Tania Shukla

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हार्टलेस

वो…  मैं और मीनल मार्केट आए थे और फिर हम विश्वनाथ मंदिर दर्शन के लिए आ गए यहां पर हमें एक लड़की मिली है जिसकी दिमागी हालत सही नहीं है वैसे दिखने में वो कोई भिखारी नहीं लग रही शायद कोई ना कोई हादसा हुआ है उसके साथ बहुत अजीब बर्ताव कर रही है वो… 

कहते कहते सोनल रुक गई थी,


बोलो बेटा आगे क्या कहना चाहती हो.. देवाशीष ने कहा


भैया , क्या आप इसको किसी सरकारी अस्पताल में उसको भर्ती नहीं करवा सकते या फ़िर अपने ही हॉस्पिटल में एक बार इसको देख लेते.. असल में वो हमारी उम्र की है है, और ऐसे ही भटक रही है,..


ठीक है तो तुम इतना परेशान क्यू हो रही हो , मैं एम्बुलेंस  और दो  नर्स को भेजता हूं उसके लिए.. 

ओके..?


जी ठीक है भैया,, थैंक्यू सो मच आप कितने अच्छे हो । सोनल ने खुश होते हुवे कहा,..


फोन रख कर सोनल दूसरी तरफ पलटी तो देखती है वो लड़की उन कपड़ों में कितनी सुन्दर लग रही थी 

उसकी मोटी मोटी आंखे कुछ खोज रही थी


मेरी बेटी,, आ गई , आ गई वो रही मेरी बेटी …. वो देखो, देखो ना… कहते कहते वो एक तरफ भाग गई,


सोनल और मीनल उसे देखते ही रह गए वो दोनों चाह कर भी उसे रोक नहीं पाए । वो बहुत तेज़ी से भाग रही थी,..


ओह नो, वो तो चली गई.. मीनल ने सोनल को देखते हुवे कहा,


भैया को फोन करके बता देती हूं नहीं तो वो बेकार ही परेशान होंगे सोनल ने जल्दी से फ़ोन निकाल लिया,..



घर में क़दम रखा ही था कि दादी की कर्कश आवाज कानों में पड़ी "कहां थी दोनों इतना समय लगता है क्या बाजार में" 

ऐसा क्या खरीद कर लाई हो जरा दिखाओ तो ,


जी दादी माफ़ कीजिए हमे,  हम बाजार से विश्वनाथ मंदिर दर्शन करने चले गए थे और वहां हमे एक लड़की मिली पता नहीं कौन थी पर कुछ जानी पहचानी सी आंखे थी उसकी.. और हमारी उम्र की थी.. और वो खाना मांग रही थी,..


अच्छा तो क्या हुआ उस लड़की को ,,,, दादी की उत्सुकता जाग ने लगी कौन थी वो पता चला ?


नहीं दादी उसके कपड़े पूरे फट गए थे और यहां वहा से शरीर दिख रहा था तो मैने और दीदी ने उसको अपना नया कुर्ता पहना दिया उसे भूख लगी थी तो खाने को दिया।


बहुत अच्छा काम किया यह तो तुम दोनों ने पापा ने बेठेक में आते हुए उनकी बात सुन ली थी तो वो खुद को बोलने से रोक नहीं पाए 


थैंक्यू पापा , मीनल ने कहा.. 


हमनें भैया को भी फोन किया था कि उस को किसी हॉस्पिटल या अपने ही हॉस्पिटल में भर्ती करवा दे, भैया कुछ करते इस से पहले ही वो पागलों की भांति, मेरी बेटी , मेरी बेटी आ गई कहती हुई एक और भाग गई और हम कुछ नहीं कर पाए ।


कोई बात नहीं सोनल तुमने अपनी तरफ से कोशिश की वो बहुत अच्छी बात है पर हो सकता है वो पागल न हो आज कल पैसे के लिए कुछ भी करते हैं लोग बाग, 

वैसे भी आज से पहले देखा नहीं कभी मंदिर के आस पास ऐसी कोई पागल लड़की को,,, दादी ने कुछ सोचते हुए अपनी शंका जाहिर की मैं तो हर दिन वहाँ के भिकारियों को पूरी सब्जी दे कर आती हूँ.. तुम ज्यादा परेशान मत हो, दादी ने कहा और विचारों में खो गई।


हाँ दादी पता नहीं हमने भी पहली बार देखा.. सोनल ने कहा 


तुम अब अपनी मां के साथ खाने की तैयारी कर लो और हां कल किस समय जाना है तुम्हे ?

अपनी टीचर का फोन नंबर हमको दे कर जाना और अपनी सहेलियों का भी,,.  सब के नंबर होना जरूरी है 


जी दादी अभी लिख कर दे देते हैं आपको 


पर मां मैने हां नहीं की थी सोनल को भेजनें की.. मुझे नहीं पसंद मेरी बेटी इस तरह अकेले अनजान शहर जाए , क्या हो जाएगा गर नहीं जाएगी तो, वहां कुछ हो गया तो दुनियां में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे हम, 


पापा आप कैसी बात करते है , देवाशीष ने हॉल में कदम रखते हुए कहा.. वो अपनी शाम की ड्यूटी ख़त्म करने से पहले ही आज आगया था, आज बिल्कुल पेशेंट नहीं थे और आज उसका बिल्कुल मन नहीं था काम करने का.. तब उसने मिस रोज़ी से जाने का बता दिया, और निकल कर आ गया,.. 


हां बलवीर… तू सही कह रहा है चिंता तो होती ही है पर अब इसका आख़री साल है और सोनल अभी तक कहीं गई भी नहीं है इसकी पढ़ाई पूरी हो जाएगी तो इसकी शादी कर देगे अगली साल तक, तब तक घूम आने दे इसको एक बार , फिर इसके ससुराल वाले जाने और यह ।


पर मां ? उन्होंने फिर कुछ बोलना चाहा था पर मां ने रोक दिया 


ठीक है जैसे आप सब की मर्जी,,,... पर जैसे जाए वैसे वापस आ जाए किसी से फालतू बातें न करें हमें कोई शिकायत नहीं चाहिए इसकी कहते हुए गुस्से में बाहर चले सोनल के पापा ।


सोनल की तो जान में जान आई कि चलो उसका जाना कैंसल होते होते रुका है वो खुश हो मां के साथ जल्दी जल्दी काम खत्म करने में लग गई फ़िर उसे अपना बैग भी तो तैयार करना था ।


सब खाना खा कर अपने अपने कमरे में चले गए..


सोनल देवाशीष के लिए कॉफी बना छत पर देने चली गई देवाशीष अपनी चारपाई पर लेटा खुली आंखों से तारो को निहार रहा था उसकी आंखे उन तारो में जाने किसे ढूंढ रही थी।


भैया….. भैया…, भैया कहां खोए हो आप?


सोनल ने कई आवाज़ दी लेकिन देवाशीष ने कोई जवाब नहीं दिया,.. तब सोनल ने उस को हिलाते हुए उठाया 


हां… यही तो हूं सोनल ,, कब आई तू पता नहीं चला मुझे, देवाशीष हड़बड़ाते हुवे उठा.


कैसे पता चलेगा भैया आप तो हमारी होने वाली भाभी के सपनों में खोए हुए थे, कौन है वो खुशनसीब हमें कब मिला रहे हो? सोनल ने भाई को छेड़ते हुए कहा


कोई नहीं है बेटा,, मैं तो अपने बचपन को याद कर रहा था जब हम कोलकाता में रहते थे कितने अच्छे दिन थे वो और कितनी खुशनूमा राते ,,,, उसने सोनल को बताया 


मेरे सभी दोस्त कितने अच्छे थे और तुझे याद है वो पास वाले बासु अंकल ,,, कितना परेशान करते थे हम उन्हें ।


हां भैया और उनकी एक बेटी भी थीं ना पता नहीं क्या नाम था उसका,,,, वो मोटी मोटी आंखो वाली 

जब गुस्से में अपनी आंखो को और मोटा कर लेती थी तो मैं तो डर कर भाग ही जाती थी, बहुत सुन्दर थी वो..


हम्म, पर मुझे तो कभी डर नहीं लगा उसकी मोटी आंखो से देवाशीष ने सोचते हुवे अनजाने में ऐसे ही बोल दिया ..


ओह तो यह बात थी,,,,  सोनल ने मुस्कुराते हुए कहा


तू भी ना, सोनल.. आज मेरे मजे लेने में लगी है, देवाशीष हड़बड़ा गया था, उसने जल्दी से बात बदली, अच्छा बता हो गई तेरी तैयारी जाने की,,


जी भैया सब हो गई,, थैंक्यू भैया आपको आप की वजह से ही मैं जा पा रही हूं..


अरे पागल कोई बात नहीं… पापा बस हम सब की चिंता करते हैं पर तू ध्यान रखना अपना और पापा ने जो जो कहां है उसको याद रखना ।


जी, अब मैं जाती हूं सुबह जल्दी निकलना होगा मुझे सोनल ने कप उठाया और जाने लगी,..


अच्छा रुक, यह तो बता वो दिन में कौन लड़की मिली थी तुम्हे, और फ़िर मैं एम्बुलेंस भेजने वाला था तो तुमने मना कर दिया था,


जी भैया पता नहीं कौन थी, एक बार तो उसकी बड़ी बड़ी आंखें देख मुझे किसी की याद आ गई थी पता नहीं किसकी.. उसे हम रोक ही नहीं पाए इतनी देर मुश्किल से उसके फटे कपड़ों के ऊपर ही दूसरे कपड़े पहना दिए हम लोगों ने.. कुछ खाने को दिया वहीं खाते खाते अचानक उसे पता नहीं क्या याद आया कि वो  "मेरी बेटी, मेरी बेटी आ गई ।" 

यही कहती हुई दौड़ पड़ी तो हम कुछ कर ही नहीं सके 


उसके साथ जरूर कुछ न कुछ हुआ है भैया.. देखने में अच्छे घर की लग रही थी एक दम गौरी चिट्ठी सोनल के सामने जैसे वो लड़की साक्षात आ गई हो वो उसी के विचारों में खो गई ।


चल कोई बात नहीं हो सकता है उसके घर वाले उसे घर ले जाए तू परेशान मत हो अपनी ट्रिप इंजॉय करना अच्छे से ।


जी आप भी अपनी कॉफी इंजॉय कीजिए ठंडी हो रही हैं.. सोनल ने कहा  और नीचे चली गयी..




"देवा तुम तुम्हारी स्माइल कितनी प्यारी है एक बार कोई देख ले तो मर ही जाए"  हाय हम तो इसी पर कुर्बान है… सेफू ने जब अपना हाथ दिल पर रख कर देवानंद स्टाइल में कहा तो देवा को अहसास हो रहा था के उसको जैसे सारा जहां ही मिल गया है.. वह आस्मां में उड़ने लगा था, 


और तुम्हारी यह हिरनी जैसी बड़ी बड़ी आंखें जैसे सारा संसार इन दो आंखो में सिमटने को तैयार हो.. देवा ने भी की तारीफ में कहा, तो उसकी बड़ी बड़ी आंखें और बड़ी हो गयी..और देवा वो तो बस उनमें डूबने को आतुर था.. वो दोनों मुस्कुरा रहे थे.. और एक दुसरे को देख रहे थे,..


देवा अपने ख्यालों से बाहर निकल आया,.. कहां हो तुम सेफु…कहा पर,

तुम तो अपनी लाइफ में आगे बढ़ गई हो शायद, पर मैं आज भी वहीं का वही हूं सिर्फ तुम्हारे इंतजार में ।


देवाशीष की आंखो के कोरो से एक बूंद आंसू न चाहते हुए भी टपक ही गया ।


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7 Comments

Babita patel

07-Aug-2023 10:17 AM

Very nice

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RISHITA

06-Aug-2023 10:41 AM

ला जवाब भाग

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Natasha

04-Apr-2023 05:06 AM

Waiting for next chapter

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