  गई नहीं कोई सेल्फ रिस्पेक्ट है कि नहीं?" रुद्राक्ष का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था। 

" बस!....सब चुप चाप हमारी बात सुनिए हम सिर्फ एक ही बार बोलेंगे।" जगत नारायण जी सोफे पर बैठते हुए कहते हैं सभी परिवार वाले एक ओर बैठ जाते हैं और धरा एक ओर विपरीत दिशा में अपने दर्द को अपनी मुस्कान के नीचे छिपाते हुए खड़ी रहती हैं। 

" तो आप है कौन?" जगत नारायण जी दक्षता को देखते हुए पूछते हैं -" और यहां आई क्यों हैं?" 

" ये एक लालची लड़की हैं!" संयुक्ता दादी गुस्से में दक्षता को देखते हुए कहती हैं जिसपे जगत नारायण जी उन्हे शांत रहने को कहते हैं। 

" हमने ये सवाल जिससे पूछा जवाब भी वहीं देंगी ( सबकी ओर नज़र घुमा कर ) बल्कि जिससे भी सवाल करे जवाब बस वहीं दे तो बेहतर होगा ,समझे!" 

" ध....धरा गोस्वामी... नाम....नाम है मेरा...।" दक्षता अपने साड़ी के आंचल को घुमाते हुए नीचे देख लड़खड़ाती जुबान से बोल रही होती है। 

" डरिए मत, निर्भिक होकर बोलिए।" जगत नारायण जी दक्षता जो कि उनकी नज़र में धरा हैं उससे कहते हैं। 

" हुह....ये लड़की सब नाटक कर रही....मैने रात में ही इसका असली चेहरा देखा....." रुद्राक्ष गुस्से कहता ही हैं की दक्षता उसकी बात काट देती हैं -" प्लीज़..... प्लीज़.....कल रा....रात की बात किसी से मत कहिए..." 

धरा डरते हुए रुद्राक्ष को देख कहती हैं। 

" कल रात में क्या हुआ?" रेणुका जी सहमी सी खड़ी दक्षता के पास जाती हैं और उसके कंधे पर हाथ रख पूछती है जिसपे दक्षता उनके गले से लग जाती हैं और रोने लगती है सभी उसके यूं रोने से हैरत में पड़ जाते है। 

" क्या हुआ कल?" जगत नारायण जी दक्षता की ओर देख पूछते हैं इस वक्त पूरे माहौल में शांति छाई होती हैं और इस शांत को तोड़ते हुए दक्षता सिसकियां भरते हुए अपनी गीली पलके उठा कर रुद्राक्ष को देखती हैं फिर बाकियों को। 

" इसमें.... इसमें इनकी कोई गलती नहीं..." दक्षता बोल ही रही होती है की जगत नारायण जी बीच में बोल पड़ते है -" आप सब साफ़ साफ़ बताइए अगर आपके साथ कुछ ऐसा हुआ जो नहीं होना चाहिए तो हम रुद्राक्ष को सज़ा देंगे।" 

" नहीं नही!....मैं नहीं चाहती मेरे होते हुए कोई भी उन्हे सज़ा दे....कल...कल वो कमरे में...आकर हमे बिस्तर पर धकेल कर ..... ख़ुद...खुद....( दक्षता के आंखो में आंसू आ जाते हैं जो सबको असली लग रहे थे सिवाय रुद्राक्ष के ) 

जगत नारायण जी -" आप बे खौफ बोलिए।" 

" वो ख़ुद...हमारे ऊपर लेट कर....मेरा दुप्पटा हटा कर मेरे ब्लाउज के खोलते हुए....मुझसे पति होने का हक......" और इतना बोल वो फूट फूट कर रोने लगती है वही सभी हैरानी से रुद्राक्ष को देख रहे होते हैं रेणुका जी तुरंत दक्षता को गले से लगा अपने आंचल से छिपा लेती है और गुस्से में रुद्राक्ष के देख जवाब मांग रही थी। 

" आर यू आउट ऑफ माइंड? डिस्गस्टिंग गर्ल...!" रुद्राक्ष आगे बोलता कि जगत नारायण जी गुस्से में रुद्राक्ष का हाथ पकड़ पूछते है - " ये क्या है रुद्राक्ष..? आप उन्हे पत्नी भी नही मानते और ये सब...? हमे आप पर बहुत भरोसा था पर!" 

" तो भरोसा करिए न , ये लड़की झूठी है और चालबाज भी!" 

" एक लड़की कुछ भी कह सकती है , पर अपने बारे में ये सब बाते...?" और दक्षता सिसकियां भरने लगती है। 

" तो तुम रुद्राक्ष को जानती कैसे हो? एक रात में कोई ये कदम नहीं उठाएगा!" दादी जी हैरत से पूछती है। 

" वही तो मै भी कह रहा दादी!" रुद्राक्ष अपनी सफाई देता है। 

" कल रात रुद्र की कोई गलती नही , क्युकी हम पहले भी तो एक दुसरे को उसका हक दे ही चुके है , न्यूयॉर्क याद हैं आपको...." दक्षता भागते हुए रुद्राक्ष का हाथ पकड़ गिड़गिड़ाते हुए कहती हैं मगर रुद्राक्ष अपना हाथ झटक देता हैं -" मैं तुमसे पहले कभी नहीं मिला हू.....।" 

" नहीं मिले....नही मिले हम कभी? तो वो रात जब आप मुझे प्रपोज किए और हमने साथ में एक रात गुजारी उसका क्या ,वो भी भूल गए आप...( रोते रोते चीखती है) हमारे उस बच्चे को भूल गए जो आपके करियर के लिए कभी इस दुनिया में आ ही नही पाया.... बोलीए... रुद्र...बोलिए....बोलिए...." कहते कहते दक्षता फुट फुट कर रोते हुए वहीं जमीन पर गिर जाती है। 

" ये क्या बोल रही हैं ये....रुद्राक्ष जवाब दीजिए।" जगत नारायण जी दक्षता की ये हालत देख रुद्राक्ष पर बिफर पड़े। 

" मैं...मैं नहीं जानता ये लड़की क्या बोल रही चाचा जी..." रुद्राक्ष घबराते हुए सफाई देने लगता है। 

" हमे तो ये लड़की ही झूठी....." दादी बोलने ही वाली थी कि दक्षता अपनी जगह से उठ कर अपने हाथो से आंसू पोंछ कर बोलना शुरू करती हैं -" जनवरी की बात हैं जब ये न्यूयॉर्क आए थे......" 

" हां!....मैं गया था न्यू यॉर्क तो उससे तुम्हारा और मेरा क्या लेना देना...?" रुद्राक्ष उससे परेशान होकर कहता है। 

" तकरीबन छः महीने की बात है .....!" 

छः महीने पहले........ न्यू यॉर्क

जारी है....!!

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2 Comments

Sushi saxena

26-Feb-2023 10:43 PM

Nice 👍🏼

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शानदार भाग

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