Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -14-Apr-2023 कभी न मानो हार

शीर्षक- कभी ना मानो हार
एक कौवा प्यासा था
इधर इधर भटक रहा,
पानी कहीं न मिला।

आकाश में भरी उड़ान,
देखा सारा जहान,
देखा उसने एक मैदान।

मैदान के पास जा बैठा,
वहां पर देखा मटका,
मटके में पानी थोड़ा।

 खूब किया प्रयास,
 पानी न आए हाथ,
कैसे बुझाऊं मेरी प्यास।

सोच- सोच के जी घबराया,
फिर मन में एक उपाय आया,
कंकड़ देखकर सोचा भाया।

एक-एक कंकर  चौच से उठाया,
कंकर को पानी में गिराया,
पानी फिर से ऊपर आया।

कौवे का मन हर्षाया,
अपनी प्यास बुझाया,
जग को एक संदेश दे गया।

कभी न मानो हार,
सदा करो तुम प्रयास,
बनेगा जीवन का सार।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

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5 Comments

Abhinav ji

15-Apr-2023 08:49 AM

Very nice

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बेहतरीन सृजन,, खूबसूरत सन्देश

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अदिति झा

15-Apr-2023 01:01 AM

Nice 👍🏼

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