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बच्चे

बच्चे
हम सब बच्चे अखिल विश्व में,
ज्ञान का दीप जलाएँगें।
कर के नाश अविद्या का हम,
शिक्षा-सदन  बसाएँगे।।
       हम सब बच्चे....
ऊँच-नीच औ श्वेत-श्याम में,
अब न कोई अंतर होगा।
हम सब बहनें हैं,भाई हैं,
मात्र यही चिंतन होगा।
मानवता का एक धर्म कर-
जग का मान बढ़ाएँगे।।
             हमसब बच्चे....
हमने ऐटम देखे हैं,बम देखे हैं,
ऐटम बम से प्यार नहीं करते।
यही दूसरा नाम प्रलय का,
जल-थल-नभ दूषित करते।
शस्त्र-शास्त्र का कर उन्मूलन-
शांति का पाठ पढ़ाएँगे।।
हमसब बच्चे....
पथ पर काँटे लाख बिछे हों,
मग़र हमें बढ़ते रहना है।
सिर न झुके,उन्नत ललाट कर,
सीना ताने  चलते रहना है।
शत्रु-भाल को रौंद-रौंद कर-
माँ की लाज बचाएँगे।।
          हमसब बच्चे....
कर्मठ लाल बहादुर जैसा,
वीर बहादुर छत्रसाल हों।
स्वाभिमान में हों प्रताप हम,
देश-भक्त शेखर जैसा।
वतन-परस्ती भगत की लेकर-
गाँधीवाद  चलाएँगे।।
          हमसब बच्चे....
जेठ की तपती दोपहरी हो,
या हों पूष की ठंडी रातें।
चहुँ-दिश गरजे घन-घमण्ड भी,
वर्षों बरसें बरसातें।।
जीवन-पथ पे भ्रमित पथिक को-
हम सब राह दिखाएँगे।।
          हमसब बच्चे....।।
                     © डॉ. हरि नाथ मिश्र
                         9919446372

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3 Comments

बहुत खूब

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सुन्दर रचना

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