Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -14-Apr-2023 बुरी नजर वाले

शम्मी की विधवा मां सरकारी पार्क में प्राइवेट मालन थी। शम्मी जब दो वर्ष की आयु का था, तो उसके पिता का स्वर्गवास हो गया था।


शम्मी का पढ़ाई लिखाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। इसलिए वह बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर नौकरी ढूंढने लगता है। ज्यादा पढ़ा लिखा ना होने की वजह से शम्मी को नौकरी मिलने में बहुत मुश्किल होती है।

तो एक दिन शम्मी की मां शम्मी की नौकरी के लिए अपने किसी जान पहचान वाले से बात करती है। और शम्मी दूसरे दिन अपनी मां के बताए पते पर खुशी खुशी नौकरी पर लगने जाता है।

लेकिन वह युवक कहता है कि "मैं तुम्हें फुल टाइम काम तो नहीं दे सकता। पार्ट टाइम अगर तुम्हें काम करना है, तो शाम को मेरे घर आकर कॉस्मेटिक के सामान की पैकिंग का काम कर सकते हो। और मैं पीस के हिसाब से तुम्हें पैसे दे दिया करूंगा।"

शम्मी को वह युवक और उसकी पत्नी ईमानदार सच्चे लोग लगते हैं। इसलिए वह  दूसरे दिन उस धीरज नाम के युवक के घर पैकिंग का काम करना शुरू कर देता है। 

शम्मी रोज समय से आधा घंटा पहले उस युवक के घर पैकिंग का काम करने पहुंच जाता था, क्योंकि शम्मी के साथ दो युवक और काम करते थे, और उनसे उसकी अच्छी मित्रता हो गई थी। और सबसे ज्यादा शम्मी को धीरज की पत्नी का स्वभाव बहुत पसंद था। क्योंकि काम करते वक्त जैसे वह अपने पति का चाय पानी का ध्यान रखती थी, वैसे ही वह शम्मी और शम्मी के साथ काम करने वाले दोनो युवकों का ध्यान रखती थी। और सभी के काम करते वक्त मनोरंजन के लिए हिंदी गाने तेज आवाज में  सुनने के लिए चला देती थी।

जब पहली बार शम्मी धीरज के मुंह से उसकी पत्नी का नाम सुनता है रत्ना, तो बिना कुछ सोचे समझे शम्मी बोल पड़ता है "वाह क्या खूबसूरत नाम है आपका।" 

धीरज तो रत्ना से बातें करते-करते चुप हो जाता है, लेकिन रत्ना मुस्कुराकर शम्मी को "थैंक्स" कहती है, तो शम्मी के दिल में खलबली सी मच जाती है।

और धीरे-धीरे शम्मी को रत्ना से मोहब्बत हो जाती है। अब शम्मी हर पल रत्ना के ख्यालों में डूबा रहता था। उसे ऐसा लगने लगा था, कि मैं धीरज की पत्नी रत्ना के बिना जी नहीं पाऊंगा।

शम्मी रत्ना के प्रेम में पागल होकर एक दिन मौका देखकर रत्ना का हाथ पकड़कर उसे आई लव यू कह देता है।

और रत्ना शम्मी की इस गंदी हरकत के बारे में धीरज को बता देती है। धीरज शम्मी के एक-दो थप्पड़ मारकर कर पुलिस बुला लेता है। रत्ना भी शम्मी के खिलाफ पुलिस वालो को बयान दे देती है।

जब पुलिस वाले शम्मी को पीटते हुए थाने ले जाने लगते हैं, तो शम्मी को अपनी गलती का एहसास हो जाता है। और वह धीरज के पैर पकड़कर कहता है कि "मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा है। मैं अपनी विधवा मां का अकेला सहारा हूं। जेल में बंद होने के बाद मेरी आस-पड़ोस रिश्तेदारों मित्रों मे बहुत बदनामी हो जाएगी। और ना ही फिर मेरी नौकरी लगेगी ना ही शादी होगी। और अब मैं समझ गया हूं कि यह घर नौकर चाकर काम पत्नी तेरी महफिल है। इंसान को दूसरे की महफिल को बुरी नजर से नहीं देखना चाहिए। बल्कि खुद अपनी मेहनत ईमानदारी संघर्ष से खूबसूरत महफिल बनानी चाहिए।"

शम्मी को अपनी गलती का एहसास होने के बाद धीरज और रत्ना उसे सुधारने का एक मौका और दे देते हैं। लेकिन उसी समय उसे कॉस्मेटिक के सामान की पैकिंग करने के काम से निकाल देते हैं। 

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5 Comments

Punam verma

15-Apr-2023 09:21 AM

Very nice

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Abhinav ji

15-Apr-2023 08:45 AM

Very nice

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अदिति झा

15-Apr-2023 06:16 AM

Nice 👍🏼

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