शराबी

शराबी


मैं समझा था, तुम समझोगे

तुम को समझ ना आया

मेरे मन का अनुरागीपन

तुमको कभी ना भाया।


तुमने समझा नशे की धुन है

शायद ये भी नशे में गुम है

लगता जैसे कोई शराबी

बोतल पीकर नशे में टुन्न है

हाय री किस्मत क्या था मैं,

और क्या तुमको समझ में आया

मेरे मन का अनुरागीपन, तुमको कभी ना भाया।


हां रहता हूं खोया खोया

कभी मैं जागा कभी मैं सोया

फिर भी तुमको देख के दिल में

अरमानों का उठता साया

शहर से दूर मेरी बस्ती है

चूर नशे में मेरी हस्ती है

पर ना समझना मुझे शराबी

ये सब प्यार भरी मस्ती है

समझ सको तो समझ लो मुझको,

तुम अपना हमसाया

मेरे मन का अनुरागीपन, तुमको कभी ना भाया।।


आभार – नवीन पहल – २९.०३.२०२३ 😔😔

# प्रतियोगिता हेतु 


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8 Comments

Renu

30-Mar-2023 09:46 PM

👍👍

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madhura

30-Mar-2023 09:32 AM

nice

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बेहतरीन

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