लेखनी कविता-इज्जत -13-Apr-2023
**सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी" मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
शीर्षक -- *इज्जत*
दिनांक -13-04-2023
दिन -गुरुवार
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इज्जत का कोई पेड़ नहीं,
जिस पर यह पैदा होती ।
इसका कोई मोल नहीं,
है यह हीरे से भी कीमती।।
इज्जत की कोई दुकान नहीं ,
शाम सुबह हो जहाँ बिकती ।
इसकी कोई खान नहीं,
जहाँ इज्जत दान में मिली।।
जादू जैसा कोई खेल नहीं,
अगड़म बगड़म से मिल जाए।
गुड्डे गुड़िया सा खेल नहीं,
पलक झपकते मिल आए।।
खून पसीने की चमक है,
इज्जत मेहनत से मिलती।
सच्चाई ,ईमानदारी गहना है,
इज्जत की चमक न फीकी होती।।
ऐसी गलती न करना,
जीवन स्वाह कर दे तुम्हारा।
माता पिता की बनी छवि,
अपने कर्मो से धूमिल न करना।।
इज्जत ....वक्त.....एतबार
ऐसे परिंदे हैं।
जो एक बार उड़ जाएँ ,
तो वापस नहीं आती।।
*आभा मिश्रा- कोटा*
(स्वरचित मौलिक रचना, सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
14-Apr-2023 01:53 PM
अति सुन्दर
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ऋषभ दिव्येन्द्र
14-Apr-2023 01:35 PM
बेहतरीन लिखा
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Punam verma
14-Apr-2023 08:54 AM
Very nice
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