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लेखनी कहानी -18-Mar-2023

अपनो के दर्द को में अपना बना लेता हूं 

छोटी छोटी बातों को में दिल से लगा लेता हूं 
नही गीला मुझे कोई मुझे कोई चाहे गाली देले
मेरे अपनो के बारे में गलत सुनकर गुस्सा आता है 
और में उसी गुस्से को अपने ऊपर हावी कर लेता हूं 
में अक्षर बढ़ो की लड़ाई में 
हिस्सा ले लेता हूं 
में अकसर खुद के पैर पे कुल्हाड़ी मार लेता हूं 
हूं नादान अकल से जरा भी नही समझ मुझे
और इसी नासमझी में अक्सर नासमझी कर लेता हूं 

_mr_writer_lucky 

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4 Comments

Radhika

19-Mar-2023 07:13 AM

Nice but अक्षर नहीं अक्सर बड़ों की लडाई मे....

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Mr writer lucky

11-May-2023 10:32 AM

Ji jarur wo thoda typing mistake ho gaya

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