Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -07-Mar-2023 रंग बिरंगे रंग

 गणेश एक प्राइवेट अस्पताल की  केमिस्ट की दुकान पर काम करता था। पैसे और दवाइयों की हेराफेरी करने के जुर्म में उसे 5 साल की सजा हो जाती है। पूरी सजा काटने के बाद वह जिस शहर में रहता था, उस से बहुत दूर एक अनजान गांव में अपनी बेटी और पत्नी के साथ किराए का मकान लेकर रहने लगता है। और सब गांव वालों से कहता है कि "मैं  डॉक्टर हूं।" क्योंकि उसे दवाइयों की बहुत अच्छी जानकारी थी। 


जब गांव वालों को उसकी दी हुई दवाइयों से फायदा होने लगता है, तो सब गांव वालों  मिलकर उसे एक डॉक्टर की दुकान खोल कर दे देते हैं। और दूसरे गांव के लोग भी उसके पास दवाइयां लेने आने लगते हैं।

 एक-दो वर्षों में ही झोलाछाप डॉक्टर गणेश पैसा कमा कर अपना खुद का मकान खरीद लेता है।

 और एक दिन एक 12 बरस का लड़का जिसका नाम पहलाद था। अपने दादा दादी को झोलाछाप डॉक्टर गणेश के पास मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए  लाता है। जब पहलाद दो वर्ष का था, तब उसके माता-पिता की एक महामारी की वजह से मृत्यु हो गई थी।

 झोलाछाप डॉक्टर गणेश पहलाद और उसके दादा दादी को देख कर समझ जाता है, कि यह सीधे-साधे देहाती लोग हैं। और उन्हें ठगने के चक्कर में उनसे कहता है कि "मैं मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर दूंगा। लेकिन शहर से दवाइयां और मशीनें मंगानी पड़ेंगी। इसलिए दोनों के ऑपरेशन मैं 50 हजार रुपए लगेंगे।"

 मासूम पहलाद और उसके अनपढ़ सीधे-साधे दादा-दादी बहुत खुश हो जाते हैं। और पहलाद और उसके दादा दादी को यह भी नहीं पता था कि 50 हजार रुपए की रकम बहुत बड़ी होती है। 

होलिका दहन के दिन पहलाद झोलाछाप डॉक्टर गणेश को अपने घर बुलाता है। और उसके दादा-दादी अपनी आंखों की रोशनी को बचाने के लिए अपने सोने चांदी के सारे जेवर झोलाछाप डॉ गणेश को दे देते हैं। 

बेईमान झोलाछाप डॉक्टर गणेश कम से कम तीन लाख के जेवर देखकर खुश हो जाता है। और अपने मन में सोचता है कि दस पन्द्रराह दिन दोनों बुड्ढे बुढ़िया की आंखों में आई ड्रॉप डालता रहूंगा और इस बीच में अपना मकान बेचकर नए शहर में भाग जाऊंगा।

 रात को पूरा गांव मिलकर होलिका दहन करने इकट्ठा होता है। और एक दूसरे की सहमति से गांव वाले फैसला लेते हैं कि इस बार  डॉक्टर गणेश के हाथों से होलिका दहन करवाएंगे। क्योंकि डॉक्टर भगवान का रूप होता है।

 होलिका दहन से पहले गांव का एक बुजुर्ग व्यक्ति गांव के बच्चों को होलिका दहन की कहानी सुनाता है। और बच्चों को बताता है कि  हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था, कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती है। हिरण्यकश्यप ने आदेश दिया कि होलिका अपने भतीजे प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठे। पर होलिका तो जल गई पर पहलाद बच गया। ईश्वर भक्त पहलाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

 झोलाछाप डॉक्टर गणेश जैसे ही होलिका दहन करता है, तो होली तेज तेज जलने लगती है। और अचानक होली में से दो चिंगारी उड़कर झोलाछाप डॉ गणेश की आंखों में चली जाती हैं। 

और दूसरे दिन जब वह गांव वालों के साथ होली खेलने के लिए सुबह जल्दी उठता है, तो उसकी आंखों की रोशनी चली जाती है। झोलाछाप डॉक्टर गणेश गांव वालों से कहता है कि "मुझे जल्दी शहर के अस्पताल लेकर चलो। होली की आग से मेरी आंखों की रोशनी चली गई है।" 

इतने में पहलाद के दादा-दादी आकर झोलाछाप डॉ गणेश को हिम्मत देने के लिए कहते हैं कि "बेटा भगवान पर भरोसा रखो सब ठीक हो जाएगा। भगवान का नाम सुनकर  झोलाछाप डॉ गणेश को गांव वालों और पहलाद के दादा दादी को धोखा देने का एहसास हो जाता है।

 और वह जल्दी से घर के अंदर जाकर पहलाद के दादा दादी के सोने चांदी के जेवर देखकर पूरे गांव के सामने कहता है कि "मैं कोई डॉक्टर नहीं हूं। मैं आज तक गांव वालों को धोखा देता आ रहा था। और पहलाद के दादा दादी के जेवर हड़प कर गांव छोड़कर भागने वाला था। लेकिन मुझे ईश्वर ने सबक देकर समझा दिया कि आंखों की रोशनी के बिना जीना कितना मुश्किल है।"

 और होली की राख अपनी आंखों पर रगड़ रगड़ कर कहने लगता है कि "हे ईश्वर आज होली के रंग मुझे दिखा दो।" डॉ गणेश के पश्चात आप के बाद अचानक उसकी आंखों की रोशनी आ जाती है। और गणेश दिन रत प्रयत्न कर के पहलाद के दादा दादी कि आंखों का आपरेशन करवा देता है। और अपने प्रयासों से गांव में अस्पताल भी बनवा देता था।

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7 Comments

अदिति झा

09-Mar-2023 06:55 PM

Nice 👌

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Punam verma

08-Mar-2023 09:04 AM

Very nice

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Abhinav ji

08-Mar-2023 08:29 AM

Very nice 👍

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