आने दो जग में माँ मुझको




आने दो जग में माँ मुझको

 गीत- ✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट

भ्रूण- हत्या बंद करो अब, मन से भेद-भाव को धोकर 
आने दो जग में माँ मुझको, बेटी कहे कोख में रोकर।
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मर्यादा की ओढ़े चादर, महकातीं घर आँगन सारा,
जीवन के हर एक क्षेत्र में, चमकें बनकर आज सितारा
कर्तव्यों की बलिवेदी पर, बनीं प्रेरणा स्रोत हमारा
ममता की अनमोल धरोहर, देतीं सबको सदा सहारा
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देवी का प्रतिरूप समेटीं, हुईं न विचलित सब कुछ खोकर
आने दो जग में माँ मुझको, बेटी कहे कोख में रोकर।
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नाजों से जो पलीं-बढ़ी अब, सास- ससुर की सेवा करतीं
सिर हो ऊँचा घर वालों का,अपनी पीड़ा मन में धरतीं
पापा की परियाँ है वे तो, अद्भुत प्रेम- भावना भरतीं
बेटी, बहन, बहू या माता, आयामों में खरा उतरतीं
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कन्याओं को रहे पूजते, सनातनी नतमस्तक होकर
आने दो जग में माँ मुझको, बेटी कहे कोख में रोकर।
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अपनी चिंता कभी नहीं की, जपतीं सबके हित की माला
खुद चाहे भूखी रह जाएँ, बच्चों को पर सुख में पाला
यम ने जिससे हार मान ली, रूप सती सावित्री वाला
बुरी नजर जिसने भी डाली, बन जातीं रणचंडी ज्वाला
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तुम भी तो बेटी हो माता, समझो दर्द न मारो ठोकर
आने दो जग में माँ मुझको, बेटी कहे कोख में रोकर।
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 रचनाकार ✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
 'कुमुद- निवास'
 बरेली (उत्तर प्रदेश)
 मोबा.- 98379 ४४१८७


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3 Comments

Gunjan Kamal

09-Apr-2023 08:28 PM

बहुत खूब

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Punam verma

08-Apr-2023 08:56 AM

Very nice

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Abhinav ji

08-Apr-2023 08:31 AM

Very nice 👌

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