किरदार
पहले किरदार निभाया था
अब फिर नई कहानी बन
शीश काट कठमुल्लो के
फिर झांसी वाली रानी बन
उठो धरा के युद्धबीर
फिर से धनुष में धरो तीर
गुंजायमान हो नभ अम्बर
शत्रू के सीने में उठे पीर
शत्रुओं के लिए तू काली बन
अपनो की स्वपन सुहानी बन
शीश काट कठमुल्लो के
फिर झांसी वाली रानी बन
हे मात्रभूमि के रखवालो
आगे ही कदम बढ़ाना तुम
पथ में चाहे जितने गिरि आयें
मत अपना शीश झुकाना तुम
अवरोधक तूझे न रोक सकें
दरिया की वोही रवानी बन
शीश काट कठमुल्लो के
फिर झांसी वाली रानी बन
शीश के ऊपर शीश चढ़ा
हाँथों को अपने और बढा
गरदन दबोच ले दुष्टों की
फिर राष्टवाद का पाठ पढा
थक हार न तू इन राहों में
राणा की वोही जवानी बन
शीश काट कठमुल्लो के
फिर झांसी वाली रानी बन
उदय बीर सिंह गौर
खम्हौरा
बांदा
उत्तर प्रदेश