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लेखनी प्रतियोगिता -18-Apr-2023

भरोसा

हर सुबह उजागर होती है,तिमिर यामिनी का छटता है।
पक्षियों की कलरव से,हर मन में अनुराग का पुष्प खिलता है।
नहीं फतह होगी अधर्म की, भरोसा मान का कहता है।
बहता है हर नदियाँ का पानी, राग नया सुनाता है।
धैर्य धरा सागर ने कितना, लहरों का शोर बताता है।
रख भरोसा खुद पर नर, अंगारों पर चल जाता है।
आता हुआ हर विघ्न मार्ग में, बन आँधी दूर भगाता है।
रख भरोसा कर्म पर अपने मार्ग प्रशस्त कर पाता है।

जीता है वह जीवन अपना कभी माँझी, कभी पतवार बन जाता है।
नहीं भरोसा रब पर खोता, आस का दीप जलाता है।
शूल-शूल से आहात होता, इक दिन गुलाब सा खिल जाता है।
महक से अपनी जग महकाता, काम सदा सबके आता है।
बंधन की डोर पिरोता मन, फूल से गुलशन बन जाता है।

नहीं कठिन कुछ भी जग में, बस यही पाठ पढाता है।
कायम रहेगी दुनिया जब तक, भरोसा हर दिल में बसता है।
कहीं प्रेम, कहीं श्रद्धा-भाव, से जग में जाना जाता है।
यही भरोसा, यही विश्वास अंत में अटल सत्य कह लाता है।

श्वेता दूहन देशवाल मुरादाबाद उत्तर प्रदेश

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8 Comments

Punam verma

19-Apr-2023 09:33 AM

Very nice

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आहत को सही करें जी

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बहुत ही सुंदर सृजन

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