मौन निमंत्रण.......
.................मौन निमंत्रण...............
क्या ही सुखद अनुभूति होती है मौन निमंत्रण पा कर के,
उदरपूर्ति करने पश्चात ज्यों मिले मिठाई जी भर के।
नेह-निमंत्रण, सादर आमंत्रण से भी दिल प्रफ़ुल्लित हो जाता,
क्यों विशेष है मौन निमंत्रण क्यों तन-मन पुलकित हो जाता।
शब्दों से जब न कह पाते वहां मौन सदा मुखरित होता,
शब्दों से बहुत अधिक प्रियजन का मौन प्रभावकारी होता।
कोरे कागज़ की भाषा भी प्रियजन तो पढ़ लेते हैं,
क्यों फ़िर मौन न समझेंगे, विद्वेष मिटाया करते हैं।
सुनते हैं एक मौन आपस की रार दूर कर देती है,
एक क्रोधित होने पर दूजे से अपेक्षा मौन की होती है।
वक्त से बड़ा मरहम कोई वैग्यानिक बना नहीं पाया
तन से ही नहीं मन से भी कोई विद्वेश मिटा नहीं पाया।
ईश प्रदत्त है वक्त का मरहम ये सबको ख़ुश कर देता है,
तन से मन से सब इन्सां की उलझन दूर कर देता है।
दुनिया में कुछ विद्वतजन तो मौन साधना करते हैं,
मौन की शक्ति को विद्वतजन ही पहचाना करते हैं।
आनन्द कुमार मित्तल अलीगढ़
Renu
21-Mar-2023 08:40 PM
👍👍
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Varsha_Upadhyay
20-Mar-2023 08:05 AM
शानदार
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ऋषभ दिव्येन्द्र
19-Mar-2023 06:42 PM
कमाल का लिखा है आपने 👏👏
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