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स्ट्रीटलाइट

शुभी भाभी ने अक्षरा से कहा। अक्षरा जल्दी चलो कहीं क्लीनिक में भीड़ ना हो जाए ।वैसे दिवा अभी सो रही है उसके उठने से पहले हम आने की कोशिश करेंगे कहकर दोनों ननद और भाभी कार में बैठती हैं।फिर ड्राइवर को उस क्लीनिक का पता बताती हैं।

डॉक्टर झा शाम को अपने घर पर ही बने क्लीनिक में पेशेंट को देखती हैं जहां पर ज्यादा भीड़ होने से शटर डाउन कर दिया जाता है। ताकि लिमिटेड पेशेंट का अवलोकन किया जा सके।

आज भी शटरडॉउन था तभी भाभी को भैया का फोन आता है। दीवा उठ गई है बहुत रो रही है तुम अक्षरा को क्लीनिक में छोड़कर घर आ जाओ वैसे भी वह डॉक्टर एक पेशेंट के पीछे 10 से 15 मिनट लेती हैं टाइम लगेगा वहां पर अभी।

अक्षरा भाभी से भैया की बात सुनकर कहती है भाभी आप घर चली जाओ चेकअप होने के बाद मैं भैया को कॉल करूंगी तो वे मुझे लेने आ जाएंगे।

अच्छा जाओ अपनी बारी का इंतजार करो कहकर भाभी ड्राइवर के साथ घर चली जाती हैं।

अक्षरा गेट खोलकर क्लीनिक में पहुंचती है शटर उठा कर देखती है तो वहां पर कोई भी पेशेंट नहीं होता है फिर घर का डोरबेल बजाती है वह।

डॉक्टर झा के घर से एक बुजुर्ग महिला निकलती है। आज क्लीनिक जल्दी बंद हो गई मैंम जी

हां डॉक्टर बाहर गये हुए है आज।
कल रहेंगे ना।
हां कल क्लीनिक खुला रहेगा।
जी अच्छा कहकर अपने पे खीजती हुई,अक्षरा अपने भैया को फोन लगाती हैं और बातें करते हुए चौराहे पर स्ट्रीट लाइट के नीचे जाकर खड़ी हो जाती है।
विपरीत दिशा में ताकि भैया उसे उसकी रोशनी में आसानी से पहचान पाए।
5 मिनट होने पर भी भैया नहीं आ रहे हैं।
ओफ्फ...हो...
कब तक आएंगे कहकर वह रोड़ की ओर देखने लग जाती है।

इतने में थोड़ी दूर में स्कूटर पर एक व्यक्ति उसके सामने वाली गली में प्रवेश करते हुए दिखाई देता है।
अचानक वह आदमी उसकी तरफ अपने स्कूटर को मोड़ कर ले आता है।
अक्षरा बड़ी आशंकित हो जाती है।

वे आकर अक्षरा से पूछते हैं आप यहां पर कैसे खड़े हैं। कोई प्रॉब्लम है क्या मुझे बताइए।
जी नही।
रात का समय है। कुछ प्रॉब्लम है तो आप मुझसे कह सकती हो।

जी मैं डॉक्टर झा के पास आई थी आज क्लीनिक बंद है भाभी मुझे छोड़ कर गई है.... भैया आ रहे है मुझे लेने के लिए

अच्छा हां मेरी वाइफ भी यहां ट्रीटमेंट के लिए आती हैं उन्होने कहा।
जी उनका ट्रीटमेंट बहुत अच्छा है।
आप यहां पर खड़ी मत रहो सामने दुकान पर जाकर बैठ जाओ।
रात में स्ट्रीट लाइट के नीचे खड़े नहीं होते हैं।
वह मन ही मन सोचने लगी प्रॉब्लम क्या है वैसे भी दूसरी जगह खड़ी होगी तो भैया मुझे ढूंढते रहेंगे यहां से वह आसानी से मुझे देख पाएंगे।
उन्होंने फिर वापस कहा आप वहां जाकर वेट करो।
तब अक्षरा ने कहा कि सर जी ठीक है।

अचानक अक्षरा का ध्यान उनके शर्ट पर जाता है।
वे किसी पार्टी से जुड़े हुए व्यक्ति लग रहे थे उनके जेब पर कमल के निशान वाला बैच लगा हुआ था।

उनको आभार जताकर वह शॉप के पास जाकर खड़ी हो जाती है। और वह मददगार इंसान आगे की ओर बढ़ जाते हैं।

थोड़ी देर वेट करने के बाद भैया पहुंच चुके थे अक्षरा के पास आते ही कहा कि दिवा थोड़ी परेशान कर रही थी इसलिए रुक गया था। कार में बैठ जाओ।
जी भैया ।

घर पहुंचने के बाद भी उसके दिमाग में बार-बार एक ही सवाल आ रहा था। आखिर उन्होंने स्ट्रीट लाइट के नीचे खड़े रहने से क्यों मना कर दिया आखिर क्यों..........

फिर उसे अचानक अपने उस कौंधते प्रश्न का जवाब स्वतः ही मिल जाता है।

हां समय बदल चुका है अब स्ट्रीट लाइट पर अक्सर रेड लाइट एरिया वाले ही खड़े मिलते हैं। 

इसीलिए उन्होंने...... हे भगवान.....

जमाना कितना बदल गया है अब महानगरों का गंदा खेल छोटे-छोटे शहरों में अपनी शाख पकड़ने लगा हैं।

साथ ही उसे पापा की कही बातें भी याद आ रही थी। कि जब घरों में बिजली नहीं हुआ करती थी तो लोग स्ट्रीट लाइट पर शाम को अपना समय ताश ,चौपड़ खेल कर अपना मनोरंजन किया करते थे और वैसे ही देखने वाले लोगों की भीड़ भी हुआ करती थी कभी किसी के घर में खुशियां जन्म लेती थी तो भी वहां पर भीड़ इसी स्ट्रीट लाइट के नीचे हुआ करती थी खुशी जाहिर करने के लिए गांव में फिल्मों वाली वीडियो दिखाया जाता था।और रात्रि में छात्र अपनी पढ़ाई किया करते थे। 

हां सच में जमाना कितना बदल चुका है अब इन स्ट्रीट लाइट का पर्याय ही रूपांतरित हो चुका है.....


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3 Comments

Miss Lipsa

29-Sep-2021 05:49 PM

Bohot khoobb

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Shalini Sharma

22-Sep-2021 11:10 AM

Nice

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Rajeshwari thakur

22-Sep-2021 03:50 PM

Thanku very much 💐💐💐

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