Rakesh rakesh

Add To collaction

लेखनी दैनिक प्रतियोगिता कविता -25-Feb-2023 इश्क बेकाबू

जग की रीत, सजा दिए ना छोड़ी प्रीत,

मेरे लिए सब ठीक, उसकी है, नाजायज प्रीत।
यह जाने इश्क जोड़ें नफरत तोड़े,
तभी तो नाजायज कहने वाले,
इश्क करना ना छोड़े। 
इश्क का अर्थ प्रेम लेना-देना, 
नाजायज इश्क समझे, 
वासना का खिलौना।
 इश्क करना जानता, 
सच्चा झूठा नहीं पहचानता,
यह दुख समझे हर इंसान,
तो नाजायज इश्क करके,
सहना पड़ेगा अपमान।
 जायज नाजायज इश्क का,
फैसला कर देगा खुद संसार।
तू बस इश्क का सुख-दुख उठा।
नाजायज का प्रतिकार करे संसार, 
तो नाजायज की परिभाषा,
भी बताए संसार।
मन के भाव जब हो शुद्ध,
तो नाजायज सुनकर होता दुःख है।
इश्क से नफरत भी सही,
जब मनचाहा इश्क सबको मिलता ही नहीं। इस लड़ाई मैं हारा, क्यों नाजायज इश्क का प्रतिकार करना समझे आप, हक़ है, हमारा।

   18
5 Comments

बहुत ही उम्दा सृजन

Reply

बहुत सुंदर

Reply

Alka jain

01-Mar-2023 06:49 PM

Nice 👍🏼

Reply