Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -15-Mar-2023 प्रकृति में छाया उल्लास

शीर्षक-प्रकृति मे है उल्लास


प्रकृति में आज फिजा उठी,
पुष्प चमन में खिले,
चिड़िया आज चहक रही।

फिजाओं में हो रहा रेबार,
पर्ण की हो रही बौछार,
खग कर रहे गुंजार।

प्रकृति में हो रहा उल्लास,
सरिता का बह रहा उद्गार,
शैलजा से उठ रही आवाज।

ऐसा लगा मानो आया त्यौहार,
प्रकृति रच रही श्रृंगार,
फिजाओं में उठ रही सौगात।

फिजाएं आज कुछ कह रही,
मधुर मधुर गान सुना रही,
सरगम की यह ध्वनि कर्ण घुलती।

ये फिजाएं लगती प्यारी,
मिलती हमें सुकून जिंदगानी,
फिजाओं की बात निराली।

ठंडी ठंडी हवा चलती,
फलक से गगन तक सैर करती,
मिटटी की सोंधी जहां में फैलाती।

ठंडी ठंडी मन को सुहाती,
 प्रियंका को अल्फाज लिखाती,
फिजा अपनी कहानी बताती।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा प्रिया

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9 Comments

अदिति झा

16-Mar-2023 02:41 PM

Nice 👍🏼

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पुष्पा शब्द भी शायद गलत प्रयोग हुआ है

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Priyanka06

16-Mar-2023 09:04 AM

सर टाइप करते समय गलत हो गया था। बहुत-बहुत आभार आपका आपने हमें गलती बताई

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जचमन और रेबार शब्द समझ नहीं आ रहा है,,, इसका क्या भाव निकालें,,,, एक बार देखें अगर गलत है तो सही करें

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Priyanka06

16-Mar-2023 09:05 AM

जचमन गलत टाइप हो गया। चमन शब्द आएगा। रेबार का अर्थ है खबर फैलाना

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