ठिकाने खुशी के
ठिकाने खुशी के
ठिकाने खुशी के कब हैं बदलते
ये हर समय तेरे साथ साथ हैं चलते
हम ही नादां हैं जो रोज इन्हे पाने को हैं मचलते
एक सुकूं मिल जाए तो भूल कर दूसरे की होड़ में हैं जलते।
खुशी क्या है एक अहसास एक संतोष ही तो है
फिर भी ना जाने कैसी लगी है ये दौड़
भागते फिर रहे हैं हम लोग उसकी तलाश में
जो बसा है तेरे अंदर उसे ढूंढते फिर रहे चहुं ओर।।
आभार – नवीन पहल – ११.१०.२०२१ ❤️🌹🌹🙏🏻
# प्रतियोगिता हेतु
Alka jain
01-Mar-2023 06:43 PM
Nice 👍🏼
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Renu
27-Feb-2023 11:06 PM
👍👍🌺
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Muskan khan
27-Feb-2023 09:56 PM
Nice
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