प्रीत-06-Mar-2023

प्रतियोगिता

दिनांक 06/ 03 /2023
विषय:- स्वैच्छिक
विधा:- मुक्त छंद
शीर्षक:- प्रीत
आनंद समूह अटूट र
                  (१) 
प्रीत में ना कोई अनुबंध। 
नहीं है जाति से संबंध। 
प्रीत की परिधि नहीं कोई, 
किसी की होती ना पाबंद। 
               (२) 
प्रीत में होती ना अनरीत। 
मीत की होती है यह मीत। 
भले हो आलम फिर जैसा ,
प्रीत की होती हरदम जीत। 
           (३) 
प्रीत है हिरदय का उद्गार । 
प्रीत है नैनो का व्यवहार । 
प्रीत अब कर ले रे प्राणी,
करे क्यों जादा सोच विचार। 
              (४) 
प्रीत की रीत निराली है। 
मेरी यह देखी भाली है । 
जानता वही इसे यारो,
कि जिसने दिल में पाली है। 
              (५) 
जब से की प्रेम बेल बोई।
नयनों से निंदिया है खोई। 
विनोदी ह्रदय बहुत रोया, 
भले ही अखियां ना रोई। 

के एल सोनी विनोदी महाराजपुर जिला छतरपुर मप्र

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4 Comments

अदिति झा

07-Mar-2023 08:25 AM

Nice 👍🏼

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बेहतरीन

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Swati chourasia

06-Mar-2023 01:15 PM

बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌

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