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बेबी...लेट मी किल यू ! ( चैप्टर - 6)

भाग - 6



रुद्राक्ष कार में बैठ एयरपोर्ट के लिए निकल जाता है अपनी बहन आम्या को पिक अप करने के लिए। 
इधर दक्षता , जो फिलहाल धरा बनी हुई थी , हाथो के जले होने के कारण उसे दर्द हो रहा था। वो हाथो को बार बार झटक रही होती है और कमरे में रह रह कर ऊबने से बाहर निकल आती है और घूमते हुए गार्डन में पहुंच जाती है और एक झूले पर बैठ झूला झूलने लगती है। 
अवदान अपने कमरे में बिस्तर पर लेटे हुए था , गार्डन में दक्षता के गुनगुनाने की आवाज सुन अवदान अपनी आंखे खोल उठता है और बाहर आता है तो उसके कमरे के पास स्थित झूले पर बैठी एक लड़की गुनगुना रही होती है जिसका चेहरा नहीं दिख रहा था। अवदान उस मधुर आवाज को मुस्कुराते हुए सुनने लगता है। और कुछ पांच दस मिनट बात दक्षता गुनगुनाना बंद कर झूले से उठ कर जाने के लिए मुड़ती है की उसे अपने सामने खड़ा अवदान दिखता है , दक्षता उसे देख पहचान लेती है और एक आवाज़ उसके मन में गूंजने लगती है -" घर का सबसे शातिर इंसान ।"
दक्षता उसे देख एक मुस्कान देती है और बोल पड़ती है -" कैसे है भईया जी।" 

" भईया जी?" - अवदान अपनी एक भौंह उठा कर असमंजस से पूछता है , जिसपे दक्षता उसके तरफ आते हुए कहती है -" आप हमारे सईयां जी के दोस्त है ...तो...( तो, को खींचते हुए) हुए ना मेरे भइया जी...!" 

" नहीं!" - अवदान भी दक्षता की ही तरह मुस्कुरा कर उसे जवाब देता जिसे सुन दक्षता हसने लगती है -" आप भी कैसी बात कर रहे।" और एक मासूम सा चेहरा बनाती है।अवदान उसे देख वहां से जाने लगता है फिर कुछ सोच कर जाता है और बिना दक्षता की ओर मुड़े बोलता है -"  ये खेल दूसरों के लिए बचा के रखो , वैसे भी अभी ऐसे कई चेहरों की जरूरत पड़ने वाली है तुम्हे अपना असली चेहरा बचाने के लिए।" 

" चिंता मत कीजिए .. भईया जी!!...धरा किसी चीज़ की कमी नही होने देती ,और ऐसे चेहरे तो स्टॉक में पड़े हुए है।" दक्षता अवदान को उल्टा जवाब देती है कि तभी उसे जगत नारायण जी वहां आते हुए दिखते है जिसे शायद अवदान नहीं देख पाया था तो वो दुबारा उसे उकसाने के लिए बोलती है -" मैं अभी बहुत खेल खेलने वाली हू , आप बस देखते जाओ.....( प्यार से ) भईया जी.......!" 

" नही कर पाओगी!" - अवदान मुड़ कर बोलने लगता है तब तक जगत नारायण जी उनके इतने करीब तो आ चुके थे की उनकी सारी बाते सुन सके , और धरा ऐसा ही चाहती थी की अवदान उसे कुछ बोले और सिर्फ एक मौका उसे मिल जाए , दक्षता के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है। और अवदान बोलता है -" कैसे करोगी इतना कठिन व्रत ...बहना जी!!" अब अवदान के बोलने का तरीका पहले से बिल्कुल उलट चुका था , परेशानी भरे भाव से वो कहता है। 

" क्या?...कौनसा व्रत?" - जगत नारायण जी सवालिया निगाहों से दोनो को देख पूछते है -" कौन व्रत कर रहा?" 

" पता...." - दक्षता कुछ बोलने की वाली थी की अवदान बोल पड़ता है -"  देखिए ना चाचा जी!....अभी अभी तो आई है ये , और अब बोल रही कि अपने अपने परिवार के सुख शांति के लिए कल पूरा दिन निर्जला व्रत रखेंगी ...( जगत नारायण जी को देख फिर एक शातिर मुस्कान के साथ दक्षता को अपनी आंखो की कनखियो से देख ) अब आप ही बताइए ये भला कौनसी बता हुई।" 

" क्या अवदान सच कह रहा है?" बिना किसी भाव के जगत नारायण जी दक्षता को देख पूछते है।बेचारी दक्षता अब बोलती क्या कुछ कह भी नही सकती थी तो बस हामी भर देती है अपने सिर को हिला कर , और अपने चेहरा नीचे कर लेती है इस वक्त उसे अवदान पर बहुत गुस्सा आ रहा था मगर जगत नारायण जी के सामने वो कुछ कह भी नहीं सकती थी , वो भी सोचने लगती है कहा़ वो अवदान को फसाने चली थी , मगर अवदान ने तो उसे खुद ही फसा दिया। 

" हम्म...ठीक है मगर याद रखना , सेहत से जरूरी कुछ नही।" - जगत नारायण जी दक्षता को देख बोले , कि तब तक अवदान बीच में कूदा -" वहीं तो मैं भी कह रहा था।" 

" नहीं ससुर जी...मैं कर लूंगी।" दक्षता बड़े ही सौम्यता से जवाब देती है जगत नारायण जी भी हां में सिर हिला कर अपने हाथ दक्षता के सिर पर आशीर्वाद देते हुए रख वहां से चले जाते है , मगर उनके ऐसे प्यार से दक्षता के सिर पर हाथ रखने से उसे किसी की याद आ जाती है और उसके आंखो के कोने गीले होने लगते है कि उनके जाते ही अवदान दक्षता के चेहरे के सामने अपना चेहरा लाता है और तंज कसते हुए कहता है -" बहना जी!!........ कहीं व्रत तोड़ ना देना वरना पाप चढ़ेगा ,और मेरा दोस्त तो भरी जवानी में मर जायेगा।" दक्षता गुस्से में उसे घूरती है तो अवदान मजे से लापरवाही में झूलते हुए वहां से चला जाता है दक्षता गुस्से में अपनी मुठ्ठी भींच लेती है -" तुम्हे तो छोडूंगी नही मैं अवदान...देखना एक एक को सबक सिखाऊंगी।" 

पटना नगर  , उधमशिंह एयरपोर्ट जाने के रास्ते पर एक ब्लैक कार तेजी से जा रही होती है उस कार में रुद्राक्ष और उसका ड्राइवर ही होते है , रुद्राक्ष के चेहरे पर गुस्सा साफ़ नज़र आ रहा था।पूरे कार में शांति थी ड्राईवर कार में म्यूजिक ऑन कर देता है ताकि रुद्राक्ष को अच्छा लगे मगर उसकी ये सोच उसपे ही भारी पड़ जाती है। 

" म्यूजिक सुनने का इतना ही शौख हैं तो ये नौकरी छोड़ कर किसी मण्डली में शामिल हो जाओ।" रुद्राक्ष गुस्से में ड्राइवर को डांट लगाते हुए बोला। तो ड्राइवर तुरंत म्यूजिक सिस्टम बंद कर सीधे देखते हुए कार चलाने लगते है और रुद्राक्ष अपने सिर के सीट से लगाए अपने हाथ बांध कर आंखे बंद किया लेट जाता है की तभी उसके फोन पर किसी का कॉल आता है।रुद्राक्ष कॉल उठा लेता है और फोन के दूसरे ओर का इंसान उसे ऐसी बात बताता है जिसे सुन उसके गुस्से और परेशानी से भरे चेहरे पर हंसी आ जाती हैं ड्राइवर भी जब सामने वाले मिरर में रुद्राक्ष को मुस्कुराता देखता है तो पहले तो हैरान हो जाता है फिर भगवान का शुक्रिया करता है की अब उसे डांट नही पड़ेगी वही पीछे बैठे रुद्राक्ष की मुस्कान अब तेज़ हंसी में बदल चुकी थी और वो जोरों से हंसने लगता है -" यू आर द बेस्ट अवदान...! अमेजिंग , जिस तरह से तूने उस लड़की को सबक सिखाया ऐसे करते करते तो दो दिन में ही वो यहां से रफू चक्कर हो जायेगी।" 

फोन के दूसरे ओर से अवदान गंभीरता से बोलता है -" नहीं!....हमे अभी पता लगाना है उसे किसने भेजा है।" रुद्राक्ष गौर से अवदान की बात सुनने लगता है और बोलता है -" हम्म...सब पता चलेगा , वो ख़ुद गिड़गिड़ाते हुए बताएगी।" 

" मगर एक दिक्कत है!" - अवदान बोला , रुद्राक्ष उसकी बात को ध्यान से सुनते हुए -" क्या?" 

" कहीं तुझे उससे प्यार ना हो जाए वरना बाद में मुझे ही तुम दोनो मिल के मारोगे।" अवदान मजाकिया अंदाज में बोलता है जिसे सुन बिना चेहरे पर कोई भाव लाए रुद्राक्ष कुछ देर ख़ामोश रहता है फिर बोला -" उसे मुझसे सिर्फ नफरत ही मिलेगी...वो मेरी जिंदगी बरबाद करना चाहती है न , अब मैं उसकी जिंदगी जहन्नुम बना दूंगा , रुद्राक्ष माहेश्वरी से धरा गोस्वामी को सिर्फ नफरत मिलेगी और उसे वही सहना होगा।" रुद्राक्ष की बातों से अवदान समझ जाता है कि रुद्राक्ष को कितना हर्ट हुआ है दक्षता से वो उसका ध्यान भटकने के लिए कहता है -" हां!.... हा मिस्टर ग्रेट बिजनेस मैन , द सख़्त लौंडा रुद्राक्ष माहेश्वरी....सब जानते है जब तक तू शांत है सब हसीन है और अगर एक बार तू किसी से नफरत कर लिया तो उसे अपनी जिंदगी से ज्यादा मौत भाती है मगर एक बात याद रखना!" 

" हम्म...बोल?" 

" मां कहती है किसी चीज़ से खेलों मगर किसी औरत की इज्ज़त से नहीं।" अवदान की बात सुन रुद्राक्ष मुस्कुरा देता है और उसे आश्वासन देता है -" तू मुझे काफ़ी सालों से जानता है ,मैं कभी किसी के बिना मर्जी के उसके नज़दीक नही जाता ।" 

" ओके चल फोन काटता हु देखू तो पूजा और व्रत की तैयारी जैसी चल रही।" अवदान हंसते हुए कहता है तो रुद्राक्ष भी ठहाका लगा देता है और ओके बोल फोन काट देता है और ड्राइवर को म्यूजिक ऑन करने को बोल खुद कुछ पल सो जाता है। 

एक अंधेरा कमरा जहां एक बच्चा खड़ा था और उसके ऊपर ही बस रौशनी आ रही थी हर ओर से आती हंसने खेलने की आवाज़ उसके कान में चुभ रही थी तभी उसे एक जानी पहचानी आवाज़ आती है -" बेटा!... रुद्रा....पापा मम्मी जल्द आ जायेंगे , तू बस इंतजार कर...हम बस आ रहे!" 

वो बच्चा खुशी खुशी हां!...बोलने जाता है की तभी एक गन शॉट की आवाज़ आती है और रुद्राक्ष चीख कर नींद से जाग जाता है , उसका पूरा शरीर पसीने से तर था , हाथ पाव कांप रहे थे उससे सांस नहीं लिया जा रहा था हड़बड़ाते हुए वो ड्राइवर को कार रोकने के बोलता है और जल्दी से कार से बाहर हाईवे पर आकर गहरी गहरी सांस लेने लगता है , वो पहाड़ी वाला इलाका था एक ओर सड़क तो एक ओर गहरी खाई  , रुद्राक्ष तेज़ सांस ले रहा था फिर कुछ पल मे ख़ुद को शांत करता है। 

" मैं नहीं रोक पाया मां....मैं नही रोक पाया !" रुद्राक्ष वही जमीन पर बैठ कर रोते हुए चीखता है ,उसके सामने खाई का एक इलाका था और वहां बोर्ड लगा था जिसपे लिखा था " हादसों से बचे!" 

रुद्राक्ष ख़ुद के आंसू पोंछ कर उठता है और उस बोर्ड के पीछे जाकर उस गहरी खाई को अपनी सुनी आंखो देखने लगता है रुद्राक्ष का ड्राइवर पीछे से उसे वहां जाने को रोक रहा था मगर रुद्राक्ष तो अपनी सुध खोए वहीं पर खड़ा हो गया , और उसे धुंधली धुंधली कुछ यादें याद आने लगी , जहां एक बच्चा हाथ में कैमरा लिए सड़क पर खड़ा था और एक दंपत्ति वहीं खाई के पास बने रेलिंग नुमा चीज के पास बैठे फ़ोटो खिंचवा रहे थे कि तब तक एक कार उस बच्चे की ओर तेज़ी से पड़ने लगती है दोनो उस बच्चे के पास आने वाले होता है मगर बच्चा भाग कर सड़क से दूर चला जाता है और हंसते हुए उन्हें हाथ हिला कर बतलाता है कि अब सब ठीक है वो दंपत्ति भी मुस्कुरा कर उस बच्चे के मासूम चेहरे को देख रहे होते है की तब तक वहां एक तेज़ धमाका होता है और उस दंपत्ति के चीथड़े उड़ जाते है उस पहाड़ी का हिस्सा टूट कर वहीं खाई में गिर जाता है और वो छोटा बच्चा चीख चीख कर बोलने लगता है -" मां....पापा.....!" मगर अब वहां उनका नामों निशान नहीं था। 

" तब भी आप लोग नही मिले और आज भी .... हर रोज़ मर मर कर जीता हुआ की क्यों... क्यों मैंने ज़िद की यहां आने की , पर जवाब मैं ख़ुद को दे नहीं पाता तो चला आता हुआ आप लोगो को अपनी परेशानी बताने।" रुद्राक्ष रोते हुए वहीं पहाड़ी पे बैठ जाता है और वहा पर चिल्लाता है - मां......सुन रही हो......तुम्हारा बेटा परेशान है!" पहाड़ी से रुद्राक्ष की आवाज़ गूंज कर वापस आती है और उसे सुनाई देता है -" बेटा....परेशान... है....!" 

" मैं गलत नहीं हू मां.....मैं उस लड़की को नहीं जानता , मैने किसी को धोखा नहीं दिया....!" अब रुद्राक्ष बिल्कुल किसी बच्चे की तरह रो रहा था की तभी एक हवा का झोंका आता है और उसके बालों को हिला कर चला जाता है जिससे एक पल के लिए रुद्राक्ष की आंखे बंद हो जाती है और वो उस हवा को महसूस करते हुए कहता है -" आप दोनो कभी मुझसे दूर मत जाना ,वरना आपका ये रुद्राक्ष भी आपके पास आ जायेगा।" इतना बोल वो पहाड़ी से उठने लगता है तो एक छोटे से पौधे से की टहनी उससे कोट में फस जाती है तो रुद्राक्ष मुस्कुराते हुए कहता है -" आऊंगा मां पापा आप दोनो से मिलने बस... अम्मू आई है , हमारी अम्मू कितने सालों बात तो उसे ही लेने जा रहा ,बस कुछ दिन और जब आपका बेटा सच्चा साबित हो जाएगा तो वापस आ जायेगा।" रुद्राक्ष उस टहनी को आहिस्ते से अपने कोट से अलग करता है फिर जाकर अपने कार में बैठ जाता है ,और उसकी कार निकल पड़ती है। 

इधर घर में हर ओर पूजा की तैयारियां चल रही थी क्योंकि जगत नारायण जी चाहते थे कि धरा का व्रत अच्छे से संपन्न हो , और घर की बेटी भी आ रही थी तो दोनो पूजा एक साथ। हर ओर पूजा की तैयारी चल रही थी सब काम में लगे हुए थे क्योंकि कल सुबह सुबह ही पूजा होने वाली थी ।धरा अपने कामों में लगी हुई थी वही कोई था जो उसे परेशान करने में लगा था वो था अवदान कभी , अवदान जान बुझ कर कभी धरा की सजाई पूजा की थाल गिरा देता तो कभी कोई और समान छिपा देता है धरा अब एकदम त्रस्त हो चुकी थी अवदान से मगर कुछ कह भी नही सकती थी क्योंकि पूरे घर वाले अवदान को इसी घर का बेटा जो मानते थे।
इस वक्त दक्षता मंदिर के सामने बैठी बड़ी मेहनत से रंगोली सजा रही थी की उसे अपने आस पास सब बड़ा शांत शांत लगता है वो अपनी आंखो की पुतलियों को यहां से वहां घुमा कर देखती है तो अवदान उसे कहीं नहीं दिखता , तो वो एक तरह की सांस के साथ पूरी रंगोली बनाने लगती है आधे घंटे के मेहनत के बाद जब रंगोली बन के तैयार हो जाती है तो धरा उसे देख खुस हो जाती है -" नॉट बैड गर्ल....तुम तो मास्टर हो गई इसमें।" 
दक्षता ख़ुद की शाबासी देते हुए कहती है कि फिर वही होता है पीछे से अवदान एक कुर्सी पर बैठा हाथो में आधा खाया हुआ सेब लेकर उसे पुकारता है -" बहना जी!......" 

दक्षता गुस्से में अपनी आंखे मींच लेती है फिर अवदान के ओर उंगली दिखा कर पलटती है -" यू....." 

" अरे अरे.....गुस्सा काहे हो रही है बहना जी...! मैं तो बस आपके लिए ही पूछ रहा था।" अवदान उस कुर्सी के ऊपर से उठते हुए बोला -" गर्मी लग रही है क्या?" 

" अब क्या करने वाले है आप भईया जी!.." दक्षता अपने दांत पीसते हुए बोली।अवदान अपना सिर ना में हिला कर किसी मासूम बच्चे की तरह दांत दिखा कर एक दीवाल के पास जाता है और फैन का स्विच ऑन कर देता है जिसके वजह से घंटे भर बैठ कर बनाई हुई दक्षता की रंगोली पूरी बिखर जाती है , वो गुस्से में चिल्लाई -" ये क्या बत्तमीजी है।" उसके चिल्लाने से सभी लोग उसकी ओर देखने लगते है जिससे वो अपनी आंखे बंद कर ख़ुद को शांत करती है फिर आंखो खोल अवदान को देखती है अवदान अपनी आंखे बड़ी बड़ी कर नासमझ होने का नाटक कर बोलता है -" हे भगवान.....ये मुझसे क्या हो गया , बहना जी!...मुझ नासमझ को माफ़ कर दो!" अवदान दुखी होकर कहता है तो दक्षता समझ जाती है जरूर उसके पीछे कोई खड़ा होगा तो सच मे उनके पीछे रेणुका जी खड़ी होती है जो प्यार से अवदान के पास आती है और उसका चेहरा हाथ में लेकर कहती है -" कोई बात नही मेरे बच्चे....हो जाता है चल मै बना लूंगी धरा के साथ मिलके।" 

" कोई बात नहीं मैं दुबारा बना लूंगी।" एक झूठी हंसी के साथ दक्षता बोली। 

" ओके बहना जी... और हां!....सॉरी!" इतना बोल वो सेब खाते हुए दक्षता के कान के पास आता है और बोलता है -" ये तो तुम्हे बोलना होगा... समझी।" और वहां से जाने लगता है दक्षता का गुस्सा अब अपनी अंतिम सीमा पर आ चुका था तो गुस्से में कुछ बोलने वाली थी की रुद्राक्ष के आवाज़ से रुक जाती है -" चाचा जी!....अम्मू आ गई!" 

इतना सुनते ही जगत नारायण जी और संयुक्ता दादी जल्दी से बाहर आते है उनके चेहरे की खुशी साफ़ बया कर रही थी की वो कितनी खुश है। उनके सामने एक लड़की मुस्कुराते हुए आंखो में चश्मा लगाए खड़ी थी जिसके बाल उसके कंधे तक थे और नाक पर एक तिल भी था जो उसकी प्यारी से मुस्कान को और प्यारा बना रही थी।वो दौड़ते हुए जगत नारायण जी के पास जाती है और उन्हे गले से लगा लेती है -" मैंने आपको बहुत मिस किया चाचा जी।" 

" हम भी आपको बहुत मिस किए बेटू!" जगत नारायण जी अपने आंखो में आए खुशी के आंसू को साफ़ करते हुए बोले। 

" अरे मैं तो सबको मिस की!" आम्या - रुद्राक्ष की बहन - हंसते हुए बोली की तभी उसकी हंसी एक पल में गायब से हो जाती है जब वो अपने परिवार के बीच अवदान को देखती है.....!!!

जारी है..!!!


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3 Comments

Radhika

05-Apr-2023 06:29 PM

Nice

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अदिति झा

16-Mar-2023 05:21 PM

Nice part 👌

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