लेखनी प्रतियोगिता -01-Apr-2023-सरहद के पार
सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी" मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
कविता
शीर्षक -- 🌹सरहद के पार🌹
दिनांक -- ०१.०४.२०२३
दिन -- शनिवार
दैनिक प्रतियोगिता
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सीमा सुरक्षित रखने को, मिन्नतें हैं सरकार से,
अमन में खलल भी होते हैं, सरहदों के पार से।
वतन की अस्मिता कभी, खतरे में रहता नहीं,
सैनिकों का मनोबल, इच्छा शक्ति के अपार से।
ग़रीबी हो या लाचारी, सरहद के पार से आता,
कोरोना हो या बीमारी, सरहद के पार से आता।
चाहे विकार हो कोई, या फूहड़पन की बातें हो,
आतंकी या व्यभिचारी, सरहद के पार से आता।
जाने कितने क्षेत्रों में, परचम हमने लहराया हैं,
विश्व के कोने कोने में, तिरंगा को फहराया है।
विश्व ना भूल पाएगा, हमारी फ़ौजी ताकत को,
सरहद के पार जाके भी, बल अपना दिखाया है।
सरहदें कमज़ोर होते हैं, गर देश लाचार होता है,
सरहद के पार सब कुछ तो, नहीं बेकार होता है।
उच्च शिक्षा तकनीकी, सरहदें पार से भी आतीं,
सरहदों के पार ही तो, समस्त संसार होता है।
🙏🌹 मधुकर 🌹🙏
(स्वरचित रचना, सर्वाधिकार©® सुरक्षित)
Shashank मणि Yadava 'सनम'
02-Apr-2023 09:33 AM
बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ
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Madhu Gupta "अपराजिता"
02-Apr-2023 08:12 AM
अति उत्तम रचना सर👌👌
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Reena yadav
02-Apr-2023 05:32 AM
👍👍
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