ततैय्या का घर
ततैय्या का घर
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पड़ोस मे रहती थी वह हमारे,
पति से परित्यक्त,समाज से वहिष्कृत
घर वालों से अनाद्रित
कोई भी तो नहीं था उसके साथ,
शायद ईश्वर ही अद्वितीय साथी सहायक थे उसके
इतने सालों मे कुछ भी तो नहीं बदला उसके साथ,
न कभी बीमार हुयी न कभी उसके तेवर बदले।
हर कोई उस से दूर दूर रहता था,
डरते थे कि अगर ततैय्या के छत्ते को छेड़ दिया
तो बचाने वाला कोई नहीं आयेगा।
शक्ल सूरत से वह बहुत सुन्दर थी ,
और ज़बान से उतनी ही कड़वी।
मैं भी न जाने क्या सोच कुछ मिठाई ले कर
चला गया उसके पास
क्या है यह,क्यों आए हो मेरे पास
क्या उस गुण्डे मवाली का फ़िर कोई पैग़ाम लाए हो।
सब समझ गया था मैं,अति दुशकर्म पीड़िता,
समाजिक न्याय से वंचित वह नारी
प्रतिशोथ लेने को विवश थी,
समाज परिवार, न्यायालय कोई नहीं था जो
सत्य जान ना समझना चाहता।
बहुत प्रयत्न कर के मैं उसके नैराश्य विवशता को दूर कर पाया।
आज वह एक शिक्षिका है,सभी बच्चों की अम्मा है और ख़ुश हैं अपने जीवन मे।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Renu
05-Mar-2023 10:28 PM
👍👍🌺
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Haaya meer
05-Mar-2023 10:21 PM
👌👌
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Sachin dev
05-Mar-2023 10:14 PM
Nice
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