गौरैया
गौरैया
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आजा मेरी गौरैया रानी
खा ले खाना पी ले पानी
तुम बिन सूना मेरा अंगना
घर में रोते हैं सब ललना
तुम तो हो चिड़ियों की रानी
चूं चूं करती आजा रानी
खा ले खाना पी ले पानी
आजा मेरी गौरैया रानी
तरूवर तुमको खोज रहे हैं
बेल लतायें पूंछ रहे हैं
क्यों रूठी मेरी पटरानी
तुम तो हो बगिया की रानी
चूं चूं कर आजा महरानी
खा ले खाना पी ले पानी
आज मेरी गौरैया रानी
तुम बिन पौधे सूख गये हैं
सुमन भी अंसुवन भीग गये हैं
कान भी मेरे तरस रहे हैं
सुनने को चूं चूं की वानी
मत रूठो मेरी महरानी
खा ले खाना पी ले पानी
आजा मेरी गौरैया रानी
छत में दानें बिछे पडे़ हैं
पडे़ पडे़ वो सूख रहे हैं
आपस में वो बातें करते
कहाँ गईं गौरैया रानी
क्यों रूठी हैं मेरी रानी
मत बस रूठो तुम महरानी
खा लो खाना पी लो पानी
आजा मेरी गौरैया रानी।
कवि विद्या शंकर अवस्थी पथिक कल्यानपुर कानपुर
Muskan khan
21-Mar-2023 12:50 PM
Nice
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ऋषभ दिव्येन्द्र
20-Mar-2023 03:15 PM
बहुत ही सुन्दर रचना
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