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आवाज़ दो

..................ग़ज़ल....................
          (आवाज़ दो )

ग़म से बोझिल हुयी हैं पलकें,ग़मख़्वार को आवाज़ दो,
इक़रार है मुहब्बत का उनसे क़ाज़ी ख़ान  को आवाज़ दो।

बहुत इसरार किया हमने वो हैं कि कान नहीं देते,
टूटा है अब सब्र बांध का दिलवर  को आवाज़ दो।

कितना दिलक़श मंज़र होगा जब मिल जायेंगे हम दोनो,
ये यादें क़ायम रखने को फिल्मकारों को आवाज़ दो ।

मौका ही एंसा आया है,सजना-संवरना भी ज़रूरी है,
सब सखी सजायेंगी मुझको आबकारों को आवाज़ दो।

मुराद मेरी होने को है पूरी,ये ख़ुशी न समाती है दिल मे,
दीवानी सी हुयी जाती हूं,अब चारागर को आवाज़ दो।

आबकारों------ क्वारी लड़कियां 

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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3 Comments

Renu

05-Mar-2023 10:27 PM

👍👍🌺

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Haaya meer

05-Mar-2023 10:20 PM

👌👌

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Sachin dev

05-Mar-2023 10:13 PM

Nice

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