Tania Shukla

Add To collaction

हार्टलेस

क्या हुआ मां, फ़िर दादी ने कुछ कह दिया ना, सोनल ने अपनी मां के चेहरे को गौर से देखते हुवे कहां.. 


नहीं बेटा, सब ठीक है और दादी हम सब से बड़ी है वो कुछ कह भी दे तो उस बात का बुरा नहीं मानना चाहिए सरस्वती ने उनको समझाते हुवे कहा और दुसरी तरफ देख कर काम करने लगी जिससे उसकी आँखों के थोड़े से आँसू भी उसके बच्चों को ना दिखें..


पर मां दादी को भी तो समझना चाहिए ना उनके लिए तो बस पापा और भाई यही दोनों दिखते हैं घर में,,.. हम तीनों को तो वो कुछ मानती ही नहीं है सोनल ने गिलास में पानी डाला और अपनी माँ को दे दिया, 

और पापा भी बस दादी का साथ देते हैं कभी हमे प्यार से गले नहीं लगाते जैसे भैया ही उनकी ओलाद है हम नहीं.. 


ओह मेरी प्यारी बेटी सरस्वती ने दोनों को गले लगाते हुवे और मुस्कुराते हुवे उनको समझाया, मैं हूं ना तुम दोनों के साथ और तुम्हारे पापा और दादी भी तुम्हे उतना ही प्यार करते हैं बस वो जताते नहीं है तुम दोनों उदास मत होना कभी ये सब सोच कर, ऐसा नहीं सोचा करते.. 


तभी बाहर से गाड़ी की आवाज़ आती है, सरस्वती ने उनसे जल्दी से कहा.. देखो देवा भी आ गया उसकी गाड़ी की आवाज आ रही है ना,


मां तुम कैसे जान लेती हो कि भाई आया है अभी तो वो बाहर ही है और गाड़ी तो किसी और की भी हो सकती है ना, मीनल ने चहकते हुवे पूछा, 


नहीं बेटा मां को पता चल जाता है तुम अभी नहीं समझ सकती यह बात, इतना बोल कर सरस्वती ने अपनी मुस्कान दबा ली थी, 


प्रणाम दादी , देवाशीष अन्दर आया और सबको हाथ जोड़ कर बारी बारी से नमस्ते की.. 


खुश रहो देवा


लो मिलो इनसे यह मिस्टर उदय वीर सिंह जी है, यह उनकी पत्नी, बेटी अंजलि है दादी ने उस पर गहरी नज़र डालते हुवे कहा, 


देवाशीष ने सबको नमस्ते किया और दादी के पास वाले सोफे पर बैठ गया


कैसे हो बेटा? अंजलि के पास बैठी हुयी उसकी मम्मी ने मुस्कुराते हुवे देवा से सवाल क्या था.. 


जी ठीक हूं आप बताए आप सब ठीक है, 


जी हम  सब भी ठीक है बेटा.. और बेटा यह अंजलि है तुम इस से कुछ पूछना चाहते हो तो पूछ सकते हो उन्होंने दोनों को समझाते हुवे कुछ ऐसे बताया के उनको सवाल पूछने का अधिकार दे रहीं हों,

देवा को ये बात बिल्कुल पसंद नहीं आयी, लेकिन उसने अपने चेहरे पर नहीं आने दिया, 


उन्होंने आगे बोलना शुरू क्या, जैसे वो पहले से सोच कर आये हों के क्या बोलना है.. अंजलि को सब काम आता है बी एस सी तक पढ़ी है घर के सारे काम कर लेती हैं खाना बनाने में तो इसका कोई जवाब नहीं..


देवा ने एक नज़र अंजलि पर डाली, और उसका दिल हिल गया, वह सवाल पूछने का यां ये सब बातें करने का हक़ पहले ही सिर्फ एक लड़की को दे चुका था, अब वह यह सब सुन तो रहा था पर कोई भी बात उसके कानों के अलावा कहीं नहीं पहुंच पा रही थी


देवा सोच रहा था क्या बोलू अब मैं कि यह लड़की खुद ही शादी को मना कर दे देवा ने फिर से उस लड़की को देखा, शायद यहीं बात वो लड़की भी सोच रही थी उसके चेहरे पर भी परेशानी देख रहा था.. देवा समझ गया की अगर उसके चेहरे पर परेशानी है तब वो खुद शादी नहीं करना चाहती.. क्योंकी ऐसे समय में लड़की के चेहरे पर परेशानी नहीं गंभीरता और शर्म होती है.. मतलब बात कुछ और है, यह लड़की खुद नहीं चाहती और ये देवा के लिए अच्छी बात थी l


दादी ने मीनल को आवाज़ दी उनको समझ आगया था के देवा यहाँ पर कोई सवाल नहीं पूछेगा.. उन्होंने इसलिए ही मीनल को वहाँ बुलाया था, 


जी दादी, मीनल ने वहाँ आते हुवे कहा.. ऐसा कर अंजलि और देवा को ऊपर छत पर ले जा दोनों एक दूसरे से कोई बात करना चाहे तो कर लेंगे, 


भइ तुमको तो कोई एतराज़ नहीं है ना, दादी ने अंजलि की माँ से पूछा..


बिल्कुल नहीं अम्मा, ये कैसे बात कर दी आपने.. बच्चों को अकेले में बात तो करने है चाहिए.. ये तो आज कल का चलन है,अंजलि की माँ ने दादी से कहा, 


देवा के पापा ने गुस्से में दादी की तरफ देखा पर दादी ने हाथ से इशारा कर दिया, देवा ने ये देख लिया था,.. लेकिन कुछ नहीं बोला, आखिर दादी का अपना फैसला था.. 

पापा बस अपने हाथो को मसलते रह गए वो बस दादी के सामने ही तो वो लाचार हो जाते थे, नहीं तो बाक़ी किसी की हिम्मत ही कहां होती थी उनके सामने कुछ कहने की.. 


मीनल अंजलि को लेकर छत पर आ गई और देवा भी पीछे पीछे आ गया


वाऊ कितना प्यारा है मैने सोचा नहीं था छत पर भी कोई इतना अच्छा डेकोरेशन कर सकता है , अंजलि के मुंह से अनायास ही निकल गया, अंजलि ने वहाँ पहुंचते ही बोलना शुरू कर दिया था,.. देवा ने गौर से उस लड़की को देखा जो अभी इतनी चुप चाप बैठी हुयी थी, 


यह मेरे भैया की फेवरेट जगह है इन्होंने ही यहां पर यह ओपन रूम बनाया है बिल्कुल कैफे की तरह हम दोनों बहनों के लिए भैया यहां रात में तारों से बातें करते हैं और अपना समय यही बिताते हैं, यह मध्यम मध्यम लाइट रात में जब जगमग करती है तो हम तीनो भाई बहन यहां बैठकर मां से बातें करते हैं, कोई भी परेशानी होती है तो उसका हल हम यहीं पर समझने की कोशिश करते हैं मीनल ने भी जल्दी जल्दी उसको पूरा बता दिया था,


वो आगे भी बोलते रहती लेकिन फिर उसने देवा को देखा, और उसको याद आया के यहाँ क्यों है, 


अच्छा आप दोनों बातें करो मैं नीचे हूं मीनल ने वहाँ जाते हुवे कहा.. 


बैठिए देवाशीष ने अंजलि को इशारा करते हुए कहा

अंजलि वहीं पर बैठ गयी..


देवा उसके सामने बैठते हुवे बोला, देखिए मैं बात को घुमाना नहीं चाहता…. यह बोल वो चुप हो गया सोच रहा था कैसे कहूं इस लड़की से कहीं इसे बुरा न लग जाए 


जी कहिए ना? आप चुप क्यू हो गए, अंजलि ने इत्मीनान से पूछा 


जी बात ऐसी है मैं यह शादी नहीं कर सकता 


वैसे तो मैं भी आप से यहीं कहना चाहती थी पर क्या मैं इसका कारण जान सकती हूं, क्या आपको मैं पसंद नहीं..? अंजलि ने आराम से पूछा था, 


देखिए अंजलि जी ऐसी कोई बात नहीं है आप बहुत अच्छी है पर मैं किसी और से प्यार करता हूं, और आप भी शायद किसी और को ही चाहती है तो हम दोनों के लिए यही अच्छा होगा… देवा इतना बोल कर चुप हों गया था.


वहाँ थोड़ी देर ख़ामोशी रही..


अब अपने घर वालो को क्या बोलना है? अंजलि ने पूछा 


देवा ने कुछ नहीं कहा तब अंजलि ने बताया.. आप मना कर दीजिए कि आपको लड़की पसंद नहीं है और मैं भी ऐसा ही कहूंगी ।


ठीक है तो फिर चलिए 


यही बोलते हैं दोनों नीचे आ गए घर के सब सदस्यों की उत्सुकता थी कि क्या जवाब होगा दोनों का वो आस लगाए बैठे थे कि दोनों बस एक दुसरे को पसंद कर ले ।


मां चलो अंजलि ने अपनी मां की तरफ देखते हुए कहा..

जब सबने इतना सुना सबके चेहरे उतर गये, सब समझ गये थे के बात नहीं बनी है,..


अच्छा राय साहब हम लोग अभी चलते हैं जो भी बात होगी हम बता देंगे अंजलि के पिता ने कहा और उठ खड़े हुए 


जी ठीक है, देवा के पापा ने हाथ जोड़ते हुवे कहा, 


अंजली का परिवार वहां से चला गया.. और तब तक कोई कुछ नहीं बोला था..


देवा तुमने क्या कहा उस लड़की से वो ऊपर से आती ही ऐसे चली गई जरूर तुमने उससे कुछ कहा है बताओ मुझे, देवाशीष के पापा गुस्से में देवाशीष से पूछ रहे थे 


जी मैने क्या कहा कुछ भी नहीं, उसे मैं पसंद नहीं आया और ना वो मुझे पसंद आई, बस इतनी सी तो बात है आप लोग बिना वजह परेशान हो रहे है 


इतना कह देवा अपने रूम में चला गया वो अब चैन की सांस ले रहा था पर वह यह सोच कर भी परेशान था कि ऐसे कब तक मैं अपने घर वालो को रोक पाऊंगा लेकिन कभी ना कभी तो मुझे हां करनी ही होगी यह सोच कर एक बार फिर उसके दिल में बेचैनी बढ़ गई… देवा क्या सोच रहे हो बेटा, मां ने आ कर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा 

आंखे खोल देवा ने मां को देखा और उनका हाथ पकड़ ऐसे ही लेटा रहा


आंखे दुबारा बंद कर वह बोला कुछ नहीं है मां बस मैं परेशान हो गया हूं रोज रोज दादी के इस तरह लड़की वालो को ऐसे बुलाना मुझे अच्छा नहीं लगता


पर बेटा वो तुम्हारा भला ही चाहती है मैं भी यहीं चाहती हूं कि तुम्हारी शादी किसी अच्छी लड़की से हो जाए जो तुम्हें समझे, तुम्हें प्यार करें तुम्हारा ध्यान रखें। सुख दुख में तुम दोनों एक दूसरे के साथ रहो.. और मुझमें भी थोड़ा सास वाला रुआब आ जाए अपनी बहू को खूब सताऊ मैं भी और फिर तुम्हारे बच्चो के साथ अपना जीवन बिताऊं सरस्वती ने हसते हुवे उसको सारी बातें बताई..


बस बस मांँ आप तो दादी से भी फास्ट हो गई अभी छोड़िए यह सब सपने और मेरे लिए एक कप कॉफी ला दीजिए प्लीज मेरे सर में दर्द हो रहा है..


ठीक है बेटा तुम आराम करो मैं अभी  भिजवा देती हूं


ओह! सूफ़ी तुम कब मिलोगी कब से मैं बस तुम्हारे इंतजार में हूं  

देवाशीष अपनी यादों में खो गया वो यादें जो उसके जीने का सहारा थी और बस उसकी और सूफ़ी की थीं, जिनपर किसी और का कोई हक़ नहीं था.. 


   28
8 Comments

Babita patel

07-Aug-2023 10:15 AM

Nice

Reply

RISHITA

06-Aug-2023 10:39 AM

Nice

Reply

Natasha

14-May-2023 08:11 AM

बहुत खूब

Reply