कविता = अदाकारी
⭐ कविता = ( अदाकारी )
सीख न पाया मैं अदाकारी !
मेरी गलती मुझ पर भारी !!
मेरे ख़ूॅं में नहीं ग़द्दारी !
मिली विरासत में ख़ुद्दारी !!
अब चला दौर मक्कारी !
मेरी यही है लाचारी !!
सीख न पाया मैं अदाकारी !
मेरी गलती मुझ पर भारी !!
रूप बदलना गर जो आता !
मैं भी सबको खूब लुभाता !!
इस रंगमंच के सब हैं खिलाड़ी !
हम तो निकले यार अनाड़ी !!
आ न पाई ये कलाकारी !
इस कला के सब हैं पुजारी !!
सीख न पाया मैं अदाकारी !
मेरी गलती मुझ पर भारी !!
रंग बदलना न मुझे आया !
मौसम माफ़िक़ न ढ़ल पाया !!
रंग दुनिया का न चढ़ पाया !
रंग में अपने न रंग पाया !!
रंग बदलती दुनिया सारी !
रंगों की सब पर छाई ख़ुमारी !!
सीख न पाया मैं अदाकारी !
मेरी गलती मुझ पर भारी !!
दोहरी ज़िंदगी न समझ आई !
उनकी लिखावट न मेल खाई !!
बनावट से बनाई मैंने दूरी !
थोड़ी जी पर जी ली पूरी !!
खुली किताब रही हमारी !
सबने पढ़ ली बारी - बारी !!
सीख न पाया मैं अदाकारी !
मेरी गलती मुझ पर भारी !!
सच का मुझको रोग लगाया !
झूठ बोलना क्यों न सिखाया !!
सच से अब दिल घबराया !
सच से ही मैं हुआ पराया !!
झूठों की दुनिया रह गई सारी !
झूठ के आगे सच्चाई हारी !!
सीख न पाया मैं अदाकारी !
मेरी गलती मुझ पर भारी !!
विपिन बंसल
Shashank मणि Yadava 'सनम'
19-Mar-2023 09:00 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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Vipin Bansal
19-Mar-2023 11:52 AM
आपका तहे दिल से आभार शुक्रिया
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