लेखनी प्रतियोगिता -22-Mar-2023
कभी हंसते कभी मुरझाकर ढलते देखा
मैंने मजदूर के बच्चों को पलते देखा।
वो चाहते थे उड़ता हुआ जहाज मांगना
फिर हंसके दो गुब्बारों में बहलते देखा।
मुझे खुशबू भरे बाग भी बेकार लगे
जब फूल से बच्चों को कूड़े पे टहलते देखा।
मैं चाहता था आसमान कुछ नीचे कर दूं
जब हाथ उठाकर बच्चों को उछलते देखा।
Renu
23-Mar-2023 08:25 PM
👍👍💐
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सीताराम साहू 'निर्मल'
23-Mar-2023 12:38 PM
👌👌👌
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Abhinav ji
23-Mar-2023 08:57 AM
Very nice 👌
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