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रक्षक (भाग : 15)

रक्षक भाग : 15


युद्ध, रणभेरी बजते ही थम गया, परन्तु एक तरह से यह रक्षक और उसके साथियों की  हार जैसा ही था।
उनकी लाख कोशिशों के बाद भी वे सर्पितृलों के सामने जरा भी नही ठहरे, उनकी हर कोशिश नाकाम रही और सबसे बड़ी बात की इन प्राणियों के पास थोड़ी ही देर में अपनी हर कमज़ोरी दूर करने की शक्ति है, भले ही वो उनके धड़ से सर अलग करना क्यों न हो, यह सब रक्षक और उसके साथियों के मन में उनके जीत होने के प्रति संशय उत्पन्न कर रहा था।

कोई उस प्राणी से कैसे लड़े जो एक तरह से अमर ही हो, उसे हरा पाना नामुमकिन हो, और रक्षक वो जिस एक मुसीबत से लड़ने आया था यहां उसके जैसे हज़ारों थे।  आज वो युद्ध के मैदान में नही रुक सकते थे, उन्हे युद्ध की तैयारी करनी थी। अर्थ को भी गम्भीर चोटे आयी थी। सैकड़ो सैनिक मारे जा चुके थे इसलिए वे सब वापस यूनिक की सहायता से महल की ओर चल दिये।

उधर तमसा के खेमे में जोरदार हलचल थी।  राक्षस जोर जोर से चिल्ला रहे थे, उनके चेहरे पर अब भी दरिंदगी साफ झलक रही थी। वे सतत युद्ध की माँग कर रहे थे। एक ऐसे युद्ध की जिसमें युद्ध के कोई नियम न मानने पड़े, बस युद्ध हो, सिर्फ युद्ध …..

"शांत हो जाओ" तमसा, पंचभूत और क्रुक के साथ विशाल मैदान में बने शिविर में प्रवेश करते हुए बोली।

यह शिविर मामूली युद्ध शिविर के व्यंजनों का नही बल्कि ठोस रूप से बना हुआ था, जहाँ की सुरक्षा प्रणाली और शस्त्रागार अत्यंत आधुनिक और विशाल थे, तथा यह शिविर undead के  शिविर से बहुत ज्यादा विशाल था।

“वैसा ही होगा जैसा तुम सब चाहते हो, कल का युद्ध आखिरी होगा, या फिर कल के बाद तब तक युद्ध होता रहेगा जब तक ये ग्रह और ग्रहवासी अंधेरे का गुलाम बनना स्वीकार नही करते।”

तमसा का यह निर्णय सुनकर सभी सर्पितृल खुशियां मनाने लगे, और जोर जोर से अंधेरे की जय-जयकार लगाने लगे।

रक्षक और उसके सभी साथी  महल पहुँच चुके थे। युद्ध में घायल सैनिको का प्राथमिक उपचार यूनिक द्वारा कर दिया गया था और अर्थ की देखभाल भी वही कर रहा था, हैरानी की बात यह थी अभी तक यूनिक के अलावा कोई दूसरा रोबोट यान या अन्य कुछ भी नही दिखा था।

रक्षक और 4J वैनाडा और गुरु जीवा के पास जाते हैं, जबकि अंश, जयंत और स्कन्ध विश्रामगृह में विश्राम कर रहे थे, और अपने जख्मो को जल्दी भरने का इंतज़ार कर रहे थे।

गुरु जीवा जय को एक किनारे ले जाते हैं और उससे कुछ बात करते हैं

"यह सब यहां कैसे, तुमसे जो कहा था वो कर दिया न!" - गुरु जीवा धीमे स्वर में जय से पूछे।

"जी गुरुदेव, पर एक हमें नही मिला, संयम को उसने खुद धारण कर लिया और कर्म को हमने पृथ्वी पर राज का रूप दिया है, क्योंकि वहां राज का होना आवश्यक है, सब आपके योजना अनुसार ही चल रहा है गुरुदेव" - जय ने गुरु जीवा का जवाब दिया।

"समय आने पर हम सातवें को भी ढूंढ लेंगे जय, स्थिति की गंभीरता भी हमसे यही कहती है कि ये बस हमारे और तुम्हारे बीच का ही राज रहे, समय आने पर हम सबको इस सत्य से अवगत करा देंगे।" - गुरु जीवा बोले।

"जो आज्ञा गुरुदेव! पर बहुत सी चीजें हमसे परे हैं और उसके मन मे भी हज़ारो सवाल होंगे, हम उसे कैसे समझा पाएंगे कि यह असम्भव कार्य भी उसे ही करना है!" - जय अपनी चिंता को व्यक्त करते हुए बोला।

"तुम अधिक चिंता न करो वत्स! उजाले की केंद्र की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, यह उसका भी कर्तव्य है, वह हमारी बातों को समझेगा, तुम चलो हम उसी के पास चल रहे हैं।

"जी गुरुदेव!" कहता हुआ जय उस कक्ष से निकलकर दूसरे कक्ष में जाता है, जहाँ 4J के अन्य सदस्य और रक्षक आकर खड़े होते हैं, जय भी उनके पास ही खड़ा हो जाता है, थोड़ी ही देर में वहाँ गुरु जीवा आते हैं।

"क्या हुआ रक्षक! तुम लोग कल के युद्ध से वापस नही लौटे थे, हमे भी चिंता हो रही थी, हमे पता चला कि undead मारा गया…" - गुरु जीवा ने रक्षक और 4J को बैठने को कहकर अपनी बात प्रारम्भ किया।

"हाँ! Undead तो पिछली रात ही शहीद हो गया, उसे हराया नही गया बल्कि उसने  खुद ही अपने आप को खत्म कर लिया।" - रक्षक की आँखे undead के अंत का दृश्य सोचते ही नम हो जाती हैं, उसके चेहरे के घाव अब तक भर चुके थे।

"हमें पता था रक्षक! परन्तु हम यह भी जानते थे कि undead की हार के पश्चात तुरंत ही एक नया मोहरा आएगा जो उससे भी ज्यादा ताकतवर और खतरनाक होगा, इसलिए हमने तुम्हारी खोज को बड़े स्तर पर आरम्भ कर दिया, और वैसे भी undead को तुम्हारे अलावा कोई नही मार सकता था।" - वैनाडा बोले।

"मैं सोच रहा था कि आज कुछ सवालों के जवाब मिलेंगे पर मैं और उलझता जा रहा हूँ।" - रक्षक अपने माथे पर हाथ रखते हुए बोला।

"वक़्त आने पर सारे जवाब मिलेंगे रक्षक! कुछ सवालों के जवाब सिर्फ समय के पास होते हैं!" - जय रक्षक के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला।

"मुझे अंदाज़ा भी नही था कि अंधेरे के पास इतने शक्तिशाली मोहरे हैं, इन जीवों के बारे में तो मैंने कभी सुना भी नही।" - वैनाडा बोला

"ये अंधेरे के सबसे ताकतवर जीव है वैनाडा! इन्हें हराना असम्भव है, मैं तब से इन्ही की जानकारी इकट्ठी कर रहा हूँ और जितनी जानकारी मिली है उसके मुताबिक ये आज तक एक युद्ध भी नही हारे, न ही इनकी कोई कमज़ोरी है, हर कमज़ोरी को थोड़ी देर में दूर कर लेते हैं, और बाद में वो उससे प्रभावित नही होते। undead  से पहले तक इन्होंने लाखों ग्रहों पर विजय प्राप्त किया था, और हाँ! एक बात और ये अंधेरे में अपनी इच्छा से चुनकर शामिल हुए है, इसलिए अब इनकी ताक़त और बढ़ गयी है" - गुरु जीवा बोले।

"इसका मतलब इन्हें हरा पाना असंभव है, आप क्या कहना चाहते हैं गुरुदेव" - जॉर्ज बोला।

"तुम्हे ज्ञात होगा वत्स! केवल।undead से युद्ध करने में तुम सबकी स्थिति खराब हो गई थी, तो undead जैसे करोड़ो से कैसे लड़ोगे?" - गुरु जीवा जॉर्ज से मुखातिब होकर बोले।

"और उनका राजा पंचभूत, मैं तो उसके सामने कही  नही ठहर पाया, न ही अपने आप को केंद्रित कर पाया कि उसपर सही से एक वार भी कर सकूं" - रक्षक अपनी चिंता व्यक्त करते हुए बोला।

"कभी कभी तो मुझे लगता ही नही कि मैं रक्षक हूँ, मैं खुद को बचाने में भी असमर्थ पाता हूँ, मुझे मेरी शक्तियों का भी ज्ञान नही है।"

"ऐसा बिल्कुल नही है रक्षक! तुम निश्चय ही बहुत शक्तिशाली हो, और उजाले के रक्षक हो तुम!  और हाँ पंचभूत कोई साधारण जीव नही है उसकी शक्तियां असीमित है, इसलिए अब इस युद्ध को ताक़त के बल पर नही बुद्धि के बल से जीतना होगा।" - गुरु जीवा बोले।

"और वो यूनिक, उसने सैकड़ो सैनिको को दबोचकर रख लिया था, यूनिक क्या है गुरुदेव, हम उसे दो सौ साल से जानते हैं, फिर भी नही जान पाए वो क्या चीज है।" -  जीवन बोला।

"समय सबका जवाब देगा जीवन, वैसे भी अगर ऐसा है तो यह तुम्हारे ही लाभ में है और यूनिक को तो अंधेरे के दुनिया का भी बहुत कुछ पता है वो तुम्हारी मदद कर सकता है।" - गुरु जीवा मुस्कुराते हुए बोले। "अब तुम विश्राम करो, कल फिर युध्द करने जाना है और मुझे भय है कि कल एक सतत युद्ध की घोषणा हो सकती है क्योंकि अंधेरे का पलड़ा भारी है और वो ऐसा मौका कभी नही खोना चाहेगा, वैसे भी नियम तोड़ना तो उसकी आदत है।"

"पर यूनिक तो हर समय अपनी भाषा शैली ही बदल लेता है, कभी कभी हम भी नही समझ पाते और आज भी ऐसा ही हुआ है, उसने कुछ इशारा किया पर समझ नही सके और तब तक पंचभूत आ गया जिसके सामने रक्षक भी बौना लग रहा था।" - जैक अपनी चिंता व्यक्त करते हुए बोला।

"यूनिक को बाद में समझना वत्स! पहले इन सबसे निपटना होगा और कल से एक सतत युद्ध की आशंका है तो अच्छी तैयारी करनी होगी, उन तीनों को भी अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्ज कराने की व्यवस्था करो।" - गुरु जीवा बोले।

"तो फिर हमें भी अच्छी तैयारी कर लेनी चाहिए गुरुदेव! उन तीनों को हम अपने ग्रह की उत्तम तकनीकी से सज्ज करेंगे" वैनाडा बोला।

सब अपने अपने कक्ष में विश्राम करने के लिए चले जाते हैं, सारे सैनिको का उपचार हो चुका था, अर्थ की हालत अब बेहतर थी, अब बस सुबह का इंतजार था जो कईयों की आखिरी सुबह भी हो सकती थी।

सुबह होते ही उजाले की सेना ( रक्षक के साथी) तैयार होने लगी, अर्थ आज भी युद्ध का नेतृत्व कर रहा था, जयंत और स्कन्ध ने नए हथियार लिए पर अंश अपने तलवार की सान (धार) को उंगलियों से खींचकर मना कर दिया।

रक्षक आज और अधिक तैयार था वह इस युद्ध की गंभीरता को समझ रहा था, इसलिए वह कभी हारना नही चाहता था, पर सिर्फ चाहने से क्या होगा, इसके लिए तो उन्हें लड़ना ही होगा।

उजाले की सेना युद्ध क्षेत्र में धूल का गुबार उड़ाते हुए पहुंची, दूसरी तरफ से अंधेरे की सेना भी तूफान सी उनके सामने आ गयी और जैसा पूर्व आशंकित था उन्होंने सतत युद्ध की मांग की, जिसपर उजाले के सेनानी अर्थ ने भी सहमति प्रदान किया, अर्थ सैनिको में नया जोश भर रहा था वही अंधेरे का पलड़ा भारी होने के कारण सर्पितृल और पंचभूत बहुत उत्साहित थे, युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करने को।

दोनो ओर की सेनाये दौड़ते हुए आपस मे जा टकराई, तमसा अपने जानवर क्रुक पर जहरीली मुस्कान लिए बैठी थी।

रक्षक और पंचभूत आज फिर भिड़ गए, पर आज रक्षक इतना कमजोर नही था, पर वह यह भी जानता था  कि थोड़ी ही देर में वह उसकी इस ताक़त का तोड़ निकाल लेगा, आखिर कोई किसी ऐसे को कैसे हराये जिसकी कोई कमज़ोरी ही न हो, जाने यह युद्ध कब तक चलेगा और इसका निर्णय क्या होगा।

क्रमशः


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3 Comments

Hayati ansari

29-Nov-2021 09:56 AM

Good

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Niraj Pandey

08-Oct-2021 04:38 PM

बहुत बेहतरीन👌👌👌👌

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Seema Priyadarshini sahay

05-Oct-2021 12:15 PM

सुंदर भाग

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