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लेखनी प्रतियोगिता -31-Mar-2023 आखिर इतनी नफरत क्यूँ?



शीर्षक = आखिर इतनी नफ़रत क्यूँ?




आखिर इतनी नफ़रत क्यूँ दादा?, आखिर क्या कसूर है मेरा? जो बचपन से लेकर अब तक मेरे हिस्से में सिर्फ और सिर्फ आपकी डांट और मार ही आयी है, आखिर क्यूँ आपने मुझे अपनी पोती नही समझा आज तक सिर्फ इसलिए की मैं एक लड़की हूँ, अगर मैं लड़की हूँ तो लड़की तो आपकी छोटी पोती यानी की चाचा की बेटी स्वरा भी है


उसे तो आपने हमेशा अपने सीने से लगा कर रखा और तो और उसके भाई को भी आपने हर दम प्यार किया है, उनके द्वारा की गयी शैतानीयों पर भी आपने आँखे बंद कर ली और मुझे बिना गलती पर भी डांट खानी पडती आपसे, आखिर इतना भेद भाव क्यूँ दादा जी,? क्यूँ? मुझे आज जवाब दीजिये " सुमन ने बरामदे में खडे अपने दादा निर्मल जी से कहा थोड़ा गुस्से में वो और कुछ कहती तब ही सामने खडे उसके दादा बोल पड़े


"बहु अपनी बेटी की जुबान को थोड़ा लगाम दे, कही ऐसा न हो कि मेरे हाथो कुछ अनर्थ हो जाए, इसे अंदर ले जा, इसे मुझसे इस तरह सवाल जवाब करने की कोई ज़रूरत नही है"

"चल सुमन अंदर चल," सुमन की माँ ने कहा


"नही माँ, आज नही बचपन से लेकर अब तक तुम मुझे चुप करा कर अंदर ले जाती थी, लेकिन आज नही, आज ऐसा कुछ नही होगा, आज मैं दादा से जान कर रहूंगी की आखिर मेरी क्या गलती है, क्यूँ इन्होने मुझे अपनी पोती नही समझा जबकी मैंने इन्हे हमेशा अपना दादा समझा है, अपने जीवन में हासिल की गयी छोटी छोटी उपलब्धि को सबसे पहले मैंने इनके साथ साँझा करना चाहा पाँचवी का परिणाम हो, दसवीं में टॉप करना हो या फिर आज बारहवीं का परिणाम जिसमे मैंने पूरे जिले में टॉप आकर हम सब का नाम रोशन किया है, इस ख़ुशी को भी मैं दादा के साथ बाँटना चाहती थी उनसे वही प्रतिकिर्या चाहती थी जैसा की वो स्वरा और उसके भाई आकाश को देते है,उनके सर पर प्यार से हाथ फेर कर, उन्हें ढेर सारा आशीर्वाद देकर, उन्हें गले से लगा कर


लेकिन मेरे हिस्से में ये सब क्यूँ नही? आज मुझे जानना है, अब मैं बच्ची नही रही जिसे आप और पापा समझा बुझा कर चुप करा देते थे, अब मैं बड़ी हो गयी हूँ, मुझे दादा का अपने साथ इस तरह का रावव्या बिलकुल पसंद नही, आज मुझे इनकी मेरे साथ नफरत की वजह जाननी है, मुझे जानना है कि आखिर क्यूँ बचपन से लेकर अब तक इन्होने मुझे अपने सीने से नही लगाया,क्यूँ मेरे स्कूल में प्रथम आने पर इन्होने मुझे आशीर्वाद नही दिया, क्यूँ मुझे अपने गले से नही लगाया क्यूँ मेरे साथ ऐसा करते आये और कर रहे है " सुमन ने कहा अपनी माँ का हाथ झटकते हुए जो कि उसे कमरे में ले जा रही थी


"सुमन बेटा! इस बारे में हम कभी और बात करेंगे, आज ख़ुशी का मौका है, देखो तुमने पूरे जिले में टॉप कर हमारे खानदान का नाम रोशन किया है, आज के दिन को हम सब एक त्यौहार की तरह मनाना चाहिए ना की गड़े मुर्दे उखाड़ने चाहिए, तुम अपने दादा को अच्छे से जानती हूँ, उनका रावय्या घर के हर सदस्य के साथ एक सा है, फिर चाहे वो तुम्हारी स्वर्गवासी दादी हो या फिर कोई और " पास खडे सुमन के पापा कमल जी ने कहा


"नही पापा, सब के साथ नही सिर्फ और सिर्फ मेरे साथ, अगर सब के साथ दादा का बर्ताव एक सा होता तो मैं आपकी बात पर यकीन कर लेती, लेकिन मैं कोई दूध पीती बच्ची नही हूँ, आपने भी देखा होगा कि मुझसे कुछ देर पहले स्वरा अपनी दसवीं का रिजल्ट दादा को दिखाने आयी थी, जिसमे साफ साफ दिख रहा था कि उसे पासिंग मार्क्स ही मिले थे, और उसने थर्ड डिवीज़न में हाई स्कूल पास किया है लेकिन फिर भी दादा ने उसे अपने सीने से लगाया और आशीर्वाद भी दिया
और तो और आकाश दिन भर आवारा गर्दी करता फिरता है उसके बाद भी दादा का और घर वालों का लाडला बना फिरता है, ना वो आप लोगो के साथ कारोबार में हाथ बटाता है, और ना ही उसने अच्छे से पढ़ाई ही की लेकिन देखो फिर भी सब की आँख का तारा बना हुआ है, खास कर दादा की 


लेकिन मेरे रिपोर्ट कार्ड और मेरी तरफ उन्होंने देखा भी नही, जबकी मैंने बारहवीं में टॉप किया है, मुझे तो उन्हें और ज्यादा प्यार करना चाहिए था, मुझे जिंदगी में सफल होने का आशीर्वाद देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया, आज मैं जान कर रहूंगी की आखिर वो मेरे साथ ऐसा क्यूँ करते है और क्यूँ करते आ रहे है, क्या कसूर है मेरा, मैं भी तो आपके ही इस परिवार का हिस्सा हूँ, मेरे नाम के आगे भी तो वही उपनाम लगा है जो बाकी सब के आगे लगा है, सुमन सिन्हा " सुमन ने कहा अपने पापा से



"तुझे जानना है ना, मेरी तुझसे नफरत की वजह, तो सुन...." निर्मल जी कुछ कहते तब ही कमल जी बोल पड़े


नही पापा, आप कुछ मत कहिये, मैं खुद समझा दूंगा अपनी बेटी को, वो समझ जाएगी, आपने मुझसे वायदा किया था, आप इस तरह उस वायदे को यूं सबके सामने नही तोड़ सकते, वरना आप जानते है मैं क्या करूँगा


"तेरी बेटी ही मुझे उकसा रही है, सच बताने को, या तो तू खुद इसे सच बता दे नही तो मैं बता दूंगा, बाकी तेरी मर्जी " निर्मल जी ने कहा


"सच! केसा सच, किस सच और झूठ की बात चल रही है, केसा सच पापा? क्या छुपा रहे है आप लोग मुझसे?, भगवान के लिए मुझे बताइये, नही तो मेरा सर फट जाएगा " सुमन ने कहा


"बेटा अंदर चल, कुछ ऐसा वैसा नही है, तेरे दादा की उम्र हो गयी है इसलिए बहकी बहकी बाते कर रहे है, चल तू अंदर चल, सुमन की माँ इसे अंदर लेकर जाओ " कमल जी ने कहा


"नही, नही,,,, पापा,, कुछ तो बात है जो आप लोग मुझसे छिपा रहे है, सच जानना मेरा अधिकार है, मुझे बताइये, ताकि मुझे दादा की मुझसे नाराजगी की वजह पता चल जाए, मुझे पता लग सके कि क्यूँ आखिर मैं अपनी दादा कि आँखों का काटा बनी रही, क्यूँ उन्होंने मुझे अपनी पोती नही माना, बताइये पापा, आपको मेरी कसम " सुमन ने कहा और अपने पापा का हाथ अपने सर पर रख दिया


"नही, ऐसा कुछ नही है," कमल जी ने कहा


"बेटा समझा कर, कोई भी ऐसी वैसी बात नही है, चल तू अंदर चल, थोड़ा आराम कर देखना तुझे अच्छा लगेगा, और वैसे भी थोड़ी देर में प्रेस वाले आएंगे तेरा इंटरव्यू लेने " सुमन कि माँ ने कहा


"नही देना मुझे कोई इंटरव्यू, पहले मुझे अपने सवाल का जवाब जानना है, पापा, बताइये आपको मेरी कसम " सुमन ने कहा


कमल जी ने अपनी बेटी सुमन की तरफ देखा फिर पास ख़डी उसकी माँ की तरफ देख जो की इशारो में उनसे कुछ भी बताने को मना कर रही थी, इससे पहले वो कुछ कहते तब ही पास खडे निर्मल जी बोल पड़े


"ये क्या बताएगा?मैं बताता हूँ, तुझे जानना है ना कि आखिर क्यूँ मैंने तुझे अपनी पोती नही माना, कभी भी तुझे स्वरा और आकाश की तरह प्यार नही किया, क्यूंकि वो इस घर का खून है जबकी तू ना जाने किसका गन्दा खून है, जो हमारे घर का हिस्सा बन गयी है वो भी सिर्फ और सिर्फ अपने इस बाप की वजह से जिसे तेरी माँ ने ना जाने कौन सी पट्टी पढ़ाई थी जो इसने ना जाने किसके पाप को अपना नाम दे दिया, अब तुझे सब समझ आ गया होगा अगर अब भी कोई संदेह है तो अपने बाप और अपनी माँ से पूछ लेना, वो सब बता देंगे "



"नही,, नही,, ये नही हो सकता, मैं आपकी बेटी नही हूँ पापा,, नही नही ये झूठ है, आप झूठ बोल रहे है दादा, ऐसा नही हो सकता, मैंने स्वरा से अच्छे अंक प्राप्त किए है इसलिए आप ऐसा बोल रहे है," सुमन ने कहा घबराते हुए


"यही सच है, और तुझे ये सच्चाई बहुत पहले ही बता देता अगर तेरे बाप ने इस घर को छोड़ कर और मुझे छोड़ कर जाने की धमकी नही दी होती, अब मुझे कोई फर्क नही पड़ता मुझे जो बताना था मैंने बता दिया, अब तू जान गयी होगी कि आखिर मैं तुझसे क्यूँ नफरत करता था और शायद आगे भी करता रहूंगा, तेरी माँ को तो अपने घर की बहु बनाना मेरी मजबूरी थी क्यूंकि मेरे खुद के बेटे ने सबके सामने तेरी माँ को अपनी पत्नि बना कर सबके सामने पेश कर दिया था ये जानते हुए भी की इसकी कोख में जो बच्चा है वो ना जाने किसका है, तेरी माँ को बहु बनाना मेरी मजबूरी था लेकिन तुझे पोती मानने को मेरा दिल कभी भी गवारा नही हुआ बस यही सच था " निर्मल जी ने कहा


कमल जी और उनकी पत्नि के पैरों तले मानो जमीन ही निकल गयी, सामने खडे निर्मल जी के मूंह से अपनी बेटी को सच से वाकिफ कराते देख उस सच से जिसे उन्होंने पूरी दुनिया से छिपाये रखा था आज वही सच सबके सामने इस तरह बाहर आया की उन्हें ना आँखों पर और ना ही कानो पर यकीन हो रहा था, उनके तो कुछ भी सोचने समझने की सालाहियत ही खत्म हो गयी थी


सुमन अपनी जिंदगी का ऐसा सच जिसे सच मानने को भी दिल ना करे, जानने के बाद रोती हुयी बाहर की तरफ भागी, जिसे इस तरह भागता देख उसकी माँ उसके पीछे भागी और कमल जी भी दौड़े लेकिन तब ही उनकी नजर सामने खडे निर्मल जी पर पड़ी और वो बोले " पापा, आपने अच्छा नही किया, मेरी बेटी को उसकी जिंदगी का इतना बड़ा सच बता कर  मैं आपको कभी माफ नही करूंगा "


"नही है वो तेरी बेटी, उसकी रगो में तेरा नही बल्कि ना जाने किस का गन्दा खून बह रहा है, उसे अपनी बेटी कहना बंद कर आज मैंने तेरी परेशानी हल कर दी, उसे सब सच बता दिया ताकि वो हम सब की जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए दूर चली जाए वो भी और उसकी माँ भी " निर्मल जी ने कहा


"बस पापा, बहुत हुआ, सुमन मेरी बेटी है, उसे मैंने पाला है, ज़ब वो पैदा हुयी थी और नर्स ने उसे मेरे हाथ में देते हुए कहा था मुबारक हो बेटी हुयी है, और उसने अपनी नन्ही नन्ही उंगलियों से मेरी ऊँगली को थामा था, तब से मेरे अंदर उसका पिता होने का एहसास जाग गया था, आप चाहे कुछ भी कहे सुमन मेरी ही बेटी है, आप जानते नही है ज़ब उसने पहली बार माँ बोलने के बजाये पापा बोला था ज़ब उसने बोलना शुरू किया था, आज भी याद है मुझे वो दिन और आप कहते है कि वो मेरी बेटी नही है, सुमन मेरी ही बेटी है और मैं उसका बाप " कमल जी ने कहा


"तेरे कहने से क्या होता है? तू रात को दिन कहेगा तो दिन थोड़ी हो जाएगा रहेगी तो रात ही, उसी तरह तेरी बेटी की हकीकत है, जिसे चाह कर भी झूठलाया नही जा सकता है, उसे तूने सिर्फ पाला है एक बाप की तरह जबकी उसकी नसों में खून उस आदमी का है जो उसकी माँ को छोड़ कर भाग गया था, और तू बेवक़ूफ़ उसकी झूठन को हमारे घर की बहु बना लाया," निर्मल जी ने कहा


"बस पापा, एक और लफ्ज़ नही, मैं उससे प्यार करता था उसे कैसे अकेले छोड़ सकता था, वो भी ज़ब, ज़ब वो बिलकुल तन्हा हो गयी थी और अपने आप को और अपनी कोख में पल रही नन्ही जान को ख़त्म कर देना चाहती थी क्यूंकि जिसे उसने अपना समझा था, वो तो अपना मतलब पूरा होते ही भाग निकला था, लेकिन मैं उसे अपनी जिंदगी ख़त्म कैसे करने दे सकता था जबकी वो तो मेरी जिंदगी थी, आप भले ही उसे अपनी बहु या उसकी बेटी को इस खानदान का हिस्सा मत माने लेकिन मेरे लिए वो और उसकी बेटी ही सब कुछ है, अगर उन्हें कोई तकलीफ देगा तो मैं बर्दाश्त नही कर पाउँगा, मेरी बेटी आपसे बस थोड़ा प्यार ही तो चाहती थी, लेकिन आपने तो उससे बेपनाह नफरत ही की और आज उसी नफ़रत के चलते आपने उसे वो सच भी बता ही दिया जिसे मैंने और उसकी माँ ने बरसों से अपने सीने में दफ़न किए हुए था


क्या हो जाता कि आप थोड़ा सा प्यार उस बच्ची को भी दे देते, मेरे ही खातिर उसे अपना लेते, लेकिन नही आपके लिए तो वो एक नाजायज औलाद ही रही, जिसका मेरे से कोई सम्बन्ध नही, अगर आप उससे कोई सम्बन्ध नही रखना चाहते है तो फिर मैं भी आपसे कोई सम्बन्ध नही रखूँगा, लेकिन देखना आपको एक दिन अपनी गलती का एहसास जरूर होगा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी,"कमल जी ने कहा और वहाँ से जाने लगे


"देखेंगे, मैंने तुझे अब तक इस घर में इसलिए रखा हुआ था कि शायद तू मुझे अपनी औलाद का मूंह दिखा सके, लेकिन तूने तो फैसला ही कर लिया है कि तू उस लड़की को ही सारा प्यार देगा, तुझे कोई और औलाद नही चाहिए इसलिए अब तू जा यहां से मेरा छोटा बेटा और बहु है मेरे पास और उनका बेटा भी जो मेरा वंश आगे चलाएगा, मुझे तेरी कोई जरूरत नही " निर्मल जी ने कहा


"ठीक है, पापा मैं जा रहा हूँ, मैं तो बहुत पहले ही चला जाता लेकिन आपने ही मुझे रोक रखा था, अब आप भेज रहे है तो मैं चला जाऊंगा " कमल जी ने कहा और वहाँ से चले गए अपनी बेटी सुमन और उसकी माँ की तलाश में


सुमन रोती हुयी, घर से बहुत दूर एक तालाब के किनारे आकर बैठ गयी, उसे यकीन नही हो रहा था कि जिसे वो बचपन से अपना बाप कहती आ रही थी वो उसका बाप नही है, जिस परिवार को वो अपना समझ रही थी वो भी उसका नही है, आज उसे सब कुछ यानी की उसके दादा की नाराज़गी भी समझ आ गयी थी


पीछे से उसकी माँ, सारिका उसे आवाज़ देती हुयी आती है, वो जानती थी कि सुमन यही मिलेगी क्यूंकि वो ज़ब भी उदास होती तो यही आकर बैठ जाती थी



"माँ, क्या ये सच है कि मेरा पिता कोई और है, और जिसे मैं अब तक पिता मानती आ रही हूँ वो मेरे असल पिता नही है, मुझे तुमसे सुनना है " सुमन ने कहा अपनी माँ से जो की उसको समझाने के लिए उसके पास आयी थी


"बेटा, मेरी बात सुन " सारिका जी ने कहा


"माँ, मुझे कुछ नही सुनना मुझे बस इतना बताओ क्या दादा ने जो कहा वो सही है या गलत " सुमन ने कहा


"हाँ, तेरे दादा ने जो कहा वो सही है, तू उनके खानदान में पैदा जरूर हुयी है, लेकिन तू उनके खानदान से नही है, और न ही कमल तेरे पिता है, तेरा पिता उसे तो पिता कहते हुए भी पिता का नाम शर्मसार करने जैसा होगा मुझे छोड़ कर भाग गया था, मैं बेवक़ूफ़ थी जो उसके प्रेम जाल में फ़स कर खुद को बर्बाद कर बैठी थी,


उसकी मीठी मीठी और प्यारी प्यारी बाते मुझे प्यार लगती थी, उसके वादे मुझे सच्चे लगते थे जबकी वो तो बस अपना मतलब पूरा करना चाहता था और जैसे ही उसका मतलब पूरा हुआ उसने मेरा साथ छोड़ दिया, और ज़ब उसे पता चला की मैं उसके बच्चें की माँ बनने वाली हूँ तब वो अपनी जान छुड़ा कर भाग गया, और कभी पलट कर नही आया,


घर वाले भी जान चुके थे, मेरी सच्चाई आखिर कब तक छिपाती एक दिन स्वयं ही सच सबके सामने आ गया और मुझे घर से निकाल दिया मेरे पास अब सिर्फ एक ही रास्ता था तुझे और अपने आप को ख़त्म कर देने का इसलिए मैंने नदी में कूद कर जान देना चाही लेकिन तब कमल ने ही आकर मुझे संभाला, मुझे हौसला दिया मुझे दो दो जानो की हत्या करने से बचा लिया सिर्फ इतना ही नही बल्कि मुझे अपनी पत्नि और तुझे अपना नाम भी दिया


तेरे दादा को सब पता था मेरे बारे में, उन्होंने मुझे तो अपना लिया था अपने बेटे की ज़िद्द के खातिर लेकिन तुझे कभी नही अपनाया, लेकिन तेरे पिता ने कभी भी तुझे अपनी औलाद से कम नही समझा और इस बात को तू भी जानती है " सारिका जी ने कहा


"लेकिन माँ, वो मेरे असली पिता नही है, ये बात मैं कैसे खुद को समझाऊ " सुमन ने कहा


"बेटा, कमल ने जो मेरे लिए और तेरे लिए किया है, वो शायद कोई अपना भी नही करता, उसने तुझे अपना नाम दिया है, और तो और सिर्फ नाम नही बल्कि तुझे एक बाप बन कर पाला भी है, मैं तुझसे थोड़ी नफरत भी करती थी क्यूंकि मुझे तुझे देखकर उस धोखेबाज की याद आती थी जिससे मैं कभी बेपनाह मोहब्बत करती थी और वो मुझे छोड़ कर भाग गया जो की अब बेपनाह नफरत में बदल गयी थी, और वो नफ़रत में तुझ पर उतारना चाहती थी


लेकिन कमल जी ही थे, जो मुझे समझाते बुझाते और मेरी ममता को हर पल तेरे लिए जगाय रखते और कहते कि जो कुछ भी हुआ उसमे तेरा क्या कसूर, गलती तो मैंने की थी जो बहक गयी थी तो उसकी सजा तुझे क्यूँ दी जाए जबकी तेरी तो कोई गलती ही नही


बेटा, कमल जी वाकई एक बेहद अच्छे इंसान है, उनमे वो हर एक खूबी है जो एक पिता में होनी चाहिए, तुझे पता है उन्होंने अपनी औलाद को इस दुनिया में लाने से मना कर दिया था उन्हें लगता था कि कही उनकी अपनी औलाद तुझे उनसे दूर न करदे, बेटा तेरे पापा दुनिया के बेस्ट पापा है, तू उन्हें वही वाला प्यार दे जो पहले देती थी, सब कुछ भूल जा, भूल जा कि तुझे किसी ने कुछ तेरे अतीत के बारे में बताया था


तू अपने भविष्य पर ध्यान दे, कुछ बन कर दिखा जिससे कि मेरा और तेरे पिता का नाम रोशन हो पाए, तेरे दादा जो आज तक तुझसे नफ़रत करते आये है वो भी तुझे अपनाने पर मजबूर हो जाए और मुझे उम्मीद है कि तू कर पायेगी भले ही तेरी नसों में खून उस दगाबाज आदमी का है लेकिन तेरी परवरिश तो कमल जी ने की है, और मुझे उनकी परवरिश पर पूरा भरोसा है, तू सब कुछ भूल जा " सारिका जी ने कहा


"माँ, शायद तुम ठीक कह रही हो, मुझे तो आज पता चला है कि वो मेरे असली पिता नही है, तब मुझे अजीब लग रहा है लेकिन वो तो पहले से जानते है कि मैं उनकी बेटी नही हूँ फिर भी वो हरदम मुझे सीने से लगाए रहते, एक असली बाप बेटी के रिश्ते की तरह वो हमारे रिश्ते को बरकरार रखे हुए थे, लेकिन माँ क्या वो अब ऐसा कर पाएंगे " सुमन ने कहा


"क्यूँ नही मेरी बेटी? दुनिया चाहे कुछ भी कहे लेकिन तुम मेरी कल भी बेटी थी और आज भी बेटी हो और कल भी रहोगी इस बाप बेटी के बीच जो आएगा वो अपने अंजाम का खुद ज़िम्मेदार होगा " पीछे खडे उनकी बाते सुन रहे कमल जी ने कहा

उन्हें यूं देख सारिका जी और सुमन खडे हो गए, सुमन ने जाकर कमल जी को गले से लगा लिया और बोली " आप ही मेरे पापा हो, दुनिया चाहे कुछ भी कहे आप ही मेरे पापा, मेरे हीरो मेरे सब कुछ हो, मेरी दुनिया सब कुछ "

कमल जी निशब्द थे, उन्होंने कसके उसे जकड़ लिया था, तभी उनकी नजर सारिका जी पर पड़ी जो की वही ख़डी रो रही थी उन्होंने उन्हें भी अपनी बाहों में जकड़ लिया और फिर तीनो ऐसी ही काफी देर खडे अपनी आँखों से अश्रु बहाते रहे



समाप्त.......



प्रतियोगिता हेतु 

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7 Comments

Vedshree

01-Apr-2023 11:06 PM

👌👌👌

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बहुत ही सुन्दर और शानदार कहानी 👏👏👌👌

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Saroj Verma

01-Apr-2023 09:05 AM

Very nice 👌👌👌👌

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