क्षमा दान -10-Mar-2023

प्रतियोगिता

दिनांक 10 मार्च २०२३
विषय स्वैच्छिक
विधा कुण्डलिया
शीर्षक क्षमा दान

(१)
उसको क्षमा ही दीजिए,
     जो हैं उसके पात्र।
जाति धर्म व देश को,
    नहीं देखिए मात्र।
नहीं देखिए मात्र,
  गात्र और गोत्र न देखो।
सभी बराबर जान,
    लधु व गुरु न लेखो।
कहे विनोदी यार,
  देह का भान न जिसको।
निर्बल दुर्बल जान,
  क्षमा ही कीजिए उसको।
(२)
मेरी भूलें भूलकर,
     कीजै क्षमा प्रदान।
आप बड़े हम हैं लधू,
    प्रभुवर परम प्रधान।
प्रभुवर परम प्रधान ,
     ज्ञान व ध्यान नहीं है।
जहां गुरु का द्वार,
      मुक्ति का द्वार वहीं है।
विनोदी कहे विचार,
    न कीजै कोई देरी।
करो कृपा की कोर,
   भूलकर भूलें मेरी। 

विनोदी महाराजपुर

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8 Comments

Gunjan Kamal

12-Mar-2023 09:55 AM

सुंदर प्रस्तुति

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लाजवाब लाजवाब बहुत ही सार्थक भावों से युक्त कुंडलियां

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