Sunita gupta

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स्वैच्छिक विषय नाज़

नाज़ नखरे कभीभी बढ़ाए नही।
/////////////पूर्णिका///////////
नाज़ नखरे कभीभी बढ़ाए नही।
दूसरों के दिलों को दुखाए नही।

आपसे नाज़ कोई अगर जो करे,
दोस्ती उसकी आगे बढ़ाए नही।

बच्चों को नाज़से दूर रक्खे सदा,
अंकुरण नाज़का बढ़ने पाए नही।

बात परिवार की सामने आए तो,
नाज़को पास रख दूर जाए नही।

कोई नीचा दिखाने तुम्हें गर लगे,
पास में उसको अपने बिठाए नही।

सरिता को रूपका भान होता कहां,
बढ़ते जाए कदम लड़खड़ाए नही।

सुनीता गुप्ता'सरिता'कानपुर

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8 Comments

Wahhh बहुत ही खूबसूरत रचना ,,, लाजवाब लाजवाब

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Gunjan Kamal

14-Mar-2023 11:40 PM

सुंदर प्रस्तुति

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Renu

14-Mar-2023 10:51 PM

👍👍🌺

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