बेबी...लेट मी किल यू ! ( चैप्टर - 7)
चैप्टर - 7
आम्या अवदान को देख हद से ज्यादा चौंक चुकी थी मानो उसने कभी सोचा ही ना हो वो उसे देखेगी , अभी आम्या इस बात को कबूल ही रही थी वो शख्स उसके सामने है जिसे वो कभी देखना ही नही चाहती थी , कि तभी रुद्राक्ष उस शख्स का परिचय आम्या से एक ऐसे नाम से करवाता है जिसे आम्या कभी सुनी भी नही थी।
" अम्मू....इससे मिल ये है मेरा दोस्त..अवदान।" रुद्राक्ष अवदान के कंधे पर हाथ रख कहता है अवदान भी एक मुस्कुराहट के साथ आम्या को हेलो कहता है और साथ ही अवदान आम्या के आगे हाथ बढ़ाता है हाथ मिलाने के लिए , मगर आम्या तो बस उसे घूरे ही जा रही थी एक टक , अवदान को थोड़ा अजीब लगता है तो वो अपना हाथ पीछे कर लेता है और सिर्फ अवदान को ही नहीं बाकियों को भी ये बात अजीब लगती है।
" अम्मू बेटा...क्या हुआ आपको।" जगत नारायण जी आम्या के सिर पर हाथ फेरते है जिससे आम्या अपने ही ख्यालों के उधेड़ बुन से बाहर आती है और हड़बड़ा कर कहती है -" चा...चाचा जी ये....ये...इंसान।" आम्या अवदान के ओर इशारा कर कुछ कह ही रही थी की तब तक अवदान बोल पड़ता है -" जी..इस इंसान का नाम भी है , अवदान!"
" तुम यहाँ क्या कर रहे...?" अबकी बार आम्या हैरानी से अवदान से चिल्ला कर पुछ ही लेती है पूरा घर खामोश हो जाता है आम्या के चीखने की वजह से रुद्राक्ष आम्या के पास आया है और उससे बोलता है -" क्या हुआ अम्मू.... तू मिली है कभी अवदान से?" रुद्राक्ष के सवाल पर आम्या डर से हां में सिर हिला देती है किसी को इस वक्त कुछ समझ नही आ रहा था आखिर आम्या अवदान को कैसे जानती है अभी ख़ुद से ही अंदाजा लगाने में लगे हुए थे वही दक्षता एक ओर उबासी लेते हुए पूरा कार्यक्रम देख रही थी उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा की। ख़ुद से ही आंखे घुमा कर वो बोलती है -" कितनी नौटंकी वाली फैमिली है जब देखो तब कुछ होता ही रहता है..( फिर ख़ुद पर हंस कर ) तू भी भी न दक्षू.... तुझ से ज्यादा नौटंकी कौन होगा।" और फिर मजे से पूरा मामला सुनने लगती है।
" भाई न्यूयॉर्क में....देखी हू मै इसे....!" आम्या अब हद से ज्यादा घबरा रही थी मानो उसके सामने अवदान नही बल्कि मौत खड़ा हो।अवदान हैरानी से आम्या और रुद्राक्ष के सामने खड़ा होते हुए बोलता है -" पहली बात मैं कभी न्यूयॉर्क नहीं गया....और दूसरी बात मैं तुमसे आज के पहले कभी नहीं मिला।"
अब आम्या की घबराहट गुस्से में बदल चुकी थी वो अपने भाई का हाथ पकड़ अवदान के थोड़ा पास जाती है बोलती है -" झूठ मत बोलो....अरे तुम तो... मा...." आम्या आगे बोलती की संयुक्ता दादी बीच में बोल पड़ती है -" कैसे बता कर रही हो तुम आम्या....इस बच्चे को हम पिछले चार सालों से जानते है हमेशा से आता जाता है तो तू कैसे मिली इससे जबकि तू तो चार सालों से भारत आई ही नहीं और इसके फैमिली की वजह से ये कभी भारत के बाहर गया ही नहीं।" दादी के बोलने के बाद आम्या हैरान परेशान सी अवदान पर चीखने लगती है और अवदान असमंजस में सब सुन रहा था।
" तुम झूठ मत बोलो....दादी ये...ये एक नंबर का मक्कार और पत्थर दिल इंसान है...इसे भरोसा मत करो सब बर्बाद कर देगा.....अरे इस जैसा इंसान दोस्ती कर ही नहीं सकता दोस्ती के लायक नही है...ये...!"
आम्या चीखें जा रही थी मगर सिर्फ तब तक जब तक अवदान के चीखने की आवाज़ नहीं आती -" चुप.....एकदम चुप....भले ही तुम मेरे दोस्त की बहन को मगर इसका ये मतलब नही की मैं कुछ भी चुप चाप सुन लू....समझ क्या रखा है तुमने मुझे , मेरी भी सेल्फ रेस्पेक्ट है समझी।" इतना बोलते ही अवदान वहां से अपने कमरे की ओर गुस्से में चला जाता है।रुद्राक्ष वहां से जाते अवदान को देख रहा होता है आज से पहले उसने अवदान को कभी इतने गुस्से में या कहे तो कभी गुस्से में देख ही नहीं था।
" अम्मू...शायद तुझे कोई गलत फहमी हो गई है क्योंकि ये सच है अवदान कभी न्यूयॉर्क गया ही नहीं और ना ही उसके पास कोई पासपोर्ट है कि वो जाए।"रुद्राक्ष आम्या को समझाता है मगर आम्या को तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था की अवदान कभी न्यूयॉर्क गया ही नहीं ,तो क्या ये सब उसके दिमाग का भ्रम है उसे कोई गलत फहमी हुई है क्या अवदान को वो जो समझ चिल्लाई और बुरा भला बोली वो असल में अवदान हैं ही नहीं।
" भाई लेकिन...." इससे आगे आम्या कुछ बोल ही नहीं पाती तो रुद्राक्ष उसे शांत करते हुए समझता है -" अम्मू....हो सकता है तुझे कोई गलतफहमी हो गई हो अवदान को लेकर ।" रुद्राक्ष थोड़ा रुक कर अपनी बहन की हालत देख बोला -" अवदान वैसे नहीं है जैसे तू सोच रही।"
" हां उससे भी बुरा है, कितना परेशान किया मुझे।" दक्षता ख़ुद में ही बुदबुदा रही होती है।
" शायद आप ठीक कह रहे भाई मुझे कोई गलतफहमी हो गई होगी।" आम्या चेहरे पर परेशानी लिए और आंखो मे आंसू के साथ बोलती है आम्या के आंसू किसी से देखे नही जाते।
" कोई बात नही लाड़ो.... तूझसे गलती हुई तू माफ़ी मांग लेना।" चाची जी आम्या से कहती है कि तभी उनकी नज़र सीढ़ियों से आते अवदान पर जाती है जिसके हाथ में एक बैग था।दक्षता अवदान को ऐसे देख फूले नहीं समा रही थी आखिर उसकी बला जो टल रही थी।
" अवदान ...ये सब क्या है।" रुद्राक्ष अवदान के रास्ते में खड़ा होकर बोला।
अवदान बिना किसी भाव के आम्या को देखता है फिर बिना कुछ बोले मुड़ के जाने लगते है वहीं एक तरफ से सभी अवदान को रोक रहे थे।
" अवदान रुकिए...बेटा कहां जा रहे?" जगत नारायण जी बोलते हैं जिसपे अवदान इनका पैर छूते हुए जवाब देता है -" घर जा रहा हु चाचा जी!...ख्याल रखिएगा।" इतना सुनते ही रुद्राक्ष अवदान का बैग पकड़ लेता है।
" नही अवदान तू कही नही जायेगा।"
" रुद्र!...बैग छोड़।" अवदान बोला। जिसका जवाब रुद्राक्ष इतना ही देता है पूरे सपाट लहजे में -" नहीं!"
" बेटा ये भी तो तुम्हारा ही घर है।" चाची जी अवदान से बोलती है ,जो इस वक्त रुद्राक्ष को गुस्से में देख रहा होता है।
" हुआ करता था जबतक ,यहां मुझे इतना सुनना नहीं पड़ा...( आम्या को देख कर ) जब मुझे इतना कुछ समझ ही लिया गया है तो मै जहां से चला ही जाओ ताकि सब सुकून से रहे।"
" पर..." रुद्राक्ष अवदान को रोकने के लिए बोल ही रहा था की बीच में अचानक से दक्षता बोल पड़ती है -" बिल्कुल....!"
रुद्राक्ष दक्षता को गुस्से से भरी आंखों से देखता है और अपने दांत पीसते हुए एक एक शब्दो को खींच कर कहता है -" तुम...इस घर के मामलो में ना ही बोलो तो तुम्हारे लिए अच्छा होगा.....( अबकी बार वो जोर से चिल्लाता है ) समझी।"
दक्षता अपनी आंखो घुमा कर दूसरी ओर कर लेती है।
" आई एम सॉरी.....!" घर में हो रहे शोर शराबे में आम्या के धीरे से बोलने की आवाज़ आती है।अवदान और बाकी सब उसकी ओर देखने लगते है। आम्या अपनी बता पूरी करती है -" सॉरी...अवदान मैं तुम्हे गलत समझ लिया , शायद कोई और सोच कर...प्लीज मुझे माफ़ कर दो और कहीं मत जाओ।" सिसकियों के साथ आती आम्या की आवाज़ सुन अवदान की गुस्से से भरी आंखे नर्म हो जाती है उस हाल में खड़ी आम्या को देख अवदान का मन कर रहा था वो उसे गले लगा कर शांत कर ले मगर वो ऐसा नही कर सकता था।
" इट्स.... इट्स ओके...तुम रोओ मत।" अवदान इतना बोल शांत हो जाता है रुद्राक्ष अवदान का बैग अपने हाथ में लिए हुए ही आम्या के पास जाता है -" अम्मू!...देख अब सब ठीक है तू जा आराम कर ले।" आम्या हामी भर का अवदान के बगल से गुजरती है और उड़ा कंधा अवदान से लग जाता है जिससे वो गिरने वाली थी मगर अवदान संभाल लेता है।रुद्राक्ष पहले तो डर जाता है को उसकी बहन कहीं गिर न जाए मगर जब अवदान उसे संभाल लेता है तो वो मुस्कुराने लगता है -" यही तो चाहता हु.... कि तुम हमेशा मेरी बहन को बचाओ अवदान।" रुद्राक्ष खुद से ही मन में कहता है।अवदान और आम्या एक सिरे की आंखों में देख रहे होता है जिसे देख आम्या के मुंह से अनायास ही निकल जाता है -" जिस पत्थर दिल को मैं समझ रही थी ,वो तुम कभी नहीं हो सकते।"
" क्यों?" अवदान उसे वापस खड़ा करते हुए पूछता।जिसके जवाब में आम्या हल्के से मुस्कुरा कर जाने लगती है कि सामने उसे दक्षता दिखती है वो अपनी भौंहे सिकोड़ उसे देख पूछती है -" भाई ये....!"
"जी मैं आपकी भाभी...मतलब आपके भैया जी इज इक्वल टू माय सईया जी।" दक्षता हल्के से हंसते हुए कहती है।
" ये कब हुआ भाई...और युक्ता.?" आम्या हैरत से दक्षता को देखते हुए पूछती है।अवदान गुस्से में दक्षता को देखता है फिर आम्या से कहता है -" तू अभी जा अम्मू बाकी बाते मैं तुझे बाद में बता दूंगा।"
आम्या " ओके " बोल वहां से चली जाती है चाची जी भी बाकी काम करने , दादी पूजा करने और जगत नारायण जी कम्पनी चले जाते है कुछ काम से।रुद्राक्ष भी उनके साथ जाता है अब दक्षता देखती है अवदान उसे देख व्यंग्ता से हंस रहा था वो अपनी एक भौंह उठा कर पूछती है -" क्या हुआ?"
" बड़ी खुश थी न... कि मुझे निकाला जा रहा ,तुम चिंता मत करना तुम्हे यहां से निकालने के पहले कही नहीं जाऊंगा , बहना जी...!"
" जरूर भईया जी...देखते है।" इतना बोल दक्षता वहां से चली जाती है सबके जाने के बाद अचानक से अवदान के चेहरे की वो शरारती मुस्कान भी गायब हो जाती है और वो अपनी तिरछी नज़रों से आम्या के कमरे को देखता है उसके चेहरे के भाव थोड़े अजीब से थे मानो वो बहुत गुस्से में हो।अवदान इधर उधर देखता है फिर वो भी निकल जाता है अपने कमरे में।
कमरे में जाने के बाद वो अपना बैग खोलता है जिसके अंदर कपड़े नही थे बल्कि कुछ पुराने अखबार पड़े हुए थे उसके कपड़े तो अभी भी उसी के अलमारी में थे।
" मेरी जान....बड़ी जल्दी पहचान गई...!"इतना बोल वो एक रहस्यमई हंसी हंसने लगता है।
इधर कमरे में आम्या अभी बीती हुई सारी बातों को याद कर रही होती है -" कितना गलत समझ ली मैं अवदान को....वो तो कभी उस जैसा नही हो सकता।" बोलते बोलते वो अपने अलमारी एक अपने लिए कपड़े निकालती है और नहाने चली जाती है कुछ देर बाद वो अपने सूट के डोरियो को बांधने की मसकक्त करते हुए बाहर आती है और आईने में देख बांध रही होती है।अगर उसके हाथ वहां तक पहुंच नहीं पाते वो झल्ला कर दूसरे कपड़े लेने जाती है और जैसे ही अलमारी खोलती है उसे अपनी पीठ पर किसी के ठंडे हाथ महसूस होते है वो तुरंत झटके से मुड़ती है तो सामने अवदान खड़ा था जो अपनी काली आंखे से आम्या को ही देख रहा था ,जिसे देख आम्या हकलाते हुए बोलने की कोशिश करती है -" अव...अवदान...तुम...तुम यहां....!"
" शशश....जो कर रहा करने दो।" और आम्या को मोड़ कर अलमारी से लगा देता है और इसके सूट की डोरी बांध देता है ऐसा करते वक्त उसकी गर्म सांस आम्या के पीठ पर लग रही थी मगर आम्या को लग रहा था कि वो अवदान की सांस नहीं बल्कि उसके लिए तेजाब हो जो उसके चमड़ी को गला रहा वो अवदान की पकड़ से निकलने की पुरजोर कोशिश करते हुए कहती है -" छोड़ो अवदान.... तुम क्या कर रहे।"
" वहीं जो मुझे करना चाहिए....तुम्हारी मदद.....!"अवदान की बातो को सुन आम्या कुछ पल के लिए अवदान के छुअन में खोने लगती है मगर अगले ही पल अवदान के मुंह से कुछ ऐसा सुनती है की वो तुरंत अवदान को धक्का देकर ख़ुद से दूर करती हैं -" यू लाइक इट.....मेरी जान...!"
" तुम....तुम...वही....मतलब मैं गलत नही थी.....!"
" बिल्कुल नही...एक तुम ही तो हो जो मुझे पहचान सकती हो इतने करीब से....!" इतना बोलते बोलते अवदान आम्या के करीब जाने लगता है आम्या वहां से जाने की कोशिश करती है मगर अवदान उसे उसके बाजुओं के सहारे पकड़ कर दीवाल से लगा देता है और ख़ुद के गिरफ्त में कर लेता है -" दुबारा भागने की कोशिश मत करना ,मेरी जान....वरना तुम अच्छे से जानती हो मैं क्या कर सकता हूं।" अवदान की गुस्से में काली आंखे और सर्द आवाज़ आम्या को दिल से कचोट रही थी वो घबराई हुई थी कांप रही थी।
" प्लीज.....प्लीज....छोड़ दो....!"
" अभी पकड़ा ही कहा है...!"अवदान आम्या के चेहरे से होते हुए उसके गर्दन तक जाता है आम्या दर्द से अपने चेहरे को दूसरी ओर मोड़ लेती है उसके आंखो से आंसू लगातार बहे जा रहे थे।जैसे ही अवदान के चेहरे पर आता है वो अपनी बंद आंखे खोल तुरंत आम्या से दूर हो जाता है उसके दूर होते ही आम्या वहीं जमीन पर पैरो को बांधे बैठ जाती है।
" बिल्कुल भी कोशिश मत करना किसी को मेरे बारे में बताने की....वरना तुम्हारा परिवार और वो तुम्हारा प्यारा भाई....गए , तुम्हारे घर में जितने भी बॉडीगार्ड है सब मेरे आदमी है और साथ ही वो ड्राइवर जो हमेशा तुम्हारे भाई को हर जगह के जाता है वो भी और सबसे बड़ी बात....उसका जान से भी प्यारा दोस्त....( ज़मीन पर आम्या के बराबर बैठ पर अपने हाथ से उसका चेहरा ऊपर करता है और हौले से उसके आंसू पोंछता है) कोई सोच भी नही सकता....ये अवदान शर्मा....रुद्राक्ष को सबसे अच्छा दोस्त....जिसके पास कभी किसी ने पासपोर्ट तक नहीं देखा.....वो न्यूयॉर्क का..एक जाना माना... माफिया हो सकता है....!" और इतना बोल कर वो जोरो से हंसने लगता है आम्या सारी सहमी सी उसे ही देख रही थी।आखिर यही तो सच था उस मासूम और भोले दिखने वाले चेहरे की उस चेहरे के पीछे एक भेड़िया छिपा था जो मौका देखते ही शिकार करना जानता है।
वहीं दक्षता अपने कमरे में बिस्तर बना रही होती है कि उसके कानो में एक आवाज सुनाई देती है।
" सही है , तुम अपना काम पहचान गई। कमरे को एकदम सजा दो , आज स्पेशल नाईट जो है!" रूद्राक्ष की आई आवाज़ से दक्षता चौंक कर मुड़ती है और घबराते हुए रूद्राक्ष को देखने लगती है।
रुद्राक्ष के साथ युक्ता भी खड़ी होती है , वो युक्ता का हाथ पकड़ अंदर आता है और दक्षता के सामने खड़ा हो जाता है।
" गेट आउट!"
" व्हाट..?" दक्षता हैरत से बोलती है।
" सुनाई नही दिया जबराजस्ती की दुल्हन? हम साथ में वक्त बिताना चाहते है!" युक्ता नीचा दिखाते हुए कहती है।
दक्षता वही खड़ी ही रहती है , रुद्राक्ष दक्षता का हाथ कस कर पकड़ लेता है और ये ध्यान नही देता कि उसका हाथ जला हुआ है। वो दक्षता को खींचते हुए बाहर ले आता है और झटके में छोड़ कहता है - " अपनी असली जगह जितनी जल्दी जान लोगी अच्छा रहेगा धरा गोस्वामी!"
दक्षता आंसु बहाने के बजाय स्माइल करती हुई रूद्राक्ष के गालों पर हाथ सहलाती है - " आज एक लड़की लेकर आएंगे तो मैं बीवियों जैसे रोऊंगी, गिड़गिड़ाऊंगी कि भला है बुरा है जैसा भी है मेरा पति मेरा देवता है..? ओहो सईया जी, आपको अच्छे से जानती हू इसीलिए समझा रही आप एक लड़की लाएंगे मुझे फर्क नहीं पड़ेगा पर मैं चाहूं तो हजार लड़के ला सकती हू तुम्हारे सामने तुम्हारे कमरे में......फिर क्या इज्जत रह जाएगी.? "
" आई डोंट केयर, हां तुम्हे भगाने के लिए ही युक्ता को लाया हू.....पर अब देखता हू कैसे तुम युक्ता को मेरे कमरे के बाहर करती हो.....चलो निकाल कर दिखाओ!"
" मैं एक लड़की कर भी क्या सकती हू?" दक्षता नजरे नीची कर धीमी आवाज़ में बोलती है रूद्राक्ष मुड़कर अपने कमरे में चला जाता है कि दरवाजा बंद होते दक्षता मुस्कुराते हुए चेहरा ऊपर करती है।
" पर एक बहु बहुत कुछ कर सकती है , वेट एंड वॉच सईया जी!"
कहानी जारी है
Radhika
05-Apr-2023 06:27 PM
Nice
Reply
डॉ. रामबली मिश्र
27-Mar-2023 06:49 PM
बहुत खूब
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Seema Priyadarshini sahay
27-Mar-2023 09:56 AM
आपको शब्दों पर बहुत अच्छी पकड़ है।
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