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लेखनी प्रतियोगिता -25-Mar-2023 लक्की की मौत एक रहस्य



शीर्षक = लक्की की मौत एक रहस्य




आज लोकेश यानी लक्की को इस दुनिया से गए 13 दिन बीत गए थे, आज उसकी तेरहवी भी हो गयी थी धीरे धीरे उसके घर आये उसके रिश्तेदार भी एक एक करके जाने लगे थे उसके माता पिता को जवान बेटे की यूं अचानक मौत पर सांत्वना देकर


"बहन, सब्र करो, हम सब जानते है लोकेश आपका इकलौता बेटा था, उसकी इस तरह अचानक खुद को फांसी लगा कर मौत की नींद सोने ने हम सब को भी आश्चर्य चकित कर दिया है, उसका तो व्यवहार भी ऐसा नही था हमेशा ख़ुश रहता था, कौन जानता था हमेशा चहरे पर मुस्कान सजाये ज़िंदा दिल रहने वाला लड़का यूं इस तरह कॉलेज हॉस्टल के कमरे में फांसी पर झूल जाएगा वो भी ज़ब, ज़ब सब बच्चें अपने अपने घर छुट्टियों पर गए थे, हो न हो ज़रूर पढ़ाई ही इसके पीछे का कारण रही होंगी, आज कल की पढ़ाई भी तो बच्चों के ऊपर एक बोझ बनती जा रही है " लोकेश की माँ से उसकी पड़ोसन  ने कहा जाते हुए

"ईश्वर जाने, लेकिन जहाँ तक मैं जानती हूँ मेरा बेटा इतना कायर नही था की वो पढ़ाई के बोझ से तंग आकर खुद को फांसी लगा ले, बल्कि उसे तो पढ़ना अच्छा लगता था, और तो और जिस विषय की वो पढ़ाई कर रहा था वो भी उसका पसंदीदा विषय था, उसे होटल मैनेजमेंट करनी थी, उसके पिता और मैं भी उसकी ख़ुशी में खुश थे, मैं इस बात पर यकीन नही कर सकती भले ही पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट में मौत की वजह दिमाग़ पर किसी चीज का प्रेशर आया हो, लेकिन वो प्रेशर पढ़ाई का नही हो सकता, अगर पढ़ाई का भी होता तो वो उसका सामना करता इस तरह खुद को नही मारता, लक्की की मौत एक रहस्य है हम सब के लिए और मैं इस रहस्य को जान कर रहूंगी " लोकेश की माँ, लता जी ने कहा


"आपकी दवाई का समय हो गया है, आप अंदर जाकर दवाई खा कर आराम कीजिये, मेहमानों को विदा मैं कर देता हूँ, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में साफ लिखा है, कि मौत कि वजह दिमाग़ पर किसी प्रेशर का पड़ना है, और एक विद्यार्थी जीवन जी रहे विद्यार्थी पर पढ़ाई के अलावा और क्या प्रेशर हो सकता है, जानती तो है आप दिवाली के बाद उसके फाइनल एग्जाम थे, जिनके परिणामों पर ही उसका सारा भविष्य टिका हुआ था, इसी के चलते वो दिवाली कि छुट्टियों में घर भी नही आया था,अब तो पुलिस ने भी छान बीन बंद कर दी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद और कुछ दिन बाद उसकी फ़ाइल भी क्लोज हो जाएगी, आप मान क्यूँ नही लेती कि हमारे बेटे कि मौत कि वजह पढ़ाई का प्रेशर ही थी " लता जी के पति और लक्की के  पिता अमित जी ने अपनी पत्नि को समझाते हुए कहा


"मैं नही मानती, मेरा बेटा कायर नही था और पढ़ाई के मामले में तो बिलकुल नही, भले ही पुलिस ने मान लिया हो या और लोग भी इस बात पर यकीन रखते होंगे लेकिन मैं इस बात को मानने को तैयार नही हूँ, कि मेरे बेटे के फांसी के फंदे पर झूलने कि वजह पढ़ाई या उसका प्रेशर थी " लता जी ने कहा और अपने आंसुओ को साड़ी के पल्लू से साफ करते हुए वहाँ से अपने कमरे में चली गयी

अमित जी ने उन्हें रोकने कि नाकाम कोशिश कि पर वो नही रुकी, तब ही उनके पडोसी ने उन्हें सांत्वना दी और सब भी उन्हें सांत्वना देकर वहाँ से चले गए अब बस उस घर में लता जी और उनके पति अमित जी ही बचे थे


अमित जी ने लता जी को कई बार समझाने की कोशिश की लेकिन वो नही मानी वो हर दुसरे तीसरे दिन पुलिस स्टेशन जाती वहाँ अपने बेटे के बारे में पूछती, उसके मौत का असली कारण जानना चाहती लेकिन उन्हें नाकामी ही मिलती, क्यूंकि पुलिस ने पोस्टमार्टम की रिपोर्ट को ही सबूत बना कर केस बंद कर दिया था

लेकिन एक माँ का दिल मानने को तैयार नही था कि उनके बेटे ने खुद ख़ुशी कि थी उन्हें लगता था कि उसे मजबूर किया गया था, इतना बड़ा कदम उठाने के लिए, उसका हो न हो क़त्ल हुआ है और कातिल कही खुला घूम रहा है, इसी बात के चलते उन्होंने उसके सारे दोस्तों के घर जाकर भी उनसे पूछना चाहा लेकिन वहाँ भी उन्हें नाकामी ही मिली कुछ भी ऐसा मालूम नही पड़ा जिसे बुनियाद बना कर लक्की कि मौत के रहस्य की गठरी को सुलझाया जा सके


एक महीने से ऊपर हो गया था, न चाहते हुए भी लता जी को अपनी जिंदगी की और लौटना पड़ा क्यूंकि मरने वालों के साथ मरा नही जाता भले ही वो अब पहले जैसी जिंदगी नही जी सकती थी क्यूंकि अब उनका बेटा उनके पास नही था लेकिन जिंदगी है जीना तो पड़ेगा ही, फिर चाहे हस कर जियो या रोकर, इसलिए वो भी अपनी जिंदगी की और लौटने लगी थी लेकिन अब भी वो कही न कही इस सोच विचार में लगी रहती थी कि एक न एक दिन वो अपने बेटे की मौत का रहस्य जान कर रहेंगी


ऐसे ही एक दिन वो बाजार से कुछ सब्जी खरीद रही थी, कि अचानक उनकी टक्कर एक लड़के से होती है, लता जी के हाथ से थैला छूट जमीन पर गिर जाता है और उसमे रखी सारी सब्जी नीचे गिर जाती है


माफ करना आंटी मेने देखा नही, सामने खड़े लड़के ने बिना लता जी कि तरफ देखे उनसे माफ़ी मांगी और नीचे झुक कर सारी सब्जियाँ थैले में भरने लगा


तब ही लता जी को उसकी आवाज़ कुछ जानी पहचानी सी लगी, और उन्होंने अपनी बात कि पुष्टि करने के लिए उसका नाम पुकारते हुए कहा " तुम समीर हो न "

अपना नाम सुन कर उस लड़के ने जो कि नीचे गिरी सब्जियाँ उठा रहा था, अपनी गर्दन उठा कर ऊपर देखा तो थोड़ा घबरा सा गया और हकलाते हुए बोला " अ,,, अ,,आंटी आप,, जी मैं समीर ही हूँ, "


"बेटा, तुम यहां कैसे, आज कॉलेज नही गए, तुम तो लोकेश के साथ ही उसके रूम में रहते थे न " लता जी ने कहा


इस तरह का प्रश्न सुन सामने खड़ा समीर थोड़ा काँपने लगा उसकी जुबान उसका साथ नही दे रही थी और तो और निगाहेँ भी एक जगह नही टिक रही थी


"क्या हुआ बेटा? तुम ठीक तो हो, मेने तुम कुछ पूछा था तुमने जवाब नही दिया " लता जी ने दोबारा प्रश्न करते हुए पूछा


"व,, व,, वो,,, आंटी,, दरअसल,,, मैं,,, मैं,,, कॉलेज,,, कॉलेज,,, मैं " समीर ने हकलाते हुए कहा


"क्या बात है, बेटा इस तरह घबरा क्यूँ रहे हो? कुछ हुआ है क्या? " लता जी ने पूछा


सामने ख़डी लता जी को अचानक अपने सामने देख, सामने खडे समीर के पसीने छूट गए थे और वो बोला " म,, म,, मुझे क्या होना है? मैं ठीक हूँ, अच्छा आंटी मैं चलता हूँ "

"बेटा मेरे सवाल का जवाब तो देते जाओ, तुम लोकेश के सेहपाठी थे न, वो तुम्हारे साथ ही हॉस्टल के कमरे में रहता था न, वो ज़ब वीडियो कॉल करता था तो तुम भी तो मुझसे बाते करते थे, लेकिन आज तुम्हे क्या हुआ है मुझे देख इस तरह घबरा क्यूँ रहे हो? कुछ परेशानी है तो मुझे बताओ, तुम मेरे बेटे जैसे हो " लता जी ने कहा


"न,, न,, नही आंटी ऐसी कोई बात नही, जी मैं लोकेश का सेहपाठी था, और उसके साथ उसके हॉस्टल के कमरे में रहता था, आंटी मुझे जाना होगा मेरे पापा कि कॉल आयी थी, वो घर पर मेरा इंतज़ार कर रहे है " समीर ने कहा और जाने लगा


"ठीक है, बेटा तुम चले जाओ, लेकिन मुझे इतना तो बता सकते हो,कि मेरे बेटे ने खुद को फांसी पर क्यूँ लटका लिया था, क्या पढ़ाई ही उसकी असली वजह थी, तुम तो उसके साथ रहते थे न, तुम उसे अच्छे से जानते थे " लता जी ने नम आँखों से पूछा


"आंटी, मुझे माफ करदे, मैं इस बारे में कुछ नही जानता, मैं तो उसे हॉस्टल में दिवाली से दो दिन पहले ही छोड़ कर अपने घर दिवाली मनाने चला गया था , मेने उससे पूछा था कि वो घर नही जाएगा, तब उसने कहा था कि सिर्फ दिवाली वाले दिन घर जाएगा उसे फाइनल एग्जाम की तैयारी करनी है, हॉस्टल में रहकर, मुझे नही मालूम उसके साथ किया हुआ जिसके चलते उसने फांसी लगा ली मुझे भी आप लोगो की तरह दिवाली वाले दिन ही पता चला था की लोकेश यानी की हमारा लक्की हमारे बीच नही रहा " समीर ने कहा और जल्दी से वहाँ से भाग निकला


उसकी लड़खड़ाती जुबान, और नजरें चुराती आँखे इस बात की और इशारा कर रही थी की हो न हो समीर कुछ तो छिपा रहा है, कुछ तो बात ऐसी है जो समीर जानता है पर बताने से डर रहा है, इन बीते दिनों में लता जी के विश्वास को यकीन में बदलने वाली एक वारदात आज पेश आयी थी जो इस और इशारा कर रही थी की जरूर कुछ तो छूट रहा है



घर आकर उन्होंने सारी बात अपने पति को बताई, वो जानती थी की उनके पति उनकी किसी भी बात का यकीन नही करेंगे लेकिन अपने मन में चल रहे सवालों को किसी के समक्ष तो रखना ही था, इसलिए उन्होंने अपने पति के साथ साँझा कर लिए लेकिन अफ़सोस उनके पति को भी इस बात में कुछ अजीब नही लगा, और उन्होंने उन्हें दवाई खा कर सोने का कह दिया


लेकिन अब लता जी सोने वालों में से नही थी, वो तो ज़ब भी चोकन्नी थी ज़ब उन्हें उनकी बात की पुष्टि करने का एक छोटा सा भी सबूत नही मिला था और अब तो कुछ ऐसा उनके हाथ लग गया था कि जिसे अगर थोड़ा बहुत खंगोला जाए तो बहुत कुछ पता चल सकता है, इसलिए उस दिन से ही उन्होंने चोरी छिपकर समीर का पीछा करना शुरू कर दिया, समीर जो कि लोकेश के साथ ही कॉलेज हॉस्टल में रहता था लेकिन अब ज़ब एग्जाम ख़त्म हो गए थे तब वो अपने घर आ गया था जो कि अगली गली में ही था



समीर जहाँ कही भी जाता उसका सामना लोकेश यानी कि लक्की की माँ से हो जाता और वो नजरें चुरा कर वहाँ से भाग निकलता, ऐसा कई दिन चलता रहा और एक दिन लता जी समीर के घर पहुंच जाती है


अपने घर की देहलीज पर ख़डी लता जी को देख समीर के पैरों तले जमीन निकल जाती है, वो भागता हुआ अपने कमरे में चला जाता है


लता जी और समीर के माता पिता के बीच काफी देर बात चीत होती है, उसके पिता, लता जी को उनके बेटे से मिलने से मना कर देते है और ये कह कर घर से निकाल देते है, कि आप अपने बेटे के चलते बेवजह ही उनके बेटे को परेशान कर रही है


लेकिन लता जी उनके घर से जाते समय कुछ ऐसा कहती है जिसे सुन अंदर कमरे में बैठे समीर की अंतरात्मा झकझोड़ जाती है, लोकेश की माँ द्वारा कहे शब्द कुछ इस प्रकार थे " मैं यहां सिर्फ अपने बेटे के लिए नही आयी हूँ, मैं जानती हूँ मेरे बेटे की मौत का कारण पढ़ाई की चिंता नही थी कुछ ऐसा हुआ था कॉलेज के उस हॉस्टल में जिसके चलते मेरे बेटे ने खुद को फांसी पर चढ़ा लिया, मेरे बेटा तो वापस नही आएगा मैं जानती हूँ लेकिन अगर उसकी मौत की वजह पता चल जाए तो हो सकता है बहुत सी माओ के बेटे उनसे जुदा होने से बच जाए जुर्म को छिपाना भी एक जुर्म है, और जुर्म की सजा मैं नही दिलवाऊंगी तो भगवान स्वयं उसकी सजा मेरे बेटे के गुनेहगारो को दे देंगे लेकिन बस मैं इतना चाहती हूँ की एक बार अपने बेटे के आगे कायरों की तरह फांसी पर झूल जाने का धब्बा हटा दू, क्यूंकि मेरा दिल कहता है कि मेरा बेटा पढ़ाई कि वजह से फांसी पर नही लटका और एक माँ का दिल उसकी औलाद के लिए झूठ नही बोलता, बाकी आप सब कि मर्ज़ी अगर सच सबके सामने नही आया तो कल कोई और लोकेश फांसी के फंदे पर झूल जाएगा और वजह पढ़ाई का प्रेशर बता कर उसकी फ़ाइल भी बंद करदी जाएगी "


लता जी अपने मन कि सारी बाते कह कर वहाँ से चली जाती है, अंदर खुद को कमरे में बंद किए समीर एक अजीब दुविधा में था और बहुत देर सोच विचार करने के बाद वो बाहर निकला और अपने माता पिता से छिपकर पीछे के दरवाज़े से बाहर निकल जाता है


लता जी अपने बेटे लोकेश कि तस्वीर हाथ में लिए रो रही थी, पास बैठे उनके पति उन्हें दिलासा देने के सिवा कुछ और नही कर पा रहे थे

कि तब ही दरवाज़े कि घंटी उन दोनों के कान में सुनाई पडती है, अमित जी दौड़ते हुए जाकर दरवाज़ा खोलते है, तो सामने समीर खड़ा था, जिसे अमित जी ज्यादा नही जानते थे, वो अपना नाम बता कर अंदर आने का कहता है, बाहर से आ रही आवाज़ को सुन लता जी भी बाहर आ जाती है और सामने खडे समीर को देख उनके चहरे पर एक मुस्कान सी आ जाती है, और वो फिर समीर के पास जाती है और उसके सामने हाथ जोड़ते हुए कहती है, बेटा तुम्हारे सामने एक माँ ख़डी है, इसकी विनती सुन लो मैं जानती हूँ तुम कुछ ऐसा जानते हो जो हम में से कोई नही जानता और तो और तुम्हारे माता पिता भी उस सच्चाई से वाकिफ है इसलिए ही तो उन्होंने मुझे तुमसे मिलने नही दिया, बेटा अब ज़ब तुम आ ही गए हो तो मुझे मेरे बेटे कि मौत के बारे में बता दो जो अब तक रहस्य बनी हुयी है, केहदो की उसके मौत की वजह पढ़ाई का प्रेशर नही बल्कि कुछ और था कुछ ऐसा जो उस चार दीवारी में कही कैद है जिसे तुम या फिर लक्की जानता था "


लता जी के सवालों को सुन सामने खड़ा समीर डर से कांप रहा था लेकिन फिर भी उसने हौसला रखा और बोला " आंटी, आप सही है, लक्की के यू इस तरह फांसी के फंदे पर लटकने की वजह पढ़ाई का प्रेशर नही है, उसने तो सब कुछ बहुत पहले ही याद कर लिया था, उसे परीक्षा की कोई चिंता नही थी वो जानता था वो बहुत अच्छे अंक ले आएगा क्यूंकि उसने पूरे साल मेहनत से पढ़ाई की है "


ये सुनने के बाद तो मानो लता जी के चहरे पर एक ख़ुशी दौड़ पड़ी और वो पास खडे अमित जी का हाथ पकड़ कर बोली " आपने सुना, मैं कहती थी मेरा बेटा कायर नही था, वो इस तरह पढ़ाई के डर से कभी भी इतना बड़ा कदम नही उठा सकता "


"क्या तुम सही कह रहे हो? क्या मेरा बेटा पढ़ाई के प्रेशर की वजह से नही मरा?" अमित जी ने पूछा


"जी अंकल मैं सही कह रहा हूँ, कॉलेज से लेकर हॉस्टल तक वो मेरे साथ ही रहता था, उसे मुझसे बेहतर कौन जान सकता था " समीर ने कहा


"तो फिर बेटा, उसने इतना बड़ा कदम क्यूँ उठाया? क्यूँ खुद को फांसी के फंदे पर लटका दिया, कही ऐसा तो नही की कॉलेज में उसके साथ कुछ गलत हो रहा हो कुछ ऐसा जिसे वो बर्दाश्त न कर सका हो, तुम समझ रहे हो न मेरा इशारा किस तरफ है, कही कॉलेज के सीनियर उसके साथ कुछ ऐसा वैसा तो नही कर रहे थे, जिसे उसे दूसरों को बताने में शर्म आती हो और इसी के चलते उसने खुद को ही ख़त्म कर दिया, मैं एक एक को नही छोडूंगा तुम बताओ मुझे " अमित जी ने थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा


"नही अंकल, मैं आपकी बात समझ रहा हूँ, आप रैगिंग के नाम पर शारीरिक शोषण की बात कर रहे है, नही अंकल ऐसा वैसा कुछ नही था, हम कोई फ्रेशर नही थे पिछले कई सालो से उसी कॉलेज में पढ़ते आ रहे थे, हो न हो लक्की की मौत की वजह उसका अपने लक के प्रति जुनून हो सकता है " समीर ने कहा


"लक के प्रति जुनून, ये क्या कह रहे हो तुम बेटा, ये केसा सवाल तुमने खड़ा कर दिया है " अमित जी ने पूछा आश्चर्य से साथ ही लता जी भी हेरत में थी


"अंकल, आंटी मैं यकीन से तो नही कह सकता लेकिन अपनी मौत से पहले लक्की और मैं कॉलेज की क्लास बंक करके मूवी देखने गए थे उसके बाद वहाँ से लौटते समय लक्की की नजर एक आदमी पर पड़ी जिसके पास एक तोता था और वो पैसे लेकर सब का भविष्य और उसका लक बता रहा था


लक्की ही मुझे वहाँ लेकर गया और उसने पैसे देकर अपने बारे में पूछा तब वहाँ बैठे आदमी ने बताया की उसका लक उसका भाग्य बहुत अच्छा है वो जिस चीज को भी पाना चाहएगा पा लेगा

उसके कहे शब्दों ने मानो लक्की पर केसा जादू कर दिया, उसने तुरंत ही आगे चल कर एक लॉटरी खरीद ली जिसका परिणाम शाम को आना था और परिणाम स्वारुप लकी वो लॉटरी जीत गया,

उसके बाद उसने अपना लक एक आद जगह और अपनाया और भाग्य के चलते वो उसमे भी जीत गया, उसका लक के प्रति जुनून कुछ ज्यादा ही बड़ गया था

यहां तक की अब वो कुछ ऐसी वेबसाइट से जुड़ गया था जो ऐसे ही लोगो को खोजती है, और उन्हें नए नए ऐसे टास्क देती है जिनमे या तो उनकी जीत हो सकती है और हार भी


दिवाली से दो दिन पहले ज़ब मैं अपने घर जा रहा था, तब मेने उससे भी कहा चलने को लेकिन वो उन्ही वेबसाइट द्वारा दिए अजीब से टास्क को करने में लगा था और बोला वो दिवाली वाले दिन ही घर जाएगा उसे अभी और बहुत से टास्क जीतना है अपने लक के भरोसे, मैं उसे छोड़ कर आ गया


और फिर दिवाली वाले दिन मुझे पता चला की हॉस्टल के कमरे में लोकेश मेरा प्यारा दोस्त लक्की फांसी पर लटका मिला,


हो न हो उसकी मौत के पीछे का रहस्य उसी वेबसाइट द्वारा दिया गया टास्क होगा, जिसमे उसने अपना लक आजमाने के लिए खुद को फांसी के फंदे पर लटकाया होगा और बदकिस्मती से मारा गया


आंटी मुझे माफ कर देना, मेने सारा सच अपने माता पिता को बता दिया था, लेकिन उन्होंने मुझे रोक रखा था क्यूंकि आप सब ही जानते है की पुलिस और उसके मामलो से हर कोई दूर ही रहना चाहता है, लेकिन ज़ब आज आपने घर आकर कहा कि आप अपने बेटे के लिए नही बल्कि और माओ के बेटों को बचाने के लिए अपने बेटे कि मौत के राज से पर्दा हटाना चाहती है, तब शायद ये सुन मुझसे रुका नही गया, जो कुछ मेने आपको बताया है वही सब कुछ मैं पुलिस को भी बताने को तैयार हूँ


ताकि मेरे दोस्त के गुनाहगारो को सजा मिल सके " समीर ने सब कुछ बता दिया

ये सब सुन मानो अमित जी और लता जी के पैरों तले जमीन ही निकल गयी,

उसके बाद वो सब थाने पहुंच वहाँ शुरू से सारी कार्यवाही शुरू हुयी, दोबारा से लोकेश का मोबाइल जाँचा गया और उन वेबसाइट का पता लगाया गया जो इस तरह के बच्चों के जीवन के साथ खेल रही थी सिर्फ अपने लालच के खातिर,आखिर कार बहुत दिनों के मेहनत रंग लायी और वो ग्रहो पकड़ा गया जो चंद पैसों का लालच देकर लोगो से उनका लक आजमाने का कहता वो भी ऐसे टास्क देकर जो उनके लिए जानलेवा हो सकते थे


आज एक साल बाद ही सही लोकेश यानी कि लक्की के मौत का रहस्य खुल चुका था, सब लोग लता जी के हौसले और यकीन कि दाद दे रहे थे, क्यूंकि सिर्फ वही थी जिनका मन मानने को तैयार नही था कि उनका बेटा पढ़ाई के प्रेशर से मरा है, कभी कभार जो दिखता है वो होता नही है


समाप्त......

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9 Comments

Mohammed urooj khan

27-Mar-2023 11:53 AM

आप सब ही का तेह दिल से शुक्रिया रचना पढ़ सराहने के लिए 🙏🙏🙏

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Seema Priyadarshini sahay

27-Mar-2023 09:57 AM

बेहतरीन रचना

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शानदार रचना 👌

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