Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -28-Feb-2023 कछुआ और खरगोश की कविता

शीर्षक-कछुआ और खरगोश की कविता
आओ बच्चों तुम्हें सुनाते,
बचपन की कहानी बताते।

कछुआ खरगोश की थी कथा,
कछुआ था सीधा खरगोश टेढ़ा।

खरगोश ने दिखाई चालबाजी,
कछुए से शर्त लगा डाली।

सुन मेरे भाई कछुए,
चलो आज दौड़ लगाते।

सुनकर खरगोश की बात,
हुआ अचंभा आज।

कछुए ने कर दी हाॅं,
खरगोश जोर से हंसा।

खरगोश था बहुत आगे,
ली उसने लंबी सांसे।

कछुआ अभी न आया,
करलू आराम भाया।

खरगोश की लगी झपकी,
कछुए की जब नजर पड़ी।

कछुआ आगे रहा बढ़ता,
खरगोश देख हुआ हक्का-बक्का।

देखा उसने निकल गया समय,
बिना रुके बढ़ाए कदम।

कछुआ पहुंच गया प्रथम,
खरगोश का घमंड हुआ खत्म।

खरगोश ने कही बात,
कभी ना करना घमंड आप।

समय है बलवान,
जीवन को करे खुशहाल।

यही कहानी का सार,
जोड़ती जीवन का तार।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

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9 Comments

Alka jain

01-Mar-2023 06:28 PM

Nice 👍🏼

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Renu

01-Mar-2023 05:23 PM

👍👍🌺

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Swati chourasia

01-Mar-2023 09:04 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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