लेखनी अफसोस -07-Mar-2023
अफसोस
अपनी तो हर एक मोहब्ब्त ही बेपनाह रही
दोस्ती हो या चाहत सामने से लापरवाह रही
हमने जब खोल कर रख दिये जख्म अपने
महफ़िल में हर ओर से बस वाहः वाहः रही
खुद का भविष्य अपनों के सपने तोड़ दिये
खमोशी, उदासी औऱ तेरी सिर्फ चाह रही
जवानी में इस बुढ़ापे की बजा बस इतनी है
एक भोली लड़की से मोहब्बत बेपनाह रही
तुमसे बिछड़ कर मेरे सारे रास्ते बंद हो गये
तुम जानती हो बस एक आखिरी राह रही
सारी ख्वाहिशें पूरी हुई तेरी एक मुझे छोड़
एक मैं हूँ जहाँ हर इक ख्वाहिश गुनाह रही
लोगों ने बजा पूछी क्यो हो बुझे बुझे ऋषभ
खमोश लब रहे पीड़ा मय बस इक आह रही
Renu
08-Mar-2023 09:49 PM
👍👍🌺
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Haaya meer
08-Mar-2023 09:37 PM
Nice
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madhura
07-Mar-2023 02:54 PM
nice
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