तमाशा
नटबाज आते करतब दिखाते
ढोलक बजा, बजा कर वे
सारा मोहल्ला इकट्ठा करवाते
क्यों जमुरे हां सरकार की आवाज लगाते
अपने जमुरे को उल्टा पुल्टा नचवाते
बंदर की शादी वो बंदरिया से करवाते
दो खंभों के बीच बांस का डंडा पकड़ाते
अपने बच्चों से रस्सी पर डंके लगवाते
उस नाजुक सी रस्सी पर चक्के भी चलवाते
खुद ही खेले जा रहे तमाशे को चिल्ला चिल्ला कर बताते
ये नटबाज तमाशबीन के चेहरे पर मुस्कुराहट है लाते
तालियों की गड़गड़ाहट से खत्म होता सारा खेल ये
लोगों को थोड़े से बुद्धू भी बनाते
जिंदगी संवारने ,बुरी नजर से बचाने
वाले ताबीजों की भी बिक्री करजाते
अपनी घरवाली से पैसे इकट्ठे करवाते
भई मेहनत के पैसे कमाते जो तमाशा दिखाके
कभी-कभी बरकतों की बोली से भी नवाजते
चंद मिनटों में अपना सामान बटोरते
और एक नई जगह को निकल जाते
फिर से एक नया तमाशा दिखाने
क्योंकि जिंदगी को जीने के लिये
पहनने पड़ते हैं तन पर कपड़े
भरने पड़ते है खाली पेट सबके
पर ये नटबाज आज गुम से हो गये
जो करते थे मनोरंजन सबका तमाशा दिखाके ,तमाशा दिखाके
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आज भी तमाशे होते हैं
हर गली हर मोहल्ले में
अपने ही करतूतों से
सब को आकर्षित करते
कभी चिल्ला चिल्ला करके
तो कभी गंदे इशारों से
कभी अश्लील बौछार करके
तो कभी लोगों को अपमानित करके
यह तमाशा खड़ा करते
तमाशबीन की भीड़ भी कुछ नहीं करपाते
ये लोगों को तमाशा दिखाते हाँ
एक नफरत भरा तमाशा दिखाते
ऐसे तमाशा दिखाने वालों के
आज तादाद बढ़ से गये
ना जाने ऐसे तमाशे दिखाके
ये कौन सा सुकून है पाते ,ये कौन सा सुकून है पाते
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