पथिक .......
आ
................पथिक ............
अनजानी राहें दुर्गम पथ है,पथिक तू आगे चलता जा,
कितनी हों कठिनाई राहों मे,साहस से तू बढ़ता जा।
कठिनाई,आसानी तो जीवन मे आती रहती हैं,
आसानी की पहचान कराने ही कठिनाई आती हैं।
मानव-तन है दिया ईश ने बुद्धि दी,मस्तिष्क दिया,
मानव ने ही सोच-समझ कर कठिनाई को आसान किया।
हर क्षेत्र में मानव जीवन को आसान बनाया है,
मानव ने ही वैज्ञानिकता को आधार बनाया है।
जीवन की राहों मे मानव पथिक समान विचरता है,
सतत अग्रसर रहने वाला ही मंज़िल पा सकता है।
कठिनाइयों को सुगम बनाने मे मानव उत्साहित रहता है,
नये नये उत्पाद बनाता मानवता का भला वो करता है।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Varsha_Upadhyay
13-Mar-2023 06:08 PM
बहुत खूब
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