प्रतीक्षा
************************"प्रतीक्षा
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कब से मैं कर रही प्रतीक्षा
प्रीतम अब दर्श दिखा जाओ
नयन हमारे तरस रहे हैं
उनकी तुम प्यास बुझा जाओ
एकं बार बस आ जाओ तुम,
वैसे मिलने की आश नहीं है।
मेरी प्यास बुझा जाओ तुम,
मेरी अब तक प्यास वही है।।
इश्क़ किया था मैंने तुमसे,
ये भी तो मेरी ग़लती है।
मिलन नहीं हो पाया अब तक,
युग बीते बातें खलती हैं।।
सपनों में मिलने आते हो,
साक्षात दर्श अब दे जाना।
सुन्दर सा मधुमास आ गया,
पिया मिलन को भूल ना जाना।।
युग बदले पर तुम ना बदले,
क्यों मुझको तुम तड़पाते हो।
मिलने की है जिज्ञासा मेरी,
उसको तोड़ नहीं पाते हो।।
होली के रंगों से गाढ़ा,
तेरे प्यार का रंग चढ़ा है।
फागुन का ये माह चल रहा,
बासंती मधुमास बढा है।।
आकर फिर से एक बार
मुखड़े पर रंग लगा जाओ।
वादा जो तुमने किया था मुझसे
वो वादा तो पूरा कर जाओ।।
कर रही प्रतीक्षा मैं तेरी
आश लगाए बैठी हूं।
नयन के अश्रु भी सूख गए
मैं पलक बिछाए बैठी हूं।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
Shashank मणि Yadava 'सनम'
17-Mar-2023 08:04 AM
सुन्दर प्रेममय और भावनात्मक अभिव्यक्ति
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Abhinav ji
17-Mar-2023 07:51 AM
Very nice 👌
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Reena yadav
17-Mar-2023 05:36 AM
👍👍
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