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चुपचाप

श्याम बाबू कुछ दिन पहले एक विवाह समारोह में अपनी बहन के ससुराल गये थे।तीन दिन के प्रवास की अवधि में वहाँ एक लड़की थी जो उनकी नजर में बार बार आ रही थी ,कभी फूल सजाती, कभी रंगोली बनाती तो कभी दुल्हन के और अन्य महिलाओं के हाथ में मेहँदी लगाती हुई।हल्की सांवली पर सुंदर नैन नक़्श वाली।जिसको देखो वही उसके नाम की माला जप रहा था –रूपल...बेटा जरा साड़ी सेट करा दे।किसी की ड्रेस के साथ चूड़ी का सेट बनाना हो तो रूपल,दुल्हन का किराये का लहंगा दुकान से लाना था तो रूपल फटाफट स्कूटी से मार्केट गई और ले आई,किसी की हेयर स्टाइल बनाना हो तो रूपल।और वो चुपचाप अपनी प्यारी सी मुस्कान के साथ सबके काम कर रही थी।कोई शिकायत नहीं..वाह,कितनी प्यारी बच्ची है-श्याम बाबू सोच रहे थे।
   श्याम बाबू अपने इकलौते बेटे मनीष के लिये योग्य बहू की तलाश कर रहे थे और उन्हें रूपल अपनी भावी पुत्रवधू के रूप में पसन्द आ गई थी।उन्होंने कुछ सोचकर अपनी बहन के नौ वर्षीय बेटे आरव ,जो कुछ मिनिट पहले रूपल से टाई बंधवा रहा था,को पास बुलाकर उसकी तारीफ की ,"बेटा राजा जँच रहे हो।यह टाई किसने बांधी?"तो बोला," रूपल दी ने ।"तब श्याम बाबू ने पुछा कि वह कौन है?तो पता चला रूपल उनकी बहन की फुफेरी ननद की बेटी है और इंदौर से आई है।उन्होंने निश्चय किया कि रात के खाने के बाद अपनी बहन से इस बारे में चर्चा करेंगे।
     जब बहन लक्ष्मी से उन्होंने रूपल का जिक्र किया तो वह भी उसकी तारीफ करने लगी,"हाँ भैया वो बहुत एक्टिव है।घर के हर काम में निपुण,हर कला में कुश्श....."बोलते बोलते लक्ष्मी अचानक रुक गई।और बोली,"कही आप मनीष के लिए  तो..."वो कुछ चुप हुई तो श्याम बाबू बोले "हाँ, मुझे लड़की बहुत पसंद आई।कोई कुछ भी काम बोलता है चुपचाप मुस्कुरा के कर देती है। "
"भैया वो हर काम चुपचाप ही कर सकती है क्योंकि वो जन्म से गूंगी है।" लक्ष्मी की बात सुनकर श्याम बाबू की आँखे आश्चर्य से बड़ी हुई पर वह कुछ न कह सके।उन्होंने अपने विचारों पर विराम लगा दिया।
उनके मन में रूपल जैसी होशियार और मधुर स्वभाव वाली लड़की के लिये सहानुभूति थी।लेकिन कुछ देर पहले रूपल का चुपचाप काम करने का जो गुण उन्हें भाया था वही अब कमी के रूप में सामने था।
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(किसी ने सही कहा है औरत की लंबी जुबान का शिकवा तो हर कोई करता है लेकिन एक गूंगी लड़की से कोई शादी के लिये तैयार भी नही होता।)

                        –प्रीति ताम्रकार (जबलपुर)

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4 Comments

Shalini Sharma

05-Oct-2021 03:32 PM

Nice

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🤫

20-Sep-2021 05:38 PM

बेहतरीन....कितनी खूबसूरती से आपने शब्दो को पिरोया है

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Shailja Gupta

19-Sep-2021 09:19 PM

बहुत सुंदर प्रिती जी

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