इश्क़ को वहशत नहीं बनने देते
हम कभी इश्क़ को वहशत नहीं बनने देते
दिल की तहज़ीब को तोहमत नहीं बनने देते
लब ही लब है तो कभी और कभी चश्म ही चश्म
नक़्श तेरे तिरी सूरत नहीं बनने देते
ये सितारे जो चमकते हैं पस-ए-अब्र-ए-सियाह
तेरे ग़म को मिरी आदत नहीं बनने देते
उन की जन्नत भी कोई दश्त-ए-बला ही होगी
ज़िंदा रहने को जो लज़्ज़त नहीं बनने देते
दोस्त जो दर्द बटाते हैं वो नादानी में
दर-हक़ीक़त मिरी सीरत नहीं बनने देते
फ़िक्र फ़न के लिए लाज़िम मगर अच्छे शायर
अपने फ़न को कभी हिकमत नहीं बनने देते
वो मोहब्बत का तअल्लुक़ हो कि नफ़रत का 'नदीम'
Alka jain
09-Mar-2023 04:52 PM
Nice 👍🏼
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Abhinav ji
07-Mar-2023 08:41 AM
Very nice 👌
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Swati chourasia
07-Mar-2023 06:57 AM
बहुत खूब
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