लेखनी दैनिक प्रतियोगिता कहानी कविता -04-Mar-2023 सृष्टि के रचयिता
दुनिया के रचेता उत्तर की है, दरख्वास्त, चंदा मांग कर क्यों करना पड़े, अंतिम संस्कार।
जब तक ना भरे पेट, जब तक जेब में ना हो नोट।
अपना हक मांगे पूरा, दूजे का हक भी ना छोड़े थोड़ा।
दूजे के संकट में ना दे साथ, अपने संकट में हो सब पास।
प्यार संबंध का पहला कायदा, देखो अपना फायदा।
ऐसी बनी दुनिया कुरुप, ईर्ष्या क्रोध लालच वासना को ना जाने दे अपने से दूर।
संतान पत्नी से करें प्रेम, मां बाप को क्यों समझे गैर।
खुद मांगे सुख, दूजे को चाहे कितना भी सहना पड़े दुख।
पहले खुद को देख, फिर सृष्टि रचेता से होगी बहस।
डॉ. रामबली मिश्र
05-Mar-2023 05:29 PM
👏👏
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Reena yadav
04-Mar-2023 11:25 PM
🙏👌💐
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सीताराम साहू 'निर्मल'
04-Mar-2023 11:13 PM
बेहतरीन
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